आगरा में सातवीं की छात्रा ने अन्य छात्रा को सबक सिखाने के लिए बनाई फेक आइडी
पुलिस ने फेसबुक पर बनाई गई फेक आइडी बंद कर दी, छात्रा का नाम सामने आने पर पीड़ित छात्रा के परिजनों ने कार्रवाई से मना कर दिया।
आगरा (जागरण संवाददाता)। शहर के नामचीन कॉन्वेंट स्कूल की एक छात्रा ने साथी छात्रा को सबक सिखाने के लिए बड़ी शरारत कर डाली। फेसबुक पर छात्रा की फेक आइडी बनाकर दोस्तों से चैटिंग शुरू कर दी। जानकारी होने पर छात्रा के परिजनों ने साइबर सेल में शिकायत की। सदर क्षेत्र की दो बालिकाएं हरीपर्वत क्षेत्र के कॉन्वेंट स्कूल में सातवीं में पढ़ती है। दोनों के सेक्शन भी अलग-अलग हैं। उनकी आपस में बनती नहीं थी, इसीलिए एक छात्र ने दूसरी को सबक सिखाने के लिए शरारत कर डाली।
उसने साथी छात्र के नाम से फेसबुक पर फेक आइडी बनाई और प्रोफाइल में उसकी फोटो भी लगा दी। इसके बाद वह उसके दोस्तों से चैटिंग करने लगी दो तीन दिन तक यह दौर चलता रहा। कुछ साथी छात्रों ने छात्र से कहा कि आजकल वह फेसबुक पर बहुत एक्टिव रहती है। उनकी बात सुनकर छात्र को आश्चर्य हुआ। क्योंकि छात्रा ने फेसबुक पर आइडी ही नहीं बनाई थी।
उसने पूरा मामला परिजनों को बताया। छात्रा के परिजनों ने हरीपर्वत पुलिस और साइबर सेल में मामले की शिकायत की। साइबर सेल ने वह मोबाइल नंबर ट्रेस कर लिया, जिससे फेसबुक पर फेक प्रोफाइल बनाई गई थी। कॉल करने पर जानकारी हुई कि वह छात्रा की क्लासमेट थी।
पुलिस ने फेसबुक पर बनाई गई फेक आइडी बंद कर दी। छात्रा का नाम सामने आने पर पीड़ित छात्रा के परिजनों ने कार्रवाई से मना कर दिया। उन्होंने फेक आइडी बनाने वाली छात्रा के परिजनों से इसकी शिकायत की। उन्होंने डांटकर उसे भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी दी। स्कूल में भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
जुर्म की श्रेणी में है यह शरारत: फेसबुक पर किसी की फेक आइडी बनाकर उससे चेटिंग कर लोगों को गुमराह करना कानूनन अपराध है। आइटी एक्ट की धारा 66(डी) के तहत इसमें तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
बढ़ रही है साइबर बुलिंग: साइबर बुलिंग एक अपराध है जो बच्चों या टीनएजर्स को टॉर्चर करने के लिए किया जाता है। जानकारों का कहना है कि साइबर बुलिंग एक तरह का ऐसा बर्ताव है जो ऑनलाइन किया जाता है। इसमें झूठी अफवाहें, गंदी तस्वीरों के द्वारा बच्चों को टॉर्चर किया जाता है। कई बार ऑनलाइन गेम्स भी बच्चों पर साइबर बुलिंग जैसा बर्ताव करते हैं। इसके लिए अभिभावक काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं क्योंकि बच्चों को बचपन से ही इंटरनेट और ऑनलाइन के जाल में झोंक दिया जाता है।
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साइबर हाइजीन का दें ज्ञान: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन का कहना है कि बच्चों के हाथ में मोबाइल और इंटरनेट देने से पहले उन्हें साइबर हाईजीन और नेटीकेट्स की जानकारी जरूर दें। उन्हें बताएं कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने में सोशल मीडिया पर दोस्तों का मजाक न बनाएं।
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