29 वीं जंप कैसे बन गई आखिरी, सामने आई गरुण कमांडो के साथ हुए हादसे की वजह
अमित ने अमेरिकन पैराशूट से लगाई थी जम्प। फ्री फॉल कोर्स में कुल 30 लगानी थीं जंप। हवा में संतुलन बिगडऩे से हुआ हादसा। ढाई माह से एयरफोर्स स्टेशन स्थित पीटीएस में ले रहे थे प्रशिक्षण।
आगरा, अमित दीक्षित। वह निडर थे। पलक झपकते ही किसी खतरे को भांपने में सक्षम। खुशमिजाज व्यवहार और हवा में उडऩा पसंदीदा शगल। पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) के उस्तादों की हर बात पर अमल करने वाले कमांडो अमित कुमार गुरुवार रात सबक भूल गए। घबराहट में एक के बाद एक कई गलतियां हुईं। हवा में शरीर का संतुलन बनाने में कामयाबी नहीं मिली। अमेरिकन पैराशूट (एमसी-4) से 29वीं जम्प आखिरी साबित हुई।
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश निवासी अमित कुमार गरुण कमांडो फोर्स में थे। वह भुज, गुजरात में तैनात थे। ढाई माह पूर्व पीटीएस में प्रशिक्षण के लिए आए थे। अमित ने पीटीएस से एडवांस कोर्स किया। अब फ्री फाल ट्रेनिंग कर रहे थे। इस कोर्स में कुल 30 जंप लगानी होती हैं। सबसे पहले कमांडो अमित ने तीन हजार फीट से जंप लगानी शुरू की थी।
हर जंप के बाद कमियों पर चर्चा की गई। गुरुवार रात अमित ने एएन-32 से छह हजार फीट की ऊंचाई से जंप लगाई थी। दस सेकेंड में मुख्य पैराशूट खुल गया। मुख्य पैराशूट की डोरी उलझ गई।
वक्त ने अमित का साथ नहीं दिया। हवा में कलाबाजी लगा दीं। चार हजार फीट की ऊंचाई पर अमित ने रिजर्व पैराशूट खोलने का प्रयास किया, लेकिन शरीर का संतुलन सही नहीं होने से यह भी उलझ गया। एक स्थिति ऐसी भी आई कि कप शेप यानी पैराशूट नीचे और शरीर ऊपर की ओर हो गया। 200 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से जमीन की ओर वे आने लगे। उनका चेहरा आसमान की ओर हो गया। बाएं हाथ में बंधी घड़ी जमीन की दूरी बता रही थी। सही पोजीशन न होने के चलते हर प्रयास बेकार साबित हुआ। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में अमित गिरे। इससे उनके कान से खून निकल आया और गर्दन की हड्डी टूट गई।
30 सेकेंड में जमीन पर आ गिरे अमित
6000 फीट से पैराशूट से जमीन पर आने में छह मिनट लगते हैं। पैराशूट में दिक्कत के कारण अमित महज 30 सेकेंड पर जमीन पर आ गिरे।
सात माह पूर्व हुई थी शादी
कमांडो अमित की शादी सात माह पूर्व हुई थी। पत्नी गृहणी है।
आत्मविश्वास बढ़ाने की जम्प
मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में सभी पैरा के दो से तीन अफसर व जवान आत्म विश्वास बढ़ाने की जंप जल्द लगाएंगे। यह जंप एएन-32 से होगी।
12 हजार फीट तक पहुंचती जम्प
अगर 29वीं जम्प में अमित कामयाब हो जाते तो फिर ऊंचाई को बढ़ाकर 12 हजार फीट कर दिया जाता।
हरक्यूलिस विमान के साथ आए थे पैराशूट
सी-130 जे विमान अमेरिका से भारत ने खरीदे हैं। एक दशक पूर्व एयरफोर्स स्टेशन आगरा में भारत और अमेरिका का युद्धभ्यास हुआ था। इसी दौरान इन विमानों को खरीदने की नींव रखी गई थी। हरक्यूलिस विमानों के साथ पैराशूट व अन्य किट भी शामिल थीं।
विदेशी कमांडो भी पैराजंपिंग की लेते हैं ट्रेनिंग
पीटीएस में भारतीय सेना, एयरफोर्स के अलावा विदेशी कमांडो भी हर साल बड़ी संख्या में पैराजंपिंग की ट्रेनिंग लेते हैं। इसमें श्रीलंका, म्यांमार सहित अन्य देशों के कमांडो शामिल हैं। 12 दिवसीय बेसिक कोर्स में पांच जंप लगाते हैं। पीटीएस में कठिन ट्रेनिंग होती है। फिर फाइनल जंप का रिहर्सल कराया जाता है। रिहर्सल में पास होने के बाद ही जंपर को विमान से कूदने का मौका मिलता है।
हर साल होती है 45 हजार जंप
मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हर साल करीब 45 हजार जंप होती हैं। देश और विदेश से सैन्यकर्मी यहां आते हैं।
कई बार पेड़ों और खेतों में गिरते हैं जंपर
मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हर दिन सुबह पांच बजे से जंप शुरू हो जाती हैं। अधिकांश जंप एएन-32 विमान से होती हैं। हर दिन 300 से अधिक पैराजंपर जंप लगाते हैं। तेज हवा के बहाव के चलते कई बार पैराजंपर जोन के आसपास खड़े पेड़ों या फिर खेतों में गिर जाते हैं।
एक साल में तीसरे पैराट्रूपर के साथ हुआ हादसा
एक साल के भीतर मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में तीसरे पैराट्रूपर के साथ हादसा हुआ है। तीनों ही हादसों में पैराशूट न खुलने या फिर इसमें दिक्कत आने के कारण हादसा हुआ।
प्रथम हादसा
23 मार्च 2018:
गेहलब पलवल हरियाणा निवासी लांस नायक सुनील कुमार ने एएन-32 से आठ हजार फीट से जंप लगाई थी। पैराशूट न खुलने से सुनील मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में गिरे थे। उनकी दो साल पहले ही शादी हुई थी और एक बच्चा है।
दूसरा हादसा
15वीं जंप हरदीप की रही आखिरी:
पटियाला (गांव तलबंदी, थाना समाना सदर) पंजाब निवासी हरदीप सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह असोम के मीसामारी क्षेत्र में तैनात थे। 11वें रेजीमेंट और पैरा के जवान हरदीप ने पीटीएस से बेसिक कोर्स किया था। वह पिछले माह प्रशिक्षण के लिए आए थे। नौ नवंबर 2018 को अमेरिकन पैराशूट से 15वीं जंप लगाई थी। यही आखिरी साबित हुई।
पिता के सपने की उड़ान को पंखों का धोखा
गरीब, मेहनतकश परिवार के एक बेटे का सपना था वायुसेना में जाना। उसे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए पिता ने मेहनत-मजदूरी की। बेटे को इस लायक बनाया कि वह अपने सपने को साकार करने के साथ देश की सेवा कर सके। पिता की उम्मीदों पर खरा उतरकर बेटा सेना में भर्ती भी हो गया। परिवार को आस जगी कि उनकी गरीबी दूर होगी। वे अच्छा जीवन व्यतीत कर सकेंगे, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार को जिला कांगड़ा की बड़ोह तहसील के बूसल गांव के शक्ति सिंह घर को पलस्तर करवाने की तैयारी कर रहे थे कि इस दौरान उन्हें बड़े बेटे अमित सिंह की देश पर कुर्बान होने की खबर आ गई। इससे तो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। अमित सिंह की मौत से पूरे गांव शोक में डूब गया है। कमांडो अमित परिवार का बड़ा बेटा होने के साथ-साथ इकलौता कमाने वाला था। हालांकि उसका छोटा भाई पिछले साल से प्राइवेट नौकरी कर रहा है, लेकिन पूरा परिवार मुख्य रूप से अमित पर ही निर्भर था। भर्ती होने के बाद पिछले वर्ष से अमित ने नया घर बनाने का काम शुरू किया था। जिसकी छत तो डाल दी है, लेकिन अभी पलस्तर करवाना बाकी है। अमित सिंह की दो वर्ष पहले ही संगीता देवी से शादी हुई थी। भाग्य की विडंबना है कि दो वर्ष बाद ही संगीता का सुहाग उजड़ गया।