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सुलहकुल की नगरी में सर्वधर्म संदेश देता एक मंदिर, जानिये क्या है खासियत

कैलाश विहार के मेघ विहार में बना हुआ है सेक्यूलर टेंपल। देव प्रतिमाओं के साथ शहर के चार कोनों पर बनीं दरगाहें भी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 05:14 PM (IST)
सुलहकुल की नगरी में सर्वधर्म संदेश देता एक मंदिर, जानिये क्या है खासियत
सुलहकुल की नगरी में सर्वधर्म संदेश देता एक मंदिर, जानिये क्या है खासियत

आगरा, निर्लोष कुमार। ताजनगरी सुलहकुल की नगरी है। इसके आंचल में हिंदू, बौद्ध, जैन और इस्लामिक संस्कृतियां यहां एक साथ आगे बढ़ीं। उत्तर भारत का पहला अकबरी चर्च यहीं बना। इसी सरजमीं पर मुगल शहंशाह अकबर ने दीन-ए-इलाही की शुरुआत की। यहां के बाशिंदे मंदिरों में घंटे-घडिय़ाल बजाकर आराधना करते हैं तो दरगाहों पर चादरपोशी कर सजदा भी करते हैं। यहां मेघ विहार में बना कम्यूनिटी टेंपल सर्वधर्म संदेश दे रहा है। देव प्रतिमाओं के साथ यहां शहर के चारों कोनों पर बनीं सूफी- संतों की दरगाहें भी हैं। यहां आरती होती है तो चिरागी भी चढ़ती है।

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भगवान ज्ञानदेव और गंगा माता प्रतिमाएं

मेघ विहार में बना भगवान ज्ञानदेव और गंगा माता मंदिर कम्यूनिटी टेंपल के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है। इसका निर्माण वर्ष 2002 में मकर संक्रांति के दिन शुरू हुआ और यह मकर संक्रांति के ही दिन वर्ष 2005 में बनकर तैयार हुआ। भगवान ज्ञानदेव और गंगा माता का एकमात्र सतयुग पर आधारित मंदिर है। मंदिर के दरवाजे के ऊपर स्वास्तिक, चांद व तारा, क्रॉस और पारसियों के धर्म चिह्न बने हैं। मंदिर के चारों कोनों पर शहर के चार कोनों पर बनीं सूफी संत शेख सलीम चिश्ती, बाबा कमाल खां, अबुल उल्लाह और शेरजंग को बनाया गया है। यहां मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, शिवरात्रि, नवरात्रि, गुरु पूर्णिमा, गंगा दशहरा मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति व गंगा दशहरा पर मंदिर में भीड़ उमड़ती है।

गुरु गोरखनाथ प्रतिमा

मंदिर बनवाने वाले योगाचार्य और एप्रूव्ड गाइड डॉ. गोपाल वर्मा बताते हैं कि अपने प्रेरणा स्रोत सतीश कुमार प्रजापति की प्रेरणा से उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसकी थीम 'गॉड इज वन, विद ए डिफरेंट नेम्स' (परमात्मा एक है, लेकिन उसके अलग-अलग नाम हैं) है। इसमें सभी धर्मों का एक साथ समावेश है। मंदिर भक्तों को सीधे भगवान से जोडऩे को बनाया गया है। इसीलिए मंदिर में कोई पुजारी नहीं है।

बाबा कमाल खां

शेरजंग

 

शेख सलीम चिश्ती

अबुल उल्लाह

ताज संवारने वाले कारीगरों ने बनाया मंदिर

हिंदू व इस्लामिक वास्तुकला में बना मंदिर लाखौरी (ककइया) ईंटों से बनाया गया है। इसके लिए विशेष रूप से इन ईंटों को तैयार कराया गया था। मुगलकालीन स्मारकों के समान मंदिर में रेड सैंड स्टोन के तोड़े, मेहराब, छज्जे और जाली वर्क का काम देखने वाला है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सेवानिवृत्त इंजीनियर पीएन कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में मंदिर को उन्हीं कारीगरों ने तराशा है, जिन्होंने ताज, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला का संरक्षण किया है। मंदिर में लगे सागौन की लकड़ी के दरवाजे भी मुगल पैटर्न पर बने हुए हैं। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सेवानिवृत्त बढ़ई द्वारा तैयार किया गया था।

धर्म चिह्न

मंदिर में यह प्रतिमाएं

मंदिर में प्रमुख प्रतिमाएं भगवान ज्ञानदेव (महाकाल/ सत्यनारायण) और गंगा माता की हैं। भगवान विष्णु- लक्ष्मी, शिव परिवार, ब्रह्मा जी, राम दरबार, हनुमान जी, दुर्गा माता, शनिदेव, खाटू श्याम, दाऊजी, संतोषी माता, गणेश जी, कैला देवी, काली माता, गुरु गोरखनाथ, बाबा जाहरवीर, रैना माता, साईं बाबा, भैंरों बाबा, कुबेर, यमुना, अन्नपूर्णा, पथवारी, सप्तऋषि, नवगृह, विश्वकर्मा, राहु और केतु की प्रतिमाएं भी मंदिर में हैं।

टूर ऑपरेटर कर रहे आइटनरी में शामिल

मंदिर को टूर ऑपरेटर अपनी आइटनरी में शामिल कर रहे हैं। सेम टूर ने इसे अपनी आइटनरी में शामिल करने के साथ यूट्यूब पर मंदिर का वीडियो भी अपलोड किया है।


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