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Change in Child Behaviour: एक नई मुसीबत, कोरोना काल में Parents के गुस्से का शिकार होकर घर छोड़ रहे हैं बच्चे

घरों में बंद और आर्थिक संकट से जूझ रहे दंपती आपसी झगड़ा का गुस्सा और खीझ उतार रहे हैं बच्चों पर। बच्चों की फरइमाश पूरी न कर पाना बन रहा अभिभावकों में क्षोभ का कारण। शारीरिक गतिविधियां हुईं कम और मोबाइल पर बीत रहा अधिकांश समय।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 10:48 AM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 11:06 AM (IST)
Change in Child Behaviour: एक नई मुसीबत, कोरोना काल में Parents के गुस्से का शिकार होकर घर छोड़ रहे हैं बच्चे
कोरोना काल में लंबे समय से घरों से बंद बच्‍चे अब घर छोड़कर भाग रहे हैं। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, अली अब्‍बास। जगदीशपुरा इलाके का रहने वाला 11 साल का बालक पहले स्कूल जाता था। करीब एक साल से वह स्कूल नहीं जा रहा है। पढाई भी नहीं कर रहा था। इसलिए पिता उसे अपने साथ दुकान पर काम पर ले गया। बालक का काम में भी मन नहीं लगा तो पिता नाराज हो गया। बेटे को डांट दिया, इससे नाराज होकर घर छोड़ दिया। वह कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से दिल्ली जाने की तैयारी कर रहा था। चाइल्ड लाइन को मिलने पर उसने काउंसिलिंग की। बालक ने बताया कि वह काम करना नहीं चाहता है, पढ़ना चाहता है। पिता से संपर्क किया तो वह बोले की जहां जाना चाहता है, जाने दो। कांउसलर ने पिता और पुत्र काउंसिलिंग करनी पड़ी। तब जाकर दाेनों को अपनी गलती का अहसास हुआ।

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केस दो: अागरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ को चेकिंग के दाैरान यात्रियों ने बताया कि सात साल का बालक ट्रेन में रो रहा है। आरपीएफ ने इसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। बालक ने काउंसिलिंग में बताया कि वह बिहार के आरा का रहने वाला हूं। गांव में काम नहीं होने के घर में रोज झगड़ा होता था। इस कारण मां उसे लेकर दिल्ली जा रही थी। वहां मजदूरी करके अपना खर्च चलाती। फोर्ट स्टेशन से पहले किसी स्टेशन पर उसकी मां उतर गई। इसके बाद वह नहीं मिली। बालक इस समय राजकीय शिशु एवं बाल गृह में है। उसके अभिभावकों को खाेजने का प्रयास किया जा रहा है। यह सिर्फ दो मामले नहीं हैं, तीन दर्जन से भी ज्यादा मामले हैं।

कोरोना काल में सीमित आय से आर्थिक संकट में आए अभिभावकों के व्यवहार में बदलाव आया है। वहीं स्कूलों के बंद होने के चलते घरों में रहने से बच्चों भी जिद्दी बन रहे हैं। अपनी फरमाइशों के पूरा न होने से वह रूठ रहे हैं। इस सबका प्रभाव अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों पर भी पड़ रहा है। उनमें छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा हो रहा है। वह अपना गुस्सा या खीझ बच्चों पर निकाल रहे हैं। यह गुस्सा और खीझ अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों को भी संक्रमित कर रहा है। इससे तनाव में आकर बच्चे घर छोड़ रहे हैं। आगरा में जिले की चाइल्ड हेल्पलाइन और रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन में अब तक दो दर्जन से ज्यादा इस तरह के केस आ चुके हैं। इनमें बच्चों की कांउसिलिंग करने पर सामने आ रहा है कि वह माता-पिता की डांट से नाराज होकर घर से निकल आए थे।

रेलवे चाइल्ड लाइन के धीरज बताते हैं कि एक साल के दौरान तीन दर्जन से ज्यादा बच्चों ने अभिवभावकों की डांट या अन्य कारणों के चलते घर छोड़ा। इन्हें काउंसिलिंग के बाद घर लौटने को राजी किया गया। कई बार बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी समझाना पड़ा। जरा-जरा सी बात पर डांटने के चलते बच्चों में विद्रोह की भावना पनपती है। उन्हें लगता है कि माता-पिता अकारण डांट रहे हैं। उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते वह घर छोड़कर भागने का प्रयास करते हैं। रेलवे स्टेशनों पर इस तरह के बच्चे आए दिन रेस्क्यू होते हैं। इन बच्चों के गलत हाथों में पड़ने का डर भी रहता है।

चाइल्ड लाइन की काउंसिलिंग में सामने आए बच्चों के भागने के प्रमुख कारण

-कोरोना काल के चलते अभिभावक के आय के साधन सीमित हो गए हैं। इससे वह आर्थिक परेशानी में घिरे हुए हैं।

-इससे अभिभावक तनाव में हैं। बच्चे को कोई फरमाइश करते हैं तो अभिभावक पूरी नहीं कर पाते। जिद करने पर वह बच्चों को डांट देते हैं।

-माता-पिता आपस में झगड़ा होने पर उसका गुस्सा बच्चों पर उतारते हैं।इससे बच्चों में रोष पनपता है।

-डांट से नाराज होकर घर छोड़ने वाले अधिकांश बच्चों की उम्र नौ से 16 साल के बीच की है।-वह

-बच्चों की मुख्य शिकायत यही होती है कि माता-पिता उनकी बात सुनने को तैयार नहीं होते।

-उन पर अक्सर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाते हैं, जबकि वह अपना होमवर्क पूरा कर चुके होते हैं।

-किशोरियों के 80 फीसद मामलों में वह दोस्तों के बहकावे में आकर घर छोड़ देती हैं।

-स्कूल बंद होने के चलते बच्चे अधिकांश समय घर पर बिता रहे हैं। इसके चलते उनका पूरा समय घर पर बीत रहा है।

-बच्चे की सुबह और शाम घर में बीत रही है, वह दोस्तों के पास भी नहीं जा पा रहे हैं। इसके चलते बच्चों में सहनशीलता कम हो गई है। वह अभिभावकों की डांट पर जल्दी नाराज हो जाते हैं।

किताबों से ज्यादा मोबाइल गेम में समय

चाइल्ड लाइन से बातचीत के दौरान कई अभिभावकों का कहना था कि बच्चे मोबाइल पर ज्यादा गेम खेलते रहते हैं। इससे उनकी पढाई प्रभावित होती है। वह समय पर होमवर्क नहीं करते हैं। इसे लेकर बच्चों को डांटते हैं तो उन्हें लगता है कि माता-पिता प्यार नहीं करते। जबकि वह उनके भविष्य की चिंता को लेकर डांटते हैं।


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