Child Marriage: आगरा से भेजे गए 10 सुझाव जो बनेंगे बाल विवाह रोकने को महिला आयोग की Guideline
Child Marriage in Agra महिला आयोग के निर्देश बाल विवाह रोकथाम पर बनाएं नियमावली। प्रमुख सचिव और निदेशक महिला कल्याण को लिखा पत्र। यूपी में हो रहे 21 फीसदी बाल विवाह।
आगरा, जागरण संवाददाता। उम्मीद जागी है कि अब फिर शायद कोइर् गुडि़या बाल वधू न बने। खिलौनों से खेलने की उम्र में मातृत्व का दायित्व संभालना न पड़े। जी हां, ये विडंबना ही तो है कि गैजेट की दुनिया में खाेए समाज में आज भी बाल विवाह धड़ल्ले से हो रहे हैं। सदियों पुरानी कुप्राथ को निभाते हुए बच्चों के बचपन को कुचला जा रहा है। प्रदेश में आज भी 21 फीसदी बाल विवाह हो रहे हैं। बाल विवाह रोकथाम के संबंध में अभी तक कोई नियमावली नहीं बन पाई है। एेसे में आगरा के बाल अधिकार एक्टिविस्ट एवं महफूज सुरक्षित बचपन के समन्वयक नरेश पारस ने महिला आयोग को पत्र लिखकर 10 सुझाव प्रेषित किए। इन सुझावों को संज्ञान में लेते हुए महिला आयोग ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग को नियमावली बनाकर बाल विवाह रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाने के निर्देश जारी किए हैं। राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने नरेश पारस द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए दिए गए दस सुझावों पर अमल करते हुए पत्र जारी किया है।
प्रदेश में 21 फीसद बाल विवाह
नरेश पारस ने महिला आयोग को बताया कि नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 21 फीसदी बाल विवाह होते हैं, सर्वे के दौरान इन महिलाओं की आयु 20 से 24 वर्ष थी। 3.8 फीसदी महिलाएं मां बन चुकी थीं जिनकी सर्वे के दौरान आयु 15 से 19 वर्ष थी। उन्होंने नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे का विवरण भी संलग्न किया है जिसमें दस शीर्ष जिले भी बताए हैं जहां बाल विवाह होते हैं।
ये हैं आंकड़े
नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार प्रदेश में बाल विवाह की ये है स्थिति। दस जिले जहां बाल विवाह की दर सबसे अधिक है।
1. श्रावस्ती 67.9ः
2. ललितपुर 49.3ः
3. गोण्डा 48.6ः
4. महाराजगंज 48.2ः
5. सिद्वार्थनगर 45.2ः
6. बलरामपुर 41.5ः
7. बहराइच 40.9ः
8. बदायूं 35.7ः
9. लखीमपुर खीरी 33.9ः
10. चंदौली 33.7ः
नोटः- उपरोक्त महिला सर्वे के दौरान 20 से 24 वर्ष की थीं जिनका विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में हो गया था।
सर्वे के समय 15 से 19 वर्ष की महिलाएं जो मां बन चुकी थीं अथवा गर्भवती थीं। इन दस प्रमुख जिले इस प्रकार हैं।
1. बहराइच 9.9ः
2. एटा 9.2ः
3. बदायूं 8.9ः
4. मथुरा 8.7ः
5. ललितपुर 8.6
6. महामाया नगर (हाथरस) 8.6ः
7. चित्रकूट 8.2ः
8. सीतापुर 7.3ः
9. कांसीराम नगर (कासगंज) 7.1ः
10. श्रावस्ती 7ः
ये हैं वो 10 सुझाव
1. बाल विवाह रोकथाम नियमावली बनाई जाए और उसे पूरे प्रदेश में लागू कराया जाए।
2. लाॅकडाउन के दौरान (मार्च से अबतक) उत्तर प्रदेश सभी जिलों रूकवाए गए तथा हो चुके बाल विवाह और उनकी वर्तमान स्थिति की समीक्षा की जाए।
3. बाल विवाह रोकथाम टाॅस्कफोर्स की समीक्षा की जाए। बाल सुरक्षा पर कार्य कर रहे सक्रिय गैर सरकारी संगठन तथा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाए।
4. बाल विवाह के प्रति बृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए। जागरूकता प्रचार सामग्री वितरित की जाए। एफएम रेडियो, मीडिया, तथा सोशल मीडिया का उपयोग किया जाए।
5. जिला तथा शासन स्तर पर माॅनीटरिंग कमेटी बनाई जाएं।
6. बाल विवाह के आंकड़े एकत्रित किए जाएं और ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया जाए।
7. इस अभियान में पंचायत, एएनएम, आशा और धर्मगुरूओं को भी शामिल किया जाए।
8. बाल विवाह के दुष्परिणामों के संदर्भ में इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
9. ब्लाॅक स्तर पर भी बाल विवाह रोकथाम टाॅस्कफोर्स बनाई जाए। इसमें प्रधान, स्कूल प्रबंध समिति, आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम, ब्लाॅक/ग्राम बाल सुरक्षा समिति को शामिल किया जाए।
10. बाल विवाह होने पर मुकद्में दर्ज हों। फाॅलोअप मजबूत होना चाहिए। बालिका सुरक्षा अभियान के दौरान जिलों में बनाए गए मास्टर ट्रेनरों को शामिल किया जाए।