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आगरा में सिविल सोसायटी की मांग, फ्लाइट से नहीं होता वायु प्रदूषण, ढांचागत योजनाओं को पूरा कराएं

सिविल सोसायटी आफ आगरा ने पं दीनदयाल एयरपोर्ट योजना का कार्यान्वयन न होने पर उठाए सवाल। सिविल एयरक्राफ्ट उस एयर कारिडोर में उड़ान भरता है जो कि 41 हजार मीटर की ऊंचाई पर चिह्नित है। हरियाली वाटिका में सोसायटी ने की प्रेसवार्ता।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 03:34 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 03:34 PM (IST)
आगरा में सिविल सोसायटी की मांग, फ्लाइट से नहीं होता वायु प्रदूषण, ढांचागत योजनाओं को पूरा कराएं
हरियाली वाटिका में हुई प्रेसवार्ता में सिविल सोसायटी के सदस्य।

आगरा, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। इससे आगरा के लोगों के जख्म एक बार फिर हरे हो गए हैं। आगरा की अनदेखी कर जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण को वो अपने हक पर कुठाराघात मान रहे हैं। शुक्रवार को सिविल सोसायटी आफ आगरा ने ताजनगरी में पं. दीनदयाल एयरपोर्ट योजना का कार्यान्वयन न होने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। सोसायटी ने दावा किया कि फ्लाइटों से वायु प्रदूषण नहीं होता है, जरूरत ढांचागत योजनाओं को पूरा कराने की है।

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हरियाली वाटिका में हुई प्रेसवार्ता में सोसायटी के अध्यक्ष शिरोमणि सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माना है कि पर्यटन उद्योग के पनपने के लिए एयर कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है। सरकारें आगरा के परिप्रेक्ष्य में इस बात को नहीं समझ सकी हैं। वर्ष 2013 में कोठी मीना बाजार मैदान में जब नरेंद्र मोदी (तब प्रधानमंत्री नहीं) ने इस संबंध में घोषणा की थी, तब सोसायटी को भी उम्मीद जगी थी। प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा टर्म अभी आधा बीत चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया। बसपा सरकार के समय सिविल एन्क्लेव को एयरफोर्स परिसर से बाहर लाकर जनपहुंच लायक बनाने को जो कार्रवाई हुई थी, उसके बाद के चरण को सपा और भाजपा सरकार आगे नहीं बढ़ा सकीं। प्रेसवार्ता में वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना, राम टंडन, अभिनय प्रसाद मौजूद रहे।

फ्लाइट से नहीं होता वायु प्रदूषण

सोसायटी के महासचिव अनिल शर्मा ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाए कि फ्लाइट से वायु प्रदूषण नहीं होता। दो मिनट से कम समय में संपन्न होने वाली लैंडिंग और टेक आफ से संबंधित आपरेशन के अलावा सिविल एयरक्राफ्ट उस एयर कारिडोर में उड़ान भरता है जो कि 41 हजार मीटर की ऊंचाई पर चिह्नित है। यह बादलों की ऊंचाई से भी एक हजार मीटर अधिक ऊंचा है और बादल ताज ट्रेपेजियम जोन के अध्ययन या प्रबंधन की सीमा में नहीं आते हैं।

सहज पहुंच का है अभाव

आगरा में फ्लाइट बढ़ाने की मांग तक आगरा की मुश्किलों को सीमित मान लिया गया है, जबकि ढांचागत जरूरत और जन पहुंच लायक सिविल एन्क्लेव का होना बहुत आवश्यक है। सामान्य व्यक्ति सिविल एन्क्लेव तक न तो जा सकता और न वहां से आ सकता है। यहां का एयरपोर्ट वीआइपी मेहमानों, उनके मेजबानों व चुनींदा एयरलाइंस के यात्रियों की पहुंच तक सीमित है।

नागरिक उड्डयन मंत्री को आगरा बुलाया जाए

सोसायटी का मानना है कि नागरिक उड्डयन मंत्री को आगरा बुलाकर उन्हें वायु यातायात से संबंधित स्थानीय समस्याओं से अवगत कराया जाए, जिससे सरकार के पास लंबित फाइलों का निस्तारण तेजी से कराना संभव हो सकेगा। अाम नागरिक उपभोक्ताअेां के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय से संवाद बढ़ाने जाने की जरूरत है।

शीघ्र शिफ्ट हो सिविल एन्क्लेव

सोसायटी ने मांग की कि अगर सिविल एयरपोर्ट को वायुसेना परिसर से बाहर लाने की योजना है तो अर्जुन नगर गेट पर पैसेंजर लाउंज बनाने की योजना को क्रियान्वित कराने का कोई औचित्य नहीं है। सरकारी प्रयासों के अनुसार अगर सिविल एन्क्लेव धनौली शिफ्ट हो गया तो दो वर्षों के लिए करोड़ों रुपये खर्च नहीं किए जाने चाहिए। सिविल एन्क्लेव को धनौली में शिफ्ट करने का काम तेजी के साथ किया जाए।

सरकार की भूमिका पर सवाल

ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी, आगरा में एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को क्लीयर नहीं करा सकी। कोर्ट कार्रवाई में पक्षकार के रूप में उप्र सरकार की भूमिका विचारणीय है। वायुसेना परिसर से सिविल एन्क्लेव को बाहर लाने से संबंधित मुकदमे में सरकार जब से पक्षकार बनी है, तब से उसकी भूमिका तटस्थ रहकर न्यायिक आदेशों का अनुपालन कराने तक सीमित न रहकर सक्रिय भागीदार की हो चुकी है। पक्षकार होने के बावजूद सरकार जनता या शासन का पक्ष रखने में संकोच रखती है, ऐसे में जनप्रतिनिधियों की जनपक्ष की प्रबलता मुखर करने में अधिक जिम्मेदारी होती है। जनप्रतिनिधि सदन में उसके बाहर आगरा के एयरपोर्ट की रुकावट के कारणों को नहीं उठा सके। पिछले चार वर्षों में मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन या अन्य उपयुक्त सक्षम अधिकारी के साथ बैठक कर एयरपोर्ट संबंधी वाद के संबंध में सुझाव देने का अवसर उनहेंने कभी नहीं ढूंढ़ा। सरकार ने सिविल एन्क्लेव के संबंध में न्यायालय में जो कहा है या रखा है, वो मुकदमे के पक्षकार के रूप में न होकर महज सूचना प्रदाता के रूप में ही है। 


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