नहीं कोई यहां सुनने वाला, पुलिस प्रशासन की बेरुखी से कोमा में खोई जिंदगी Agra News
अनाथालय सील होने के बाद बच्चों का चार स्थानों पर बना ठिकाना पढ़ाई छूटी। पूर्व में अनाथालय में रहे युवक और युवतियों ने किया आंदोलन फिर भी न खुला ताला।
आगरा, जागरण संवाददाता। 40 दिन पहले अनाथालय में हुई एक घटना ने अनाथ बच्चों की जिंदगी तबाह कर दी। आरोपित जेल चले गए, और पीडि़ता के मुकदमे की पुलिस जांच कर रही है। मगर, यहां रहने वाले 40 बच्चे न सिर्फ बेघर हुए हैं बल्कि उनकी पढ़ाई भी छूट गई। पूर्व में रह चुके बच्चे अब पांच स्थानों पर रह रहने को मजबूर हैं। यहां हुए अपराध की सजा प्रशासन ने निर्दोष बच्चों को दे दी।
एत्माद्दौला क्षेत्र में स्थित अनाथालय की एक किशोरी ने तीन अक्टूबर को यमुना में छलांग लगा दी थी। किनारे मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया। इसके बाद किशोरी ने तीन युवकों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पुलिस ने रात को ही मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार किया। दूसरे दिन उन्हें जेल भेज दिया गया। अनाथालय में भ्रमण को आईं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष को यहां तमाम कमियां मिलीं। इसके बाद प्रशासन ने जेजे एक्ट में पंजीकरण न होने की बात कहकर अनाथालय सील कर दिया। यहां रहने वाले बच्चों को अलग-अलग स्थानों पर शिफ्ट कर दिया। इनमें से छोटे बच्चे आगरा बनस्थली में पढ़ रहे थे। कुछ लड़कियां दयालबाग विवि से स्नातक कर रही थीं। जबकि एक बीएड की पढ़ाई कर रही थी। दो अन्य लड़कियां आगरा कॉलेज में पढ़ रही थीं। इन सभी की पढ़ाई छूट गई। पूर्व में अनाथालय में रह चुके युवकों और विवाहित महिलाओं ने ताला खुलवाने को 15 दिन धरना प्रदर्शन किया। प्रशासन के कहने पर कमेटी भी बना ली। मगर, इसके बाद भी उन्हें फुटबॉल बना दिया। हारकर वे फिलहाल घर बैठ गए। अब आगे की रणनीति बना रहे हैं। मगर, प्रशासन बच्चों का दर्द समझने को तैयार नहीं है।
बिना जेजे एक्ट में पंजीकरण के चल रहे कई आश्रय गृह
प्रशासन ने जेजे एक्ट में पंजीकरण न होने की बात कहकर अनाथालय को बंद करा दिया। मगर, शहर में कुछ अनाथालय अभी भी बिना जेजे एक्ट में पंजीकरण के चल रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि इनकी प्रक्रिया चल रही है।
कब क्या हुआ
3 अक्टूबर- अनाथालय की एक युवती यमुना में कूदी। उसने दुष्कर्म का आरोप लगाया।
4 अक्टूबर- राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष शुषमा सिंह निरीक्षण को पहुंचीं। तमाम कमियां निकलीं।
5 अक्टूबर- किशोरी से दुष्कर्म के तीनों आरोपितों को पुलिस ने जेल भेज दिया।
6 अक्टूबर- प्रशासनिक अधिकारियों ने जेजे एक्ट में पंजीकरण न होने पर अनाथालय को सील कर दिया। यहां रहने वाले बच्चों को अलग-अलग स्थानों पर शिफ्ट कर दिया।
7 अक्टूबर- अनाथालय में पूर्व में रह चुके युवक और विवाहित महिलाओं ने गेट पर धरना शुरू कर दिया।
10 अक्टूबर- पीडि़ता की मेडिकल रिपोर्ट आ गई, इसमें दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई।
11 अक्टूबर- पीडि़ता के पुलिस ने कोर्ट में बयान दर्ज कराए।
13 अक्टूबर- पीडि़ता को भाई ने अपनी सुपुर्दगी में लेने से इन्कार कर दिया।
20 अक्टूबर- एक बच्ची को उसके परिजन साथ ले गए।
26 अक्टूबर- छह किशोरियों को राजकीय बालिका गृह कानपुर भेज दिया।
कहां-कहां बना अनाथों का ठिकाना
एत्माद्दौला क्षेत्र में स्थित अनाथालय में 41 बच्चे थे। इनमें से एक दुष्कर्म के आरोप में जेल भेज दिया गया। अब 10 से 18 वर्ष के 14 बच्चों को राजकीय बाल गृह शिशु शाहगंज में रखा गया है। जबकि 10 से 18 वर्ष के 13 बच्चे फीरोजाबाद स्थित बालगृह में भेजे गए हैं। पीडि़ता का एक भाई बालिग है। उसकी सुपुर्दगी में छोटे भाई को भी दे दिया है। वे किराए पर रह रहे हैं। अनाथालय में रह रही 10 बच्चियों और एक पीडि़ता को अस्थाई रूप से आशा ज्योति केंद्र में पनाह दी गई थी। एक बच्ची को उसके परिजन ले गए। छह किशोरियों को राजकीय बालिका गृह कानपुर भेज दिया। इस समय अनाथालय में पीडि़ता समेत पांच लड़कियां आशा ज्योति केंद्र में हैं। ये लड़कियां कॉलेज में पढ़ रही थीं, लेकिन अब इनकी पढ़ाई छूट गई है।