Krishna Janmashtami 2019: हुआ अजन्मे का जन्म, गूंजे घंटे घडि़याल, अलाौकिक हुई मथुरा नगरी Agra News
कृष्ण के जन्मोत्सव पर झूमी लीला भूमि। रात 12 बजे जन्मभूमि जाने वाले रास्तों पर दोपहिया वाहन भी रोके सिर्फ पैदल ही जाने की इजाजत
आगरा, जेएनएन। रात को श्रीकृष्ण जन्मस्थान, मथुरा में सुगंधित द्रव्यों का छिड़काव शुरू होते ही, प्रभु के आगमन की सूचना का संकेत भक्तों को मिल गई। 11 बजते ही श्रीगणोश-नवग्रह आदि पूजन से जन्माभिषेक महोत्सव का शुभारंभ हो गया। श्रीराम जन्मभूमि और श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास और कृष्ण जन्म सेवा संस्थान के प्रबंध न्यासी अनुराग डालमिया ने गोदुग्ध, दही, गोघृत शर्करा एवं शहद से प्रभु का महाभिषेक शुरू किया। रजत कमल पुष्प में विराजमान कान्हा के श्रीविग्रह का अभिषेक सोने से जड़ी रजत से बनी गौमाता के थनों से निकलते दूध की धार से हुआ। दिव्य औषधि और इत्र आदि द्रव्यों की वातावरण में सुगंध घुल रही थी। दिव्य विग्रह को रेशमी रत्न जड़ित पोशाक धारण कराई गई।
नवरत्नों से सुशोभित सोने का हार पहनाया। रात 12.15 बजे चांदी के अष्टदल कमल की पंखुड़ियों के बीच सुशोभित प्रभु को देखते ही जय कन्हैया लाल की गूंज होने लगी। रिकार्ड श्रद्धालुओं के होने की वजह से जन्मभूमि जाने वाले सभी रास्तों पर दोपहिया वाहनों का आवागमन रोक दिया गया। श्रद्धालुओं को सिर्फ पैदल ही जाने दिया गया। 12.40 बजे श्रृंगार आरती हुई। रात 1.30 बजे तक प्रभु के दर्शनों की एक झलक पाने को श्रद्धा का प्रवाह अनवरत बहता रहा। कान्हा के जन्मोत्सव पर जन्मस्थान की शोभा अवर्णनीय थी। इससे पूर्व सुबह जन्मस्थान के लीलामंच पर पुष्पांजलि कार्यक्रम हुआ। शाम को परंपरागत शोभायात्र निकाली गई। द्वारिकाधीश मंदिर, वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर, चंद्रोदय मंदिर और सप्तदेवालयों में भी जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
चहुं ओर जय कन्हैया की गूंज
अकल्पनीय श्रद्धा का प्रवाह, अद्वितीय सौंदर्य की छटा, अलौकिक दिव्यता में आकंठ डूबी ब्रजभूमि। कृष्ण जन्माष्टमी पर शनिवार को कान्हा की नगरी में द्वापर युगीन लीलाएं जीवंत हो उठीं। कान्हा के प्राकट्योत्सव के क्षण जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे थे, ब्रज भूमि का कण-कण तेजोमय होता जा रहा था। चहुंओर जय कन्हैया लाल कीज् की गूंज हो रही थी।
द्वारिकाधीश मंदिर में उल्लास से मना जन्मोत्सव
ठाकुर श्री द्वारिकाधीश मंदिर में सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ रहा था। देश-दुनिया के भक्त ठाकुरजी को निहारने के लिए लालायित थे। सुबह ठाकुरजी के दर्शन और रात में अभिषेक के दर्शन कर अपने को धन्य समझ रहे थे। भक्तों का मानना था कि यह क्षण केवल ठाकुरजी की कृपा से ही मिला है। मंदिर में ठाकुरजी का जयघोष होता रहा और श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमते रहे।
ठाकुर श्री द्वारिकाधीश मंदिर में जगत के पालन हार के जन्मोत्सव पर आस्था का ज्वार उमड़ रहा था। श्रद्धालुओं का तांता सुबह से ही लगने लगा। सुबह छह से सवा छह बजे तक मंगला के दर्शन भक्तों ने किए। सुबह साढ़े साढ़े छह बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक मंदिर के मुखिया ब्रजेश, सुधीर आदि ने दूध, दही, घी, शहद, बूरा आदि से किया। सुबह नौ बजे ठाकुरजी का श्रृंगार किया गया और भगवान की जन्मपत्रिका पंडित अजय कुमार तेलंग ने वाची। ठाकुरजी के श्रृंगार के दर्शन खुले। शाम साढ़े सात पर उत्थापन के दर्शन खुले, उनके पश्चात भोग, संध्या आरती के दर्शन हुए। 10 बजे जागरण के प्रथम दर्शनों का आनंद भक्तों ने लिया। जन्म के दर्शन लगभग 11.45 हुए।
इन मंदिरों में भी छाया उल्लास
नंद घर आनंद भयौ, जै कन्हैया लाल की. सोलह कलाओं के अवतारी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उल्लास में श्रद्धालु भक्तों द्वारा गाए जा रहे इन भजनों से वातावरण गूंज उठा। शनिवार की सुबह सप्तदेवालयों में प्रमुख ठा. राधारमणलाल जू के महाभिषेक दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस्कॉन, रंगजी मंदिर, प्रियाकांतजू मंदिर, चंद्रोदय मंदिर में रात में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का उल्लास नजर आया।
इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास सुबह से ही नजर आया। भारतीय श्रद्धालुओं के साथ हजारों विदेशी श्रद्धालु पूरे दिन हरिनाम संकीर्तन की धुन पर थिरकते नजर आए। श्रीप्रियाकांत जू मंदिर में कमल पुष्प स्वरूप के बीच अद्भुत प्रकाश की चादर ओढ़े प्रियाकांत जू मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया गया।