कहीं आप भी तो नहीं पी रहे खांसी के सीरप के नाम पर जानलेवा चाइनीज सॉल्ट का शर्बत
बांकेबिहारी धाम के फ्लैट में बनाया जा रहा था अधोमानक सीरप, कमीशन का लालच देकर हो रही थी धड़ल्ले से सप्लाई।
आगरा, अजय दुबे। नकली दवा फैक्ट्री की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ये दवाएं और सीरप सस्ते चाइनीज सॉल्ट से शर्बत की तरह तैयार हो रहे थे। इन्हें डॉक्टर और झोलाछाप के क्लीनिक पर मोटा कमीशन देकर सप्लाई किया जा रहा था। औषधि विभाग की टीम नकली दवा के रैकेट से जुड़े लोगों को चिन्हित कर रही है।
औषधि विभाग की टीम ने 31 जनवरी को हरिबाबू के दीक्षा श्री बांके बिहारी धाम के फ्लैट नंबर 305 में छापा मारा था। यहां टीम ने दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी थी। औषधि निरीक्षक ब्रजेश यादव ने बताया कि फ्लैट से एक ड्रम में बना हुआ कैल्शियम, विटामिन डी का सीरप, एंटीबायोटिक का ड्राई सीरप, टेबल, टेबलेट के टुकड़े और सॉल्ट (दवा बनाने का केमिकल) जब्त किया था। पूछताछ में सामने आया है कि हरिबाबू दिल्ली से सस्ती दर पर चाइनीज सॉल्ट खरीद कर लाता था, इससे घर पर ही शर्बत की तरह से सॉल्ट में पानी और मीठे के लिए चीनी डालकर सीरप तैयार करता था। इसे बोतल में भरने के बाद पैक कर रेपर चस्पा कर दिए जाते थे। इसके बाद डॉक्टर के क्लीनिक और झोलाछापों को सप्लाई किया जाता था। इन सीरप और दवाओं को एमआरपी से 80 से 90 फीसद कम रेट पर सप्लाई करते थे। जब्त किए गए अधिकांश सीरप और दवाएं बच्चों के लिए तैयार किए गए थे। इसके पीछे एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। रैकेट से लोग चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।
एक लाख में चालू हो गई दवा बनाने की फैक्ट्री
पूछताछ में सामने आया है कि एक लाख में दवा बनाने की फैक्ट्री तैयार कर ली थी। दिल्ली से सीरप और टेबलेट को पैक करने के लिए मशीन खरीदी गई। टेबलेट पैक करने के लिए एल्यूमीनियम फॉइल, खाली बोतल और उसके कैप भी दिल्ली से खरीदे गए। स्थानीय स्तर पर रेपर छपवा लिए, इन रेपर पर मार्केटेड बाई एसडीजी ड्रग फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, जगत नाका सतारा महाराष्ट्र और निर्माता कंपनी पोलो फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड बद्दी लिखा हुआ है।
पांच साल से होलसेल का लाइसेंस
हरिबाबू के पास पांच साल से एसडीजी ड्रग फार्मास्यूटिकल के नाम से भगवती कॉम्प्लेक्स में होलसेल का लाइसेंस था। इसी लाइसेंस की आड़ में उसने दवाओं की मार्केटिंग शुरू कर दी थी।
मरीजों के लिए घातक
बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दी जाती हैं, जिससे मरीज ठीक हो सके। विशेषज्ञों के अनुसार, दवाएं नकली हों, जो सॉल्ट दिया जाता है वह ना हो, उसकी मात्रा कम होने पर मरीज के लिए घातक हो सकता है। मरीज की जान भी जा सकती है।
ये दवाएं, सीरप और रेपर किए जब्त
कैल ओसी (कैल्शियम, विटामिन डी थ्री, जिंक) सीरप - 55 रुपये
कफसिप -ए (कफ सीरप) - 65 रुपये
न्यूपोल, एक्टिपोल एम (बुखार का सीरप) - 48 रुपये
सेलविका (एंटीबायोटिक) सीरप - 48 रुपये
डी सिन इंजेक्शन 500 (एंटीबायोटिक) इंजेक्शन - 70 रुपये
हीलक्लैव 625 एंटीबायोटिक टेबलेट
रिश्वत के ऑडियो रिकॉर्डिंग से पकड़े जाएंगे दलाल
सालों से दवा का काला कारोबार चल रहा है, इसके पीछे एक रैकेट काम कर रहा है। नकली दवा फैक्ट्री चला रहे हरिबाबू ने औषधि निरीक्षक पर 35 लाख रुपये लेने के आरोप का ऑडियो भी दिया है, इस ऑडियो से दवा के काले कारोबार के दलाल पकड़े जाएंगे। सीडीओ रविंद्र कुमार मांदड़ फाइल की जांच कर रहे हैं।
नकली दवाओं का बड़ा रैकेट पकड़ा गया है, इससे जुड़े लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।
शिव शरण सिंह, सहायक औषधि आयुक्त
बच्चों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक की गुणवत्ता खराब होने पर घातक हो सकता है, बच्चों की हालत बिगड़ती चली जाती है।
डॉ. नीरज, बाल रोग विशेषज्ञ एसएन मेडिकल कॉलेज