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सर्द हवा में सीख रहे जिंदगी का सबक, ये है सरकारी स्‍कूलों का हाल Agra News

आगरा में 166 में से 50 स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर। जान जोखिम में डाल पढ़ते हैं बच्चे। कई जगह खुले में लग रहींं कक्षाएं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 10:22 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 10:22 AM (IST)
सर्द हवा में सीख रहे जिंदगी का सबक, ये है सरकारी स्‍कूलों का हाल Agra News
सर्द हवा में सीख रहे जिंदगी का सबक, ये है सरकारी स्‍कूलों का हाल Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। ये सर्दी भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों पर सितम बनकर टूटेगी। पढऩे का ख्वाब संजोने वाले बच्चे या तो ठिठुरते और सर्द हवाओं के थपेड़े खाते हुए बीमार होने की परवाह किए बिना स्कूल जाएंगे, या छुट्टी मारकर खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करेंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे, गुरुवार को सीजन के पहले सबसे सर्द दिन शहर के परिषदीय स्कूलों में कुछ यही बानगी नजर आई।

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सीजन में पहली बार पड़ी कड़ाके की सर्दी से ही परिषदीय स्कूलोंं पढ़ाई बेपटरी नजर आई। आलम यह रहा कि जिन विद्यालयों की बिल्डिंग दुरुस्त थी, वहां सिर्फ छात्र संख्या कम रही, लेकिन जिन विद्यालयों में बिल्डिंग जर्जर या छत नहीं थी, वहां छात्र या तो पहुंचे ही नहीं, या खुले आसमान के नीचे टिपटिप टपकती बूंदों और सर्दी के बीच अपने सबक सीखते मिले। ऐसा हाल एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों विद्यालयों का हाल था।

बच्चे नहीं पहुंचे, शिक्षामित्र तापती मिलींं अलाव

माईथान बेसिक विद्यालय की बिल्डिंग खुद की है, लेकिन वित्तीय घोटाले में फंसी बिल्डिंग 15 साल भी नहीं चली और शुरू होने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गई है। इस कारण स्कूल को दो कमरों में चलाना पड़ता है, जिस पर टिनशेड पड़ी है। एक कमरा ठीक है, जबकि दूसरे की छत बरसात में टपकती है। गुरुवार को सर्दी के कारण एक भी बच्चा पढऩे के लिए स्कूल नहीं पहुंचा, प्रधानाध्यापिका ऊषा देवी छुट्टी पर थीं। दो शिक्षामित्र रेखा वर्मा और नीलम कुमारी स्कूल में बैठी मिली और सर्दी से बचने को अलाव ताप रही थीं। शिक्षामित्र ऊषा रानी नहीं मिलीं, बताया कि वह बच्चों को बुलाने गई हैं।

खुले आसमान के नीचे पढ़ाई

जगदीशपुरा स्थित प्राचीन प्राथमिक विद्यालय में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते मिले। बैठने के जगह कम थी, क्योंकि उसी मैदान में मकान मालिक की कार खड़ी थी। इसलिए आधे बच्चे मैदान में, तो शेष गली में बैठकर खुले में पढऩे को मजबूर थे। स्कूल की छात्र संख्या गुरुवार को 70 थी। शेष बच्चे सर्दी के कारण नहीं आए।

पढऩा है, तो क्यों करें फिक्र

जगदीशपुरा प्राथमिक विद्यालय के छात्र राजू ने बताया कि पढऩा चाहते हैं, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं, इसलिए भले में ठंड में ठिठुरें या भीगें, लेकिन पढऩा है, तो सब झेलना ही होगा।

इन स्कूलों के हैं खराब हाल

किराए के जर्जर भवन

प्रा. कन्या विद्यालय नामनेर, प्रा. विद्यालय नगला फकीरचंद, प्रा. विद्यालय रतनपुरा, प्रा. कन्या विद्यालय वजीरपुरा, प्रा. विद्यालय बिहारीपुरा, प्रा. विद्यालय नगला अजीता, प्रा. विद्यालय बल्काबस्ती, प्रा. विद्यालय गोकुलपुरा, प्रा. विद्यालय जगदीशपुरा।

निजी जर्जर भवन

प्रा.वि. बीमा नगर, कंसखार, प्रा. वि. बाल गोवर्धन दास, प्रा. वि. मऊ, प्रा. वि. सिकंदरा कन्या, प्रा. वि. घेर कन्या, प्रा. वि. छलेसर, प्रा. वि. नगला बूढ़ी, प्रा. वि. ईदगाह, प्रा. वि. कन्या ढोलीखार, प्रा वि श्यामा देवी अनुदानित।

शहर का ये है हाल

शहरी क्षेत्र में 166 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें 133 प्राथमिक व 33 जूनियर हैं। इनमें से करीब 45 किराए की बिल्डिंग में संचालित है, शेष के पास अपनी बिल्डिंग है। इसके बाद भी करीब 50 के करीब स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर है या बरसातों में छत टपकती है। 30 में शौचालय भी नहीं, जिनमें से 15 जूनियर हैं, जिस कारण शिक्षिकाओं और बड़ी छात्राओं को मुश्किल समय में दिक्कत झेलनी पड़ती है।

20 स्कूलों का होगा कायाकल्प

सहायक बेसिक शिक्षाधिकारी नगर नीलम सिंह ने बताया कि शहर के जर्जर स्कूलों को सुधारने के लिए प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका है। दो करोड़ की धनराशि से 20 स्कूलों को सुधारा जाएगा। बजट भी स्वीकृत हो चुका है। इससे दबकैयां प्राइमरी-जूनियर, प्रेमनगर, मालवीय कुंज प्राइमरी-जूनियर, सिकंदरा, गैलाना, बल्केश्वर, वजीरपुरा, महताबबाग, एमपी पुरा, राजेंद्र नगर, छीपीटोला, माईथान आदि शामिल हैं। वहीं किराए के दो स्कूलों जगदीशपुरा और गौबर चौकी के मामले में विभाग बातचीत कर वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश कर रहा है।  


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