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डाइटिंग के चलते कमजोर हो रहे नौनिहाल, अभिभावकों की बढ़ी टेंशन Agra News

गलत डाइटिंग से आ रही कमजोरी। अभिभावक हो रहे परेशान बच्चों में बढ़ा मोटापा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 08:29 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 08:29 AM (IST)
डाइटिंग के चलते कमजोर हो रहे नौनिहाल, अभिभावकों की बढ़ी टेंशन Agra News
डाइटिंग के चलते कमजोर हो रहे नौनिहाल, अभिभावकों की बढ़ी टेंशन Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। कमलानगर में रहने वाली 11 साल की रक्षंदा के अभिभावक काफी परेशान हैं। रक्षंदा ने पिछले एक महीने से डाइटिंग के नाम पर खाना-पीना छोड़ा हुआ है। शाम को वॉक पर जाती है। यू-ट्यूब और गूगल पर सर्च करके अपने लिए पतले होने के टिप्स ढूंढती है। अब स्थिति यह हो गई है कि रक्षंदा की आंखों के नीचे कालापन आ गया है। कमजोरी इतनी है कि अक्सर बुखार रहने लगा है। यह स्थिति अकेले रक्षंदा की नहीं बल्कि शहर के कई बच्चों की है। 10 से 14 साल के बच्चे अब डाइटिंग की राह पर चल निकले हैं।

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पिछले कुछ सालों में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ा है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार चाइना के बाद भारतीय बच्चों में मोटापा एक महामारी के रूप में फैल रहा है। 21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या के रूप में बच्चों का मोटापा सामने आया है। दो से चार साल तक के बच्चों में मोटापे का प्रतिशत जहां 15 से 20 प्रतिशत हैं, वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों में यह प्रतिशत बढ़कर 35 से 45 प्रतिशत तक हो गया है।

फास्ट फूड है इसका कारण

वैसे तो इसके पीछे कई कारण हैं। लेकिन आज के समय में जितनी तेजी से बच्चे फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं, उससे मोटापे की समस्या भी तेजी से बढ़ी है। मैदा और फैट दोनों ही चीजें बच्चे अपनी हर खुराक में शामिल कर रहे हैं। रोटी और फल-सब्जियों से दूरी भी इसका एक कारण है।

तथाकथित डाइटिंग से हो रही कमजोरी

बच्चों के लिए पतला होना मतलब खाना छोड़ना होता है। बिना किसी जानकार की सलाह के वे बहाने से खाना-पीना बंद कर देते हैं। इस वजह से बच्चों को कमजोरी हो रही है। पीडियाटिक डा. अरूण जैन बताते हैं कि उनके पास ऐसे कई अभिभावक आ रहे हैं जो अपने बच्चों की डाइटिंग से परेशान हैं। खाना नहीं खाने से कमजोरी आ रही है। सिर दर्द, चश्मा लगना, हर समय सुस्ती रहना, बुखार आना जैसे लक्षण बच्चों में सामान्य रूप से देखने को मिल रहे हैं।

बच्चों को दे रंगोली जैसी थाली

डाइटिशियन डा. रेणुका डंग बतातीं हैं कि उनके पास ऐसे कई अभिभावक आते हैं जो बच्चों की डाइटिंग से परेशान हैं। बच्चे डाइटिंग के नाम पर रोटी खाना भी बंद कर देते हैं। वजन कम करने के लिए बच्चों को थाली ऐसी दें, जिसमें पांच रंग का खाना हो। पीली दाल, सफेद चावल, हरी सब्जी, रायता, सलाद सब हो। इससे उन्हें कमजोरी भी नहीं आएगी और वजन भी कम होगा।

खेल गतिविधियां हो गईं कम

बच्चे अब अपना ज्यादातर समय टीवी और मोबाइल पर बिताने लगे हैं। खेलकूद में ध्यान ही नहीं है। शाम के समय खेलने के लिए नहीं जाते बल्कि टीवी और मोबाइल पर ही गेम खेलते रहते हैं। इस वजह से भी बच्चों में मोटापा तेजी से आ रहा है।

डाइटिंग के प्रति बढ़ा जुनून

छोटे बच्चों को तो डाइटिंग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन 10 से 14 साल के बच्चे डाइटिंग को लेकर खासे चिंतित हो गए हैं। स्कूल में अपने दोस्तों के तानों से बचने के लिए वे खाना-पीना भी छोड़ रहे हैं। वॉक शुरू कर देते हैं। सिर्फ तरल पदार्थ ही लेते हैं। हरी-सब्जियों से भी दूरी बना लेते हैं।

इंटरनेट ने बढ़ाई परेशानी

वैसे तो इंटरनेट पर बच्चे काफी कुछ सीख रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसी बातें भी जान लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल पर वजन कम करने की एक्सरसाइज, पतला होने के टिप्स आदि की जानकारी ले रहे हैं। बिना किसी जानकार की सलाह लिए सीधा उन तरीकों को मान रहे हैं। 


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