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Chaitra Hanuman Jyanti: हनुमान की लीलाओं वाले सुंदरकांड का जानिए आखिर क्‍यों है ये नाम

आज है चैत्र हनुमान जयंती। सुंदर पर्वत की अशोक वाटिका में रहीं थीं सीताजी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:56 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 12:56 PM (IST)
Chaitra Hanuman Jyanti: हनुमान की लीलाओं वाले सुंदरकांड का जानिए आखिर क्‍यों है ये नाम
Chaitra Hanuman Jyanti: हनुमान की लीलाओं वाले सुंदरकांड का जानिए आखिर क्‍यों है ये नाम

आगरा, तनु गुप्‍ता। संकट हरने वाले, मंगल कारक हनुमान की लीलाओं का जिसमें बखान किया गया है वो है सुंदर कांड। पूरी रामायण में सिर्फ यही एक अध्‍याय ऐसा है जिसमें श्री राम की नहीं बल्कि हनुमान की विजय, पराक्रम का बखान है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि रामायण के इस हनुमान विजय के पाठ का नाम सुंदर कांड ही क्‍यों पड़ा। इस बारे में पंडित वैभव कहते हैं कि हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां तीन पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। और तीसरे पर्वत का नाम था सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया।

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धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

शुभ अवसरों पर सुंदरकांड का पाठ ही क्यों

पंडित वैभव कहते हैं कि शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं। आपको शायद मालूम ना हो, लेकिन यदि आप सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों के अर्थ जानेंगे तो आपको यह मालूम होगा कि इसमें जीवन की सफलता के सूत्र भी बताए गए हैं। यह सूत्र यदि व्यक्ति अपने जीवन पर अमल कर ले तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए यह राय दी जाती है कि यदि रामचरित्मानस का पूर्ण पाठ कोई ना कर पाए, तो कम से कम सुंदरकांड का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए।यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।

सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों

माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, इसमें हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।

मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ

पंडित वैभव कहते हैं कि वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

मिलता है धार्मिक लाभ

हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। 


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