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गोबर से बिजली बना रहे गोभक्त इंजीनियर, इस गोशाला में रोज बन रही 300 यूनिट बिजली

बरसाना में रमेश बाबा की श्री माताजी गोशाला में गोबर से बनी बिजली से संचालित हो रहे हैं 14 नलकूप। चंडीगढ के केमिकल इंजीनियर वर्ष 2015 से यहीं रह रहे विज्ञानी पत्‍नी भी साथ। इसी गोशाला में कंप्रेस्‍ड बायो गैस प्‍लांट लगाने के लिए अदाणी ग्रुप से हुआ है करार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 09:28 AM (IST)
गोबर से बिजली बना रहे गोभक्त इंजीनियर, इस गोशाला में रोज बन रही 300 यूनिट बिजली
श्री माताजी गोशाला बरसाना में मौजूद सैकड़ों की संख्‍या में गायें।

आगरा, विनीत मिश्र। 50 हजार से ज्यादा गायों का विशाल समूह। हर रोज 150 टन गोबर। पंजाब की गोभक्त और इंजीनियर दंपती ने यहां अपनी इंजीनियरिंग से बायो गैस प्लांट स्थापित किया। इस प्लांट से यहां रोज 300 यूनिट बिजली उत्पादित हो रही है। बरसाना स्थित श्री माताजी गोशाला में बन रही इस बिजली से गोशाला और मंदिर के विशालकाय प्रांगण में लगे 14 नलकूप संचालित हो रहे हैं।

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श्री माताजी गोशाला के संस्‍थापक रमेश बाबा। 

चंडीगढ़ निवासी चंद्रमोहन केमिकल केमिकल इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी विभा केमिस्ट्री और बायो टेक्नोलाजी की विज्ञानी। चंद्रमोहन का चंडीगढ़ में फार्मास्यूटिकल का बिजनेस था। वे करीब 20 वर्षों से संत रमेश बाबा के सानिध्य में थे। वर्ष 2007 में बरसाना में रमेश बाबा ने श्रीमाता जी गोशाला शुरू की थी। सन 2015 से चंद्रमोहन अपनी पत्नी के साथ यहीं आकर रहने लगे। उन्होंने गोशाला में बर्बाद होते गोबर से बायो गैस बनाने की योजना बनाई। गोशाला प्रबंधन की सहमति के बाद योजना पर अमल करना शुरू कर दिया।

श्रीमाता जी गोशाला में स्थित जेनसेट।

चंद्रमोहन बताते हैं कि शुरुआत में कम गोवंश के कारण कम गोबर मिलता था। इससे बायोगैस बनती थी। बाद में गोवंश बढ़ता गया तो बड़ा प्लांट लगाया। इस प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए उच्च क्षमता के दो जेनरेटर की जरूरत थी। इसके लिए पानी के जहाज में प्रयुक्त होने वाले दो जेनरेटर तलाश किए। करीब साढ़े 14 लाख में दो जेनरेटर खरीदे। वर्ष 2018 से बायो गैस से संचालित ये दोनों जेनरेटर बिजली उत्पादित करते हैं। गोशाला में आटा चक्की भी है। बिजली से ही ये चक्की भी संचालित की जा रही है।

श्रीमाता जी गोशाला स्थित बायोगैस प्लांट।

खेतों के लिए गोबर से खाद भी

चंद्रमोहन बताते हैं कि करीब 30 टन गोबर से एक टन बायोगैस तैयार हो रही है। 30 टन गोबर के बदले बायोगैस तैयार होने के बाद करीब 12 टन स्लेरी (खाद) निकलती है, इसे खेतों में इस्तेमाल किया जाता है।

ये है खास

-50 हजार गायें हैं श्री माताजी गोशाला में।

-150 टन गोबर रोज होता है गोशाला में।

-300 यूनिट बिजली उत्पादित होती है यहां।

-15 नलकूप संचालित होते हैं इस बिजली से।

-40 लाख की लागत आई प्लांट तैयार करने में।

- 26 लाख रुपये का अनुदान मिला शासन से।

- 30 टन गोबर से एक टन बायोगैस तैयार हो रही रोज।

श्रीमाता जी गोशाला में बिजली उत्पादन के लिए लगा प्लांट।

कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट जल्द

गोशाला के सचिव सुनील सिंह ने बताया कि यहां पर अडानी समूह की अडाणी टोटल गैस लिमिटेड यहां कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट लगाएगी। 150 टन गोबर से प्रतिदिन करीब 23 टन कंप्रेस्ड बायो गैस तैयार होगी। संभवत: नवंबर में प्लांट का शिलान्यास होगा और एक साल में ये बनकर तैयार हो जाएगा।

चारा तैयार करने को आधुनिक मशीनें

गोशाला में इतनी बड़ी मात्रा में गोवंश के लिए चारा तैयार करना भी आसान नहीं है। ऐसे में यहां पर मशीनें लगाई गई हैं। इनमें भूसा और दाना डाला जाता है, मशीनें दोनों को मिक्स करती हैं। इसके बाद छोटी मिक्सर मशीन से ही लड़ामनी तक चारा पहुंचाया जाता है।


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