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बल्केश्वर में गोशाला या औरंगजेब का पुस्तकालय, आगरा की मुबारक मंजिल पर इतिहास में बड़े सवाल

राज्य पुरातत्व विभाग संरक्षित स्मारक घोषित करने काे कर रहा है प्रयास। गोशाला को बताया है मुबारक मंजिल इतिहासकारों की राय है भिन्न। आस्ट्रियन इतिहासकार ईबा कोच ने यमुना के दाएं किनारे पर बनीं औरंगजेब की दो हवेलियाें और मुबारक मंजिल का जिक्र किया है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 01:19 PM (IST)
बल्केश्वर में गोशाला या औरंगजेब का पुस्तकालय, आगरा की मुबारक मंजिल पर इतिहास में बड़े सवाल
आगरा में यमुना किनारे बनी प्राचीन हवेलियाें की तस्वीर। इन्हीं में से एक दाराशिकोह की बतायी जाती है।

आगरा, जागरण संवाददाता। राज्य पुरातत्व विभाग ने बल्केश्वर स्थित गोशाला के जिस भवन को मुबारक मंजिल (औरंगजेब का पुस्तकालय) मानते हुए संरक्षित स्मारक घोषित करने को प्रयास शुरू किए हैं, उसके इतिहास पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इतिहासकारों की राय इससे भिन्न है। उनका मानना है कि दाराशिकोह की हवेली मुबारक मंजिल थी। यह आगरा किला से लगी हुई थी। राज्य पुरातत्व विभाग जिसे मुबारक मंजिल बता रहा है, वह आगरा किला से काफी दूर है।

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राज्य पुरातत्व विभाग ने आगरा के जिन आधा दर्जन स्मारकों को संरक्षित घोषित करने का प्रस्ताव राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति की बैठक में रखा था, उनमें से एक मुबारक मंजिल भी है। विभाग द्वारा तैयार बुकलेट के अनुसार यमुना के दाएं किनारे पर 17वीं शताब्दी के निर्मित भवन में लाखौरी ईंटों व रेड सैंड स्टोन का इस्तेमाल हुआ है। भवन के चारों ओर मेहराबदार अनेक प्रवेश द्वार हैं, जिनकी निर्माण कला मुगलकालीन है। मान्यता है कि इस भवन का निर्माण औरंगजेब द्वारा पुस्तकालय के लिए किया गया था। वर्ममान समय में इसे गोशाला के नाम से जाना जाता है। इसके आसपास अनेक कब्रें हैं। स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्मारक संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है।

ईबा कोच ने किया है जिक्र

आस्ट्रियन इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी किताब "द कंप्लीट ताजमहल एंड दि रिवरफ्रंट गार्डंस आफ आगरा' में जयपुर म्यूजियम में प्रदर्शित आगरा के पुराने नक्शे के हवाले से यमुना के दाएं किनारे पर बनीं औरंगजेब की दो हवेलियाें और मुबारक मंजिल का जिक्र किया है। ईबा कोच के अनुसार औरंगजेब की दोनों हवेलियां व मुबारक मंजिल, आसफ खां और शाइस्ता खां की हवेलियाें के बीच थीं।

दाराशिकोह की हवेली थी मुबारक मंजिल

इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि आगरा किला के नजदीक दाराशिकोह की हवेली थी। सामूगढ़ के युद्ध में दाराशिकोह को हराने के बाद औरंगजेब इस हवेली में रुका था और उसने इसे मुबारक मंजिल का नाम दिया था। पुस्तक "आगरा का प्राचीन इतिहास' में भी इसका जिक्र है। लेखक बाला दुबे ने "मोहल्ले आगरा के' में दाराशिकोह द्वारा तीन हवेलियां बनवाने का जिक्र किया है, जिनमें मुबारक मंजिल, कुतुबखाना और पतुरिया महल थे। मुबारक मंजिल के नजदीक ही औरंगजेब की हवेली थी। 


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