आचार संहिता, कभी उल्लंघन तो कहीं पालन, पढ़ें क्या रहा है नियम पालन में तंत्र का हाल
आचार संहिता प्रभाव में शिथिल पड़ जाते नियम। नहीं होती बड़ी कार्रवाई तो प्रत्याशी भी रहते गंभीर।
आगरा, पंकज कुलश्रेष्ठ। चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का। यहां तक कि स्थानीय निकाय और ग्र्राम पंचायत चुनावों में भी आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ती रही हैं। चुनाव आयोग हर बार निष्पक्ष चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता बनाता है। इसका मूल उद्देश्य सभी प्रत्याशियों के लिए प्रचार के समान अवसर प्रदान कराना और चुनाव को प्रभावित करने वाली हरकतों पर अंकुश लगाना होता है।
वैसे तो प्रत्याशियों से ही अपेक्षा होनी चाहिए कि वह खुद इस आचार संहिता का पालन करें। कई बार तो नामांकन के दौरान ही आचार संहिता तार-तार हो जाती है। नामांकन, प्रचार, जनसभा कहीं भी चुनाव आयोग के आदेश-निर्देशों को अक्षरश: पालन नहीं होता है। पिछले चुनाव इस बात के गवाह हैं कि आचार संहिता के उल्लंघन में कोई गंभीर और बड़ी कार्रवाई न होने के कारण प्रत्याशी इसके प्रति गंभीर नहीं रहे हैं। उन्हें लगता रहा है कि कोई मामला दर्ज भी होगा तो उसका दुष्परिणाम इतना बुरा नहीं होगा, मुकाबिल इसके कि उन्हें वोट के रूप में लाभ मिल जाए। बड़े और प्रभावशाली नेताओं के सामने तो कई बार नियम ही शिथिल पड़ जाते हैं। इस बार स्थिति कुछ बदली लग रही है। प्रशासन भी इस दिशा में तैयार है। चुनाव की घोषणा के साथ ही झंडे-बैनर और होर्डिंग हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। इस बार प्रशासन ने उल्लंघन के मामलों में कार्रवाई के लिए समय की बाध्यता डाल दी है, जिससे आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर रोक की संभावना है। सी विजिल एप भी आयोग की मंशा का पालन करने में सहयोग करे।
फीरोजाबाद में हर बार उड़ी आचार संहिता की धज्जियां
आदर्श आचार संहिता के पालन में प्रत्याशी कभी सतर्कता नहीं बरतते। नामांकन के लिए प्रत्याशी गाडिय़ों का काफिला लेकर चलते हैं। कुछ तो रिटर्निंग ऑफीसर के कक्ष में भी नियम तोड़ देते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रत्याशी और उनके समर्थक आचार संहिता का उल्लंघन कर देते हैं। इस पर कार्रवाइयां भी हुई हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में राजनैतिक दलों और प्रत्याशियों को 96 नोटिस जारी किए गए थे। इनमें से अधिकांश बिना अनुमति होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर, बाल पेंङ्क्षटग के संबंध में दिए गए। कुल 1.89 लाख रुपये की वसूली की कार्रवाई भी हुई। इस बार प्रशासन ने आचार संहिता के उल्लंघन रोकने की पूरी तैयारी कर ली है। निर्वाचन आयोग ने भी सी विजिल एप का हथियार दिया है। कार्रवाई के लिए भी समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। इस बाबत एसएसपी सचिंद्र पटेल का कहना है कि आचार संहिता का सख्ती से पालन कराया जाएगा। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज मुकदमों में से चार का निपटारा हो चुका है। बाकी पर नियमानुसार कार्रवाई चल रही है।
क्या रही मुकदमों की स्थिति
-12 मुकदमे दर्ज किए गए 2014 के लोकसभा चुनाव में।
-18 मुकदमे दर्ज किए गए 2017 के विधानसभा चुनाव में।
उल्लंघन रोकने के ये हैं इंतजाम
-05 विधानसभाएं हैं जिले में।
-15 उडऩदस्ते तैनात।
-05 वीडियो सर्विलांस टीमें हैं।
-05 वीडियो अवलोकन टीमें।
-15 स्टैटिक सर्विलांस टीमें।
2014 में मथुरा में नहीं हुआ आचार संहिता का उल्लंघन
भले ही 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई गई हों, लेकिन कागजों पर यह चुनाव बिल्कुल साफ सुथरा रहा। पिछले लोकसभा चुनाव में आचार संहिता उल्लंघन की कोई भी एफआइआर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई है।हालांकि 2107 विधानसभा चुनाव में 33 एफआइआर हुई हैं। इस वर्ष भी निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रत्याशियों पर निगाह रखी जाएगी। दस से ज्यादा गाडिय़ों का काफिला एक साथ नहीं चल सकेगा। नामांकन के दौरान 200 मीटर पहले ही सभी गाडिय़ां रोक दी जाएंगी, नामांकन के लिए प्रत्याशी के साथ पांच समर्थक ही जा सकेंगे। प्रत्याशियों के खर्च पर निगाह रखी जाएगी। चुनाव प्रत्याशियों की गतिविधियों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी। यदि प्रत्याशी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने पर एफआइआर कराई जाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कोई भी एफआइआर नहीं हुई है। इस वर्ष भी चुनाव निष्पक्ष कराने की तैयारी है। आचार संहिता का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
ज्ञानेंद्र कुमार, एसपी सुरक्षा, नोडल अधिकारी
मैनपुरी में प्रशासन कड़ाई के लिए तैयार
आचार संहिता के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार का लालच देने, भयभीत करने, सरकारी भवन व भूमि पर पोस्टर लगाने जैसे कई मुद्दे हैं जिस पर हर प्रत्याशी के लिए आचार संहिता बनी हैं। जनसंपर्क के दौरान वाहनों का काफिला लेकर चलना, बिना अनुमति सभाओं का आयोजन आदि आचार संहिता की परिधि में आता है।
वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकारियों ने आचार संहिता का कड़ाई से पालन किया था। जिलेभर के थानों में 70 से अधिक मामले दर्ज कराए गए थे। इन मामलों में जांच के बाद पत्रावलियों को अदालत में भेजा जा चुका है। कई मामलों में अदालत संज्ञान ले चुका है। प्रशासन का मूड देखकर इस बार भी आचार संहिता का कड़ाई से पालन होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
आगरा में नौ मामले ही दर्ज हुए, कोई ठोस कार्रवाई नहीं
पिछले चुनाव में जमकर आचार संहिता उल्लंघन हुआ। मगर, कार्रवाई नाम के लिए की गई। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में आचार संहिता उल्लंघन के नौ केस दर्ज हुए। इनमें से कुछ केस बिना अनुमति के सभा के थे तो कुछ मामले पोस्टर और पंफलेट पर मुद्रक का नाम न होने के थे। इन सभी में पुलिस ने चार्जशीट लगा चुकी है।