Meet At Agra: दूसरे दिन विदेशी स्टॉल्स पर उमड़ी विजिटर्स की भीड़, ये रहीं खास बातें Agra News
शू फेयर-मीट एट आगरा में दूसरे दिन विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए किया गया प्रेरित। वक्ताओं ने तकनीकी सत्र में कहा कि जूता उद्योग से नहीं होता प्रदूषण हटे तदर्थ रोक।
आगरा, जागरण संवाददाता। कौशल विकास, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्मार्ट इंडिया की योजनाएं स्वरोजगार के माध्यम से दूसरों को रोजगार देने के लिए हैं। रोजगार देने वाला बनेंगे तो बेरोजगारी कम होगी। विद्यार्थी हुनरमंद होकर काम करेंगे तो उनकी अलग पहचान होगी।
सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर में चल रहे शू फेयर-मीट एट आगरा में शनिवार को मुख्य अतिथि समाज कल्याण राज्य मंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने यह बात कही। आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर (एफमेक) द्वारा आयोजित लेदर फुटवियर कंपोनेंट्स एंड टेक्निकल फेयर में शनिवार को हुए तकनीकी सत्र का उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आगरा की पहचान ताज के साथ जूते के लिए भी है। जूते से प्रदूषण नहीं होता है। ताजमहल के चलते यहां से ईंट-भट्ठे, फैक्ट्रियां शिफ्ट हो चुके हैं। जूता उद्योग को आगे बढ़ाने को नई इकाइयों की स्थापना व विस्तार आवश्यक है। इसके लिए वो केंद्र व राज्य सरकार के स्तर पर हरसंभव मदद को तैयार हैं। एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि ज्ञान होगा तो नौकरी मांगने नहीं जाना होगा। शिक्षा सिर्फ ज्ञान का माध्यम है। इस ज्ञान से नौकरी देने वाला बनें। जूता उद्योग लेबर ओरिएंटेड है। सबको रोजगार देने की सोच रखें। याद रखें कोई काम छोटा नहीं होता। एक साइकिल पर मॉडल टी शॉप खोलकर और पांच लाख रुपये से शू बैग बनाने की मशीन लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
प्रोविडेंट फंड कमिश्नर राजीव पाल ने मीट एट आगरा को सराहा। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि आज दुनिया के बड़े ब्रांडों में आगरा के उद्यमियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। केंद्रीय पादुका प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक सनातन साहू ने विद्यार्थियों को ज्ञान प्राप्त करने के साथ कठिन परिश्रम करना चाहिए। तकनीकी सत्र का संचालन इवेंट कोऑर्डिनेटर चंद्रशेखर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राजेश सहगल ने दिया। एफमेक के महासचिव राजीव वासन, संयोजक कैप्टन एएस राणा, उपाध्यक्ष गोपाल गुप्ता, सचिव ललित अरोड़ा, कार्यकारिणी सदस्य सुनील मनचंदा मौजूद रहे। सत्र में सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, दयालबाग शिक्षण संस्थान, ङ्क्षहदुस्तान कॉलेज, डॉ. एमपीएस ग्रुप, उत्तम इंस्टीट्यूट के इंजीनियरिंग प्रबंधन के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
तदर्थ रोक पर्यावरण अधिनियम के खिलाफ
पूर्व विधायक केशो मेहरा ने कहा कि जूता उद्योग प्रदूषण नहीं करता है। आगरा में सल्फर डाइ-ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड मानक के अंदर हैं। यहां अति सूक्ष्म कण (पीएम2.5) और धूल कण (पीएम10) बढ़े हुए हैं। इसके लिए बाइपास पूरा नहीं बनना, निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी, स्मार्ट सिटी का काम जिम्मेदार हैं। अधिक रोजगार देने को नई इकाइयों की स्थापना व पुरानी का विस्तार आवश्यक है, लेकिन उस पर रोक लगी है। तदर्थ रोक तो सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरण अधिनियम के खिलाफ है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ हो उद्योग-धंधों का विकास
डीएफओ वाइल्ड लाइफ आनंद कुमार ने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि पर्यावरण का संरक्षण करें, लेकिन विकास के लिए उद्योग-धंधे भी आवश्यक हैं। आगरा ट्रेड सेंटर ईको-सेंसेटिव जोन में है, लेकिन ऐसे आयोजन पर्यावरण को प्रभावित नहीं करते। हाईवे से गुजरने वाले वाहनों से अधिक ध्वनि व वायु प्रदूषण होता है, तो क्या हमें हाईवे बंद कर देना चाहिए? हमें पर्यावरण संरक्षण के साथ उद्योग-धंधों का भी लगातार विकास करना है।
शू फिनीशिंग में बनाएं करियर
स्पेन से आए लॉरेंजो ने तकनीकी सत्र में कहा कि आज हर कोई क्लासी और नए डिजाइन के जूते पहनना चाहता है। छात्र शू फिनीशिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। यह संभावनाओं वाला क्षेत्र है।
दूसरे दिन उमड़ी भीड़
मीट एट आगरा के दूसरे दिन शनिवार को विजिटर्स की भीड़ उमड़ी। चीन, ब्राजील, अर्जेंटीना, ताइवान, जर्मनी, इटली, स्पेन, हांगकांग व देश के कोने-कोने से आए 220 एग्जीबिटर्स की स्टॉल पर नई तकनीकी व मशीनरी की जानकारी लेने को विजिटर्स की भीड़ उमड़ी। दोपहर दो बजे बाद हर स्टॉल पर विजिटर नजर आए।
शू रिपेयर क्लीनिक
लेदर सेक्टर स्किल काउंसिल व केंद्रीय पादुका प्रशिक्षण संस्थान की मदद से स्किल इंडिया के तहत मोची स्वाभिमान स्कीम में तैयार शू रिपेयर क्लीनिक आकर्षण का केंद्र रहा। इस वाहन पर बैठकर एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने भी बूट पालिश कर अपनी सादगी और जमीन से ऊंचाई तक पहुंचने का संदेश दिया।