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मुडि़या मेला विशेष: हर कदम रुका, हर शीश झुका जब सिर मुड़ाकर निकले मुडि़या भक्‍त Agra News

कान्‍हा की नगरी में उमड़ा है भक्‍ताें का रेला। सनातन गोस्‍वामी के देहांत की शुरु हुई परंपरा दशकों बाद भी निभाते हैं अनुयायी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 08:23 PM (IST)
मुडि़या मेला विशेष: हर कदम रुका, हर शीश झुका जब सिर मुड़ाकर निकले मुडि़या भक्‍त Agra News
मुडि़या मेला विशेष: हर कदम रुका, हर शीश झुका जब सिर मुड़ाकर निकले मुडि़या भक्‍त Agra News

आगरा, जेएनएन। हरे कृष्णा औक धियो-धियो, यही गूंज है और यही दृष्‍य। भक्ति का अनूठा संगम, दशकों बाद भी आस्‍था से परिपूर्ण परंपरा और भक्‍तों का उमड़ता रेला। गुरु के सम्‍मान में सिर मुड़ाकर जब मुडि़या भक्‍तों ने यात्रा निकाली तो जैसे हर शीश उनके आगे नतमस्‍तक हुआ। मुडि़या पूर्णिमा मेला के जिस रंग को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं वह भक्तिमय दृष्‍य मंगलवार को देखने को मिला। गुरु के सम्मान में सिर मुड़ाकर मुड़िया भक्तों ने यात्रा निकाली।मृदंग और ढोल की थाप पर जब मुडिया भक्तों का रैला हरे कृष्णा औक धियो-धियो कर निकला तो देखने वाले मंत्रमुग्ध से खड़े रह गए।

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कौन हैं मुड़िया भक्त
चैतन्य महाप्रभु के भक्त सनातन गोस्वामी ने वृंदावन में मदन मोहन जी की स्थापना की। कहते हैं कि वैष्णव संप्रदाय के यह संत वृंदावन से रोज गोवर्धन की परिक्रमा को जाते थे। वह जब असक्त हुए तो भग्वान ने कृपाकर दर्शन दिए और एक शिला दी, कहा कि आज से इसी शिला की परिक्रमा करो। सनातन गोस्वामी का जिस दिन देहांत हुआ उस दिन गुरु पूर्णिमा थी, उनके शिष्यों वे गुरू के पार्थिव शरीर के साथ सिर मुड़ाकर परिक्रमा की। साढ़े तीन सौ साल से परिक्रमा का यह क्रम आज भी जारी है। 

मुखारविंद गिरिराजजी 12 घंटे तक नहीं देंगे दर्शन

विश्व प्रसिद्ध मुडिय़ा पूर्णिमा पर इस बार श्रद्धालुओं को दर्शन के समय का ध्यान रखना होगा अन्यथा 12 घंटे तक पूजा अर्चना से वंचित रहना पड़ेगा। इस बार पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण पड़ेगा। करीब 12 घंटे तक श्रद्धालु जतीपुरा मुखारबिंद गिरिराजजी की पूजा अर्चना नहीं कर सकेंगे। जतीपुरा के सेवायत भानु पाराशर ने बताया कि जतीपुरा मुखारङ्क्षवद गिरिराजजी की आरती दोपहर में 3.30 बजे होगी। इसके बाद प्रभु को शयन करा दिया जाएगा। भागवताचार्य गोपाल प्रसाद उपाध्याय के अनुसार मंगलवार रात में 1.31 से सुबह 4.30 बजे तक चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। इसका सूतक काल मंगलवार की शाम 4.31 बजे से शुरू हो जाएगा। यानी 16 जुलाई की शाम 4.31 से 17 जुलाई की सुबह 4.30 तक भगवान का स्पर्श नहीं किया जा सकता। वहीं, दानघाटी मंदिर के सेवायत पवन कौशिक और मुकुट मुखारविंवद मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी ने बताया कि दानघाटी और मुकुट मुखारविंद मंदिर रोजाना की तरह ही खुलेंगे। आचार्य प्रवीन कुमार (आन्यौर वाले) ने बताया कि इस दौरान परिक्रमा, भजन, कीर्तन और दान करने से बहुत पुण्य फल प्राप्त होगा।

आधी रात गिरिवर गले में मानव माला का हार

 गोवर्धन गिरधारी की धरा पर 463वें मुडिय़ा मेला में सोमवार की रात को मानव श्रृंखला बन गई। लाखों श्रद्धालुओं की मानव माला जैसे गिरिराज के गले में डली हो। गोवर्धन में 12 जुलाई से शुरू हुआ गुरु पूर्णिमा मुडिय़ा मेला सोमवार की रात चरम पर पहुंच गया। पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सभी दिशाओं से श्रद्धालुओं के समूह परिक्रमा देने के लिए आगे बढ़ रहे थे। दिन में तापमान 41 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहा। इसलिए यहां पहुंचे अधिकांश श्रद्धालुओं ने परिक्रमा शुरू नहीं की। सूर्यास्त होते ही गोवर्धन की तरफ भीड़ बढऩे लगी। शाम सात बजे तक पार्किंग फुल हो गई थी। दानघाटी मंदिर, राधाकुंड समेत अन्य स्थानों ने लोगों ने गिरिराजजी को दंडवत कर परिक्रमा शुरू की। 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा में देखते ही देखते मानव श्रृंखला बन गई। उनकी सेवा करने को सेवाभावी लोगों ने प्याऊ, भंडारे और चिकित्सा शिविर लगाए। दानघाटी, मुकुट मुखारविंद और जतीपुरा मुखारङ्क्षवद मंदिर पर गिरिराज शिला पर किए गए दुग्धाभिषेक से दूध की नदी बह निकली। रात को मथुरा, छटीकरा, भरतपुर, डीग, बरसाना मार्ग पर वाहनों की कतार लग गई। 

गिनती की पुरानी पंरपरा

मुडिय़ा मेला में आने वाले भक्तों की गिनती के लिए इस बार कैमरे लगाकर विशेष साफ्टवेयर से गिनती की जानी थी। मगर, तकनीकी कारण से यह काम नहीं हो सका। ऐसे में गिरिवर की परिक्रमा को आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए वही पुराना फार्मूला लगाया गया। दानघाटी से ही परिक्रमार्थी परिक्रमा शुरू करते हैं। यहां एक मिनट में निकलने वाले श्रद्धालुओं की रात नौ बजे के बाद गिनती की जाती है। इसका औसत निकालकर गणना की जाती है। 


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