दीप जलाकर करें आज धरती पर देवों का स्वागत, जानिये कौन सा जलाएं दीप, कहां करें दीपदान
भगवान शिव ने सभी को उत्पीडि़त करने वाले राक्षस त्रिपुरासुर का वध था आज, जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाई।
आगरा, जेएनएन: कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर साल देव दीपावली मनाई जाती है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार मान्यता है कि आज के दिन सारे भगवान मिलकर एक साथ दिवाली मनाते हैं। मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर इसे देव दीपावली के रूप में मान्यता मिली। इसी तिथि को भगवान शंकर ने अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को भी नष्ट कर दिया था। यह पर्व ऋतुओं में श्रेष्ठ शरद, मासों में श्रेष्ठ कार्तिक व तिथियों में श्रेष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे देवताओं का भी दिन माना जाता है।
धरती पर उतरते हैं आज देव
पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि एक अन्य मान्यता के मुताबिक, इस दिन देवता स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए लोग जगह-जगह उनके स्वागत के लिए दीप जलाते हैं। खासकर मंदिरों और नदियों के घाटों पर दीये जलाने की अति प्रचीन परंपरा है। जिसकी झलक वाराणसी समेत सभी प्रमुख नदियों के घाटों पर नजर आती है। इस महीने की पवित्रता इस बात से भी है कि इस महीने में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। इस माह किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनन्त फल मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है। देव दीपावली के विशेष पूजन व उपायों से व्यक्ति का भाग्य उज्ज्वल होता है, संकट समाप्त होते हैं तथा जीवन में खुशहाली आती है।
गाय के घी के दीप जलाएं
पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि देव दीपावली पर वैसे तो दीप जलाने की परंपरा है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें यदि यह दीपदान नदी, तालाब, कुएं या फिर पीपल के पेड़ के नीचे किया जाए तो ज्यादा शुभ माना जाता है। देव दीपावली पर सिर्फ तेल के ही दीये न जलाएं। गाय के घी का दीप जलाना बेहद शुभ माना जाता है। यदि आप 21 दीप जला रहे हैं तो उनमें से एक दीप गाय के घी का जलाएं। इससे आर्थिक पक्ष मजबूत होता है। तेल के दीपक घर के बाहर जलाएं, जबकि घी का दीपक अपनी रसोई में जलाएं।