Chamki at Taj: ताज रात्रि दर्शन की है ख्वाहिश तो देर न करें, एक दिन पूर्व बुक करनी होती है टिकट
Chamki at Taj नौ अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा शनिवार को बुक करना होगा टिकट। शनिवार से मंगलवार तक चलेगा ताजमहल में रात्रि दर्शन 1600 लोग देख सकेंगे। एक दिन में आठ स्लाट में 50-50 पर्यटकों के बैच में अधिकतम 400 पर्यटक ताजमहल देख सकते हैं।
आगरा, निर्लाेष कुमार। शरद पूर्णिमा रविवार को है। वर्ष भर सैलानी ताजमहल में चमकी के दीदार की ख्वाहिश संजोते हैं। अगर आप भी चांदनी रात में ताजमहल का दीदार करना चाहते हैं तो देर न करें। नियमानुसार एक दिन पूर्व चांदनी रात में ताजमहल देखने को टिकट बुक करानी होगी। शुक्रवार से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के माल रोड स्थित कार्यालय जाकर पर्यटक टिकट बुक करा सकेंगे।
शनिवार से शुरू होगा रात्रि दर्शन
ताज रात्रि दर्शन इस बार शनिवार से मंगलवार तक चलेगा। इसमें रविवार को शरद पूर्णिमा के दिन ताज रात्रि दर्शन का विशेष क्रेज रहता है। इसके लिए वर्षभर पर्यटक इंतजार करते हैं। एक दिन में आठ स्लाट में 50-50 पर्यटकों के बैच में अधिकतम 400 पर्यटक ताजमहल देख सकते हैं। इस बार चार दिन में अधिकतम 1600 पर्यटक ताजमहल का दीदार कर सकेंगे। ताज रात्रि दर्शन माह में पांच दिन (पूर्णिमा, पूर्णिमा से दो दिन पूर्व व दो दिन बाद) होता है। इस अवधि में अगर शुक्रवार पड़ता है तो उस दिन साप्ताहिक बंदी के चलते ताजमहल नहीं खुलता है।
अद्भुत होता है नजारा
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होने की वजह से अन्य पूर्णिमाओं की अपेक्षा बड़ा नजर आता है। चंद्रमा की शीतल किरणें जब ताजमहल के धवल संगमरमरी हुस्न पर पड़ती हैं तो वह दमक उठता है। उसमें जड़े कीमती पत्थर चमक उठते हैं। इन पत्थरों के चमकने की वजह से ही ताज रात्रि दर्शन को चमकी देखना भी कहते हैं।
पहला लगता था मेला
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्सुद्दीन बताते हैं कि वर्ष 1984 से पूर्व ताजमहल में इतनी सुरक्षा पाबंदियां लागू नहीं थीं। तब पूरी रात ताज रात्रि दर्शन चलता था। सुबह चार बजे तक ताजमहल खुलता था। मेले जैसा नजारा रहता था। फोरकोर्ट में पुलिस चौकी व टिकट विंडो बनाई जाती थीं। पर्यटक तब मुख्य मकबरे से चमकी का दीदार करते थे। अब तो उन्हें करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित वीडियो प्लेटफार्म से चमकी देखनी पड़ती है।
बनाई जाती थीं सीढ़ियां
चार दशक पहले तक ताज रात्रि दर्शन के लिए ताजमहल में मेहमानखाना की तरफ मुख्य मकबरे पर चढ़ने के लिए अस्थायी सीढ़ियां बांस व बल्लियों और स्लीपर से बनाई जाती थीं। इसके लिए मुख्य मकबरे पर लगी संगमरमर की रेलिंग के पैनल को हटाया जाता था। रात्रि दर्शन के बाद पैनल दोबारा लगा दिए जाते थे।