कहीं पढ़ने को नहीं मिलतीं तो कहीं अलाव बनकर जलतीं, जानिये क्या है पूरा मामला
मैनपुरी के कन्या जूनियर हाईस्कूल में कूड़े के ढेर पर किताबों को जला रहे थे बच्चे।
आगरा, जेएनएन। हर साल स्कूलों में समय से पुस्तके न बंटने का शोर मचता है। इस साल भी बच्चों को बिना किताबों के पढ़ाई करनी पड़ी, इसके विपरीत मैनपुरी के कन्या जूनियर हाईस्कूल में मंगलवार को किताबों को जलाया जा रहा था। बच्चे कूड़ें के ढेर पर किताबों को जलाकर ताप रहे थे। अलग- अलग कक्षाओं की ये किताबें क्यों जलाई गईं और इनको बच्चों को क्यों नहीं बांटा गया? इस सवाल पर न तो विद्यालय तंत्र कुछ बोल रहा है और न ही विभाग।
मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे गोला बाजार स्थित कन्या जूनियर हाईस्कूल में यह किताबें जलती मिलीं। इसी परिसर में प्राथमिक विद्यालय भी संचालित है। छात्रों ने ठंड में बचने के लिए किताबों को ही जला डाला। किताबों को जलता देखने के बाद कई लोगों ने तो इसकी वीडियो बनाई। इनमें कक्षा तीन, चार और आठ की पुस्तकें शामिल थीं। बच्चों से जब किताबें जलाने को कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि यह स्कूल में रद्दी की तरह पड़ी थीं। सूत्रों के मुताबिक किताबों के वितरण में गड़बड़ी का खेल चल रहा है। सत्र के कई-कई माह गुजरने के बाद किताबें पहुंचती हैं। इसके बाद स्कूलों में छात्र संख्या के हिसाब से इनको नहीं पहुंचाया जाता। ज्यादातर जगह कमाई के खेल में छात्रों की संख्या अधिक दर्शाई जाती है। वहीं कई स्कूलों में वितरण में लापरवाही बरती जाती है। बाद में इन किताबों को इसी तरह ठिकाने लगा दिया जाता है। बीते वर्षों की अगर बात करें तो जिले में परिषदीय विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों को कभी भी पूरी किताबें नहीं मिली हैं। विभाग ने आधा अधूरा कोर्स वितरित कर शासन को रिपोर्ट भेज दी थी।