साहित्य भूषण से सम्मानित डॉ. विजय रंजन का किया चर्वणा ने अभिनंदन
आगरा की साहित्यिक संस्था ने किया राष्ट्रीय स्तर के कवि का अभिनंदन। काव्य गोष्ठी में बही काव्यरस की धारा।
आगरा(जागरण संवाददाता): फैजाबाद के साहित्यकार व उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हाल ही में दो लाख रुपये की धनराशि के साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ. विजय रंजन के आगरा साहित्य प्रवास के दौरान साहित्यिक संस्था चर्वणा द्वारा अभिनंदन किया गया। डॉ. रंजन का अभिनंदन उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए हुआ। त्रैमासिक काव्य पत्रिका चर्वणा के संपादक व साहित्यिक संस्था चर्वणा के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ के सुलभ बिहार, गैलाना रोड स्थित आवास पर आयोजित साहित्य गोष्ठी में अभिनंदन समारोह भी संपन्न हुआ। समारोह अध्यक्ष गजलकार अशोक रावत ने माला पहनाकर डॉ. विजय रंजन जी का सम्मान किया। इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में अपने सम्मान के प्रति आभार जताने के बाद विजय रंजन ने अपनी कविता तुम न देखो अभी शाम है रात है। शोख मौसम बहुत ही बदजात है। कौन कहता है ये क्षण निरर्थक है जब, इन क्षणों में हमारी मुलाकात है..से समां बांध दिया।
अध्यक्षीय काव्य पाठ के दौरान अशोक रावत शेर न तुम बेजार होते हो न हम बेजार होते हैं। बड़ी मुश्किल से लेकिन हम कभी दो चार होते हैं..पर सभी वाह- वाह कर उठे। कार्यक्रम संयोजक शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ के गीत झझा उपल तड़ित गर्जन में मेरी अपराजेय जवानी। मैं बरखा का व्याकुल पानी, मेरी पानीदार कहानी..पर सभी झूम उठे। इस अवसर पर डॉ. राघवेंद्र शर्मा, संजीव गौतम, कुमार ललित, सुधाशु यादव साहिल, प्रो. हेमराज मीणा और डॉ. दिग्विजय शर्मा ने भी अपनी कविताओं से सब को भावविभोर कर दिया। मानसून में हुई काव्यरस की बौछार से सभी का मन आनंदित हुआ। समापन पर ममता वशिष्ठ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।