सीपीसीबी ने होटल और हॉस्पिटल को नहीं माना उद्योग, आदेश पर अब भी पेच
सीपीसीबी ने दर्जे में किया परिवर्तन मार्च 2016 में बनाई थी कैटेगरी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों व टीटीजेड की पाबंदियों के चलते अफसर शांत।
आगरा, जागरण संवाददाता। होटल और हॉस्पिटल अब उद्योग नहीं हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उनके दर्जे में परिवर्तन कर उन्हें गैर-औद्योगिक गतिविधियां माना है। जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, लंबित वादों और ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की पाबंदियों के चलते आदेश पर अभी असमंजस की स्थिति है।
सीपीसीबी ने सात मार्च, 2016 को 242 उद्योगों को चार कैटेगरियों व्हाइट, ग्रीन, ऑरेंज व रेड में बांट दिया था। टीटीजेड को व्हाइट कैटेगरी में रखा गया था। जूता, होटल, हॉस्पिटल आदि के व्हाइट कैटेगरी में नहीं होने से उनके विस्तार व नवनिर्माण पर रोक लग गई थी। 20 हजार वर्ग मीटर से कम के निर्माण को ऑरेंज कैटेगरी में रखने से प्रधानमंत्री आवास योजना, एयरपोर्ट व हवाई पट्टी को रेड कैटेगरी में रखे जाने से उन पर भी पेच फंस गया था। सुप्रीम कोर्ट ने चार दिसंबर, 2019 को सिविल एन्क्लेव के निर्माण को अनुमति न देने का कोई कारण नजर आने और बाद में 11 दिसंबर को इस आदेश को संशोधित करते हुए अनुमति प्रदान कर दी थी। आगरा के उद्यमी उद्योगों की कैटेगरी में परिवर्तन को लगातार प्रयास कर रहे थे। उनकी मांग थी कि उद्योगों और गतिविधियों को अलग किया जाना चाहिए। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों पर 17 फरवरी को सीपीसीबी ने समिति बनाई। समिति ने दो मार्च, 15 अप्रैल और 21 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंसिंग से बैठक करीं। इसके बाद 30 अप्रैल को सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गव और समिति के चेयरमैन रवि एस. प्रसाद द्वारा दर्जे में परिवर्तन की सूचना जारी की गई। इसमें होटल, हॉस्पिटल को उद्योग से बाहर कर दिया गया है। सीपीसीबी ने सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह आदेश जारी किया है और उन्हें 15 दिन के भीतर कार्रवाई कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।
प्रदूषण इंडेक्स बरकरार
सीपीसीबी ने जो आदेश जारी किया है, उसमें प्रदूषण इंडेक्स की लिमिट को यथावत रखा है। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि जब पर्यावरण मंत्रालय पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सर्वोपरि मान चुका है तो फिर उसके निर्देशों पर सीपीसीबी द्वारा होटल व हॉस्पीटल को उद्योग नहीं माने जाने को नए आदेश का क्या औचित्य रहेगा? टीटीजेड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश प्रभावी होने से यहां आदेश के लागू होने या न लागू होने पर आगरा से लेकर दिल्ली तक के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।
आदेश में ऐसे शामिल की गईं गतिविधियां
गैर-औद्योगिक गतिविधियों, फेसिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विसेज की रेड कैटेगरी में से एयरपोर्ट व कॉमर्शियल एयर स्ट्रिप्स, हेल्थकेयर एस्टिब्लशमेंट, 100 किलो लीटर वेस्ट वाटर से अधिक डिस्चार्ज करने वाले होटल, रेलवे लोकोमोटिव वर्कशॉप, कॉमन ट्रीटमेंट एंड डिस्पोजल फेसिलिटी, ऑरेंज कैटेगरी में से ऑटोमोबाइल सर्विसिंग, 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक की बिल्डिंग व प्रोजेक्ट, 20 से 100 कमरों तक वाले होटल, मैकेनाइज्ड लांड्री, नए हाईवे का निर्माण को रखा गया है। जबकि ग्रीन कैटेगरी में से फूड ग्रेन्स के ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग व स्टोरेज, बिना वॉयलर के 20 कमरों वाले होटल, 15 केवीए से एक एमवीए तक के डीजल जनरेटर सेट्स को रखा गया है
मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को माना था सर्वोपरि
पर्यावरण मंत्रालय की बैठक के मिनट्स के आधार पर 28 सितंबर, 2016 को टीटीजेड में तदर्थ रोक लगा दी गई थी। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के सदियों तक संरक्षण को विजन डॉक्यूमेंट के मामले में लापरवाही पर टीटीजेड में स्थायी रोक का आदेश कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा विजन डॉक्यूमेंट जमा होने के बाद छह दिसंबर, 2019 को स्थायी रोक हटाई गई थी। इसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए तदर्थ रोक को हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड में केवल ईको-फ्रेंडली व गैर-प्रदूषणकारी अति सूक्ष्म, सूक्ष्म और लघु उद्योगों की स्थापना को नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट (नीरी) और सेंट्रल इंपॉवर्ड कमेटी (सीईसी) की रिपोर्ट को अनिवार्य कर दिया था।
लागू होगा पर्यावरण अधिनियम
सीपीसीबी के प्रभारी अधिकारी कमल कुमार ने बताया कि उद्योग हो या प्रोेसेस या फिर गतिविधि, उस पर पर्यावरण अधिनियम लागू होगा। इसमें किसी तरह की छूट नहीं मिल सकती।
ईको-सेंसिटिव जोन में नहीं दे सकते रियायत
'जागरण' प्रतिनिधि से वार्ता करते हुए पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता ने बताया कि वो सीपीसीबी के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं। टीटीजेड ईको-सेंसिटिव जोन है और उसमें इस तरह रियायतें नहीं दी जा सकती हैं।
देश के विकास का खुला रास्ता
आगरा के उद्योगों को कैटेगरी के फंदे से राहत दिलाने को लद्यु उद्योग निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग, टीटीजेड अथॉरिटी के सदस्य पूर्व विधायक केशो मेहरा व उमेश शर्मा द्वारा प्रयास किए जा रहे थे। उन्होंने लघु उद्योग भारती के संगठन मंत्री प्रकाश के नेतृत्व में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी मुलाकात की थी। राकेश गर्ग ने बताया कि पूर्व में व्हाइट कैटेगरी में बढ़ाए गए उद्योगों को बिना किसी अनुमति के स्वीकार कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में लंबित वादों को छाेड़ दें तो होटल व हॉस्पीटल के लिए अब अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। इस आदेश से देश के विकास का रास्ता खुल गया है। पूर्व विधायक केशो मेहरा ने बताया कि सीपीसीबी ने इंडस्ट्री में होटल, हॉस्पीटल, एयरपोर्ट समेत अन्य गतिविधियों को शामिल कर भूल की थी। इंडस्ट्री वो है जिसमें कच्चा माल लगाकर उत्पाद प्राप्त होता है। सीपीसीबी ने अब अपनी भूल सुधारी है, जिससे विकास का मार्ग साफ होगा। उमेश शर्मा ने बताया कि मार्च, 2016 से पूर्व होटल, हॉस्पीटल किसी कैटेगरी में नहीं थे। उन्हें सीपीसीबी ने गलती से उद्योगों में शामिल किया था। इसके खिलाफ हम शुरू से लड रहे थे, अब सीपीसीबी ने अपनी गलती सुधारी है।