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ChadiMar Holi in Gokul: गोकुल के कण-कण ने खेली सांवरे के संग होली

ChadiMar Holi in Gokul गोकुल की गलियों में छाया रहा उल्लास का रंग। मुरलीधर घाट पर हुई छड़ीमार होली श्रद्धा का उड़ा गुलाल। नंदगांव बरसाना जन्मभूमि की होली के बाद गोकुल में अबीर-गुलाल के बादल शुक्रवार को छा गए। हर गली में श्रद्धा का रंग छाया था।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 05:37 PM (IST)
ChadiMar Holi in Gokul: गोकुल के कण-कण ने खेली सांवरे के संग होली
मुरलीधर घाट पर हुई छड़ीमार होली, श्रद्धा का उड़ा गुलाल।

आगरा, जागरण टीम। गोकुल की हवा में होली का उल्लास छाया था। गोकुल का कण-कण सांवरे के साथ होली खेल रहा था। वातावरण श्रद्धा के रंग में सराबोर था। मुरलीधर घाट पर ग्वाल-ग्वालिनों के छड़ीमार होली खेलने पर कन्हैया की द्वापरकालीन हाेली श्रद्धालुओं की आंखों के सामने छा गई । भक्ति के रंग में सराबोर श्रद्धालु बेसुध होकर झूमते रहे।

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नंदगांव, बरसाना, जन्मभूमि की होली के बाद गोकुल में अबीर-गुलाल के बादल शुक्रवार को छा गए। हर गली में श्रद्धा का रंग छाया था। सुबह से ही कुंज गलियों में श्रद्धालु झूम रहे थे। श्रीनंद किला नंद भवन मंदिर में श्रद्धा के बादल उमड़ रहे थे। मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़े पर श्रद्धालु झूम रहे थे। दोपहर 12 बजे के करीब मथुरादास पुजारी, मदन मोहन, छनिया आदि ने ठाकुरजी को दूध, पिस्ता का भोग लगाया। छड़ीमार होली खेलने के लिए ग्वालिनों को दूध पिलाया गया। मंदिर से ठाकुरजी का डोला और स्वरूप बैंडबाजों के साथ निकले। श्रद्धालु मस्ती में झूम रहे थे। जिन रास्तों से डोला निकल रहा था, वातावरण होली के रंग में झूम रहा था। डोला के मुरलीधर घाट पर पहुंचने पर होली का उत्साह सातवें आसमान पर था।

पुजारियों ने ठाकुरी को गुलाल लगाया और होली खेली। पिचकारियों से भी होली खेली। इसके बाद छड़ीमार होली शुरू हो गई। हर कोई होली की मस्ती में सराबोर हो गया। अबीर-गुलाल की बरसात से सतरंगी बादल छा गए। हुरियारिन छड़ी लेेकर जिधर दौड़तीं, रास्ता साफ हो जाता। हुरियारे भी इन प्रेम पगी छड़ियोें को खाकर धन्य हो रहे थे। टेसू के फूलों के रंगों की बरसात श्रद्धालुओं को मस्ती में चूर कर रही थी। गोकुल श्रद्धा का बैकुंठ बन गया। मस्ती की हिलौर मचल रहीं थीं। हर कोई मस्ती का आनंद ले रहा था। जिस पर भी अबीर गुलाल, रंग, छड़ियां पड़ जातीं, वह होली के रसरंग में डूब जाता। मुरलीधर घाट पर ठाकुरजी की आरती के बाद डोला मंदिर के लिए रवाना हुआ। डोला के रास्ते पर अबीर-गुलाल के बदरा छा गए। श्रद्धालु झूमते-गाते मंदिर की ओर जा रहे थे। डोला के मंदिर पहुंचते-पहुंचते आस्था की थाह नहीं रही। मस्ती की बयार में श्रद्धालु ठाकुरजी की होली में शामिल होकर अपने को धन्य समझ रहे थे। डोला के मंदिर पहुंचने पर ठाकुरजी को विराजमान कराया गया। 


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