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सत्संग और सेवा का अनूठा संगम बना है स्वामीबाग का द्विशताब्दी समारोह

गुजरात से आए 2000 सत्संगी, भंडारघर में कर रहे सेवा। हावड़ा से आए सत्संगियों ने ली है जूताघर की सेवा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 04:27 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 04:27 PM (IST)
सत्संग और सेवा का अनूठा संगम बना है स्वामीबाग का द्विशताब्दी समारोह
सत्संग और सेवा का अनूठा संगम बना है स्वामीबाग का द्विशताब्दी समारोह

आगरा(जेएनएन): स्वामीजी महाराज के द्वि-शताब्दी समारोह में भाग लेने देश-विदेश से करीब 25 हजार सत्संगी स्वामीबाग आए हैं। उनकी संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। इतनी बड़े आयोजन की रूपरेखा एक वर्ष पहले ही बनना शुरू हो गई थी। देश-विदेश में बसे सत्संगियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। हावड़ा से 25 सत्संगियों का ग्रुप स्वामीबाग में जूते-चप्पलों की सेवा कर रहा है। ग्रुप लीडर स्वप्न देश राय कहते हैं कि हमने सत्संग में जूताघर पर सेवा की इच्छा जाहिर की थी। उनके ग्रुप को यह सेवा करने का सौभाग्य मिला, यह खुशी की बात है। गुजरात से करीब दो हजार सत्संगी समारोह में आए हैं। उन्होंने भंडारघर की सेवा ली है। वे भोजन परोसने से लेकर इसे पकाने में सहयोग कर रहे हैं। पाकिस्तान से आए सत्संगी कैंटीन में पानी, शर्बत और चाय की सेवा कर रहे हैं।

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सौभाग्य से मिलता है ऐसा मौका:

मैं 40 साल पहले इस मत से अपनी पत्नी के माध्यम से जुड़ा। द्वि-शताब्दी समारोह में शामिल होने का मौका सौभाग्य से मिला है।

- योगेश अमीन, न्यूयार्क सत्संग और सेवा का अनोखा संगम:

समारोह में सेवा का मौका मिला है। गुजरात से बड़ी संख्या में लोग आए हैं, जो भंडारघर पर सेवा कर रहे हैं। सेवा के साथ हम सत्संग भी करते हैं।

- संतदास, गुजरात

फर्क नहीं भारत- पाक में: मैं पाकिस्तान के सिंध से यहां दूसरी बार आई हूं। पांच साल पहले आई थी। दोनों मुल्कों में मुझे कोई फर्क महसूस नहीं हुआ। हम पाकिस्तान में भी इतने ही खुश रहते हैं।

- अनीशा कुमारी, पाकिस्तान लंदन से बीच में ही लौट आया: मैं 35 दिन के लिए लंदन गया था। द्वि-शताब्दी समारोह के लिए बीच में ही लौट आया। इसमें शामिल होने का परम सौभाग्य मालिक की कृपा से ही मिला है।

- एसपी सिन्हा, पटना ऊर्जावान बनाता है सत्संग: मैं 18 साल की उम्र में सत्संग से ऐसा जुड़ा कि फिर इसी में रम गया। अब सत्संग के माध्यम से स्वयं को ऊर्जावान करने के लिए यहां आया हूं।

- दिलीप पटेल, गुजरात

सतरंगी रोशनी में नहाया हजूरी भवन: स्वामीजी महाराज का द्वि-शताब्दी महोत्सव शनिवार को पीपल मंडी स्थित हजूरी भवन में शुरू हो गया। भोर की पहली किरण के साथ राधास्वामी नाम की धुन गूंजने लगी। राधास्वामी धरा नर रूप जगत में.., परम गुरु राधास्वामी प्यारे जगत में देह धर आए.. आदि भजन गूंजते रहे।

मत के आचार्य दादाजी महाराज ने भवन प्रांगण में राधास्वामी नाम का ध्वजारोहण किया। गुब्बारे छोड़कर महोत्सव की शुरुआत की गई। इसके बाद आचार्य कुंवर जी महाराज के कक्ष में स्वामीजी महाराज और हजूर महाराज व अन्य आचार्यो की पोशाक प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ। प्रदर्शनी में आचार्यो के वस्त्र, पादुकाएं, टोपियां आदि प्रदर्शित की गई हैं। रविवार शाम छह बजे तक सत्संगी इसके दर्शन कर सकेंगे। स्वामीजी महाराज के जीवन, दर्शन व कृतियों पर आधारित स्मारिका का विमोचन हुआ। हजूर महाराज की समाध पर हुए सत्संग में दादाजी महाराज ने कहा कि यह हम सभी का परम सौभाग्य है कि हमें कुल मालिक स्वामीजी महाराज के द्वि-शताब्दी समारोह में शामिल होने का मौका मिला है। यह मौका दया से झोली को भरवाने का है। दाता तो दो शताब्दी से लुटा रहे हैं और हम अपने स्वार्थ में ऐसे उलझे हैं कि निजधाम राधास्वामी, निजनाम राधास्वामी और स्वामीजी महाराज को याद भी नहीं करते।

इस अवसर पर हजूरी भवन परिसर में खूबसूरत सतरंगी रोशनी की हुई है।


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