सिकंदरा स्मारक में Black Buck की मौत, लगातार घट रही संख्या Agra News
सियारों के आतंक ने कम कर दी है स्मारक में काले हिरण की संख्या। आदिकाल से महत्व रहा है काले हिरण का।
आगरा, जागरण संवाददाता। सिकंदरा स्मारक में काले हिरण की मौत हो गई है। कभी सैंकड़ों की संख्या में यहां विचरने वाले काले हिरण लगातार कम होते जा रहे हैं। मंगलवार सुबह एक और काले हिरण का शव देख अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। बता दें स्मारक में सियारों के आतंक के कारण काले हिरणों को यहां से स्थानांतरित करने की योजना तैयार की गई थी लेकिन योजना को क्रियांवन में अब तक नहीं लाया गया है।
मंगलवार सुबह सिकंदरा स्मारक की झाडि़यों में ब्लैक बक यानि काले हिरण का शव मिलने से हड़कंप मच गया। संरक्षित प्रजाति का जीव होने के कारण इनके रखरखाव के विशेष निर्देश हैं। बावजूद ब्लैक बक की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। स्मारक में सियारों का आतंक अधिक होने के कारण ब्लैक बक के जीवन पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। हालाकि पूर्व में स्मारक में वाइल्ड लाइफ एसओएस ने पिंजड़ा लगाकर काफी संख्या में सियार पकड़ेे थे लेकिन अब भी सियारों के आतंक से स्मारक पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। माना जा रहा है सियार या किसी अन्य जंगली जानवर के हमले के कारण मंगलवार को भी काले हिरण की मौत हुई है। अधिकारी जांच में जुटे हुए हैं। बता दें कि पहले भी ब्लैक बक की मौत के मामले यहां सामने आते रहे हैं।
एक शताब्दी पूर्व लाया गया था एक जोड़ा
मुख्यत: पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली हिरण की इस प्रजाति का जोड़ा किसी ब्रिटिश नागरिक द्वारा सिकंदरा स्मारक में लाया गया था। तबसे इनकी संख्या में यहां इजाफा होता गया। सिकंदरा स्मारक की हरियाली में ब्लैक बक का विचरण पर्यटकों के लिए सदैव से आकर्षक का केंद्र रहा है लेकिन अब घट रही संख्या के कारण बहुत कम ही ब्लैक बक पर्यटक देख पाते हैं।
आदिकाल से आकर्षित करते रहे हैं ब्लैक बक
काले हिरण या ब्लैक बक को इंडियन एंटेलोप भी कहा जाता है। ये आम तौर पर भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पाया जाता है। काला हिरण शिड्यूल 1 में आने वाला जानवर है और इसके शिकार पर पूरी तरह पाबंदी है। ये हिरण आम तौर पर रेगिस्तान या पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। इसका काफ़ी शिकार हुआ करता था और इस वजह से इसे बचाने के लिए कड़े क़ानून का सहारा लिया जा रहा है। सिने अभिनेता सलमान खान को काले हिरण का शिकार जेल पहुंचा चुका है। ब्रिटिश भारत में ब्लैक बक हज़ारों के झुंड में होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। ऐसा अनुमान है कि क़रीब दो सौ साल पहले इनकी आबादी 40 लाख थी। भारत में काले हिरण आम तौर पर राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में पाए जाते हैं। भारतीय संस्कृति में भी काले हिरण का ख़ास स्थान रहा है। अनुमान है कि सिंधु घाटी सभ्यता में ये भोजन का स्रोत रहा है और धोलावीरा और मेह्रगढ़ जैसी जगह भी इसकी हड्डियों के अवशेष मिले हैं। 16वीं से 19वीं सदी के बीच कायम रही मुग़ल सल्तनत में ब्लैक बक की कई छोटी पेंटिंग मिलती हैं। भारत और नेपाल में ब्लैक बक को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता और बिश्नोई जैसे समुदाय इन्हें क़रीब-क़रीब पूजते हैं। आंध्र प्रदेश ने इन्हें स्टेट एनिमल का दर्जा दिया है। संस्कृत में इन हिरण का ज़िक्र कृष्ण मृग के रूप में मिलता है। हिंदू प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक ब्लैक बक भगवान कृष्ण का रथ खींचता नज़र आता है। राजस्थान में करणी माता को काले हिरण का संरक्षक माना जाता है।