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Black Buck: काले हिरणों को नहीं मिल पा रहा अधिकारियों की सुस्‍ती से नया घर

Black Buck हाईकोर्ट ने पांच वर्ष पहले हिरणों को सिकंदरा की बजाय किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट करने का दिया था आदेश। शिफ्ट करने के लिए बजट मिलने पर भी हिरण नहीं पहुंचाए गए हैं अब तक इटावा में बनी लायन सफारी तक।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:08 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 12:08 PM (IST)
Black Buck: काले हिरणों को नहीं मिल पा रहा अधिकारियों की सुस्‍ती से नया घर
आगरा के सिकंदरा स्‍मारक में वर्तमान में 70 से 80 हिरण हैं।

आगरा, सुबान खान। सिकंदरा स्मारक उद्यान के कृष्ण मृगों (काले हिरण) को पांच वर्ष में भी सुरक्षित जगह नहीं पहुंचाया जा सका। उद्यान में उनकी संख्या लगातार कम हो रही है। कभी सियारों का शिकार तो कभी आपसी भिडंत मे दम तोड़ रहे हैं। वन विभाग वाइल्डलाइफ चीफ स्तर से अनुमित नहीं मिलने से पल्ला झाड़ देता है। वन अधिकारियों की लापरवाही से कहीं 12 वर्ष पहले जैसी घटना न हो जाए।

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सिकंदरा स्मारक में वर्तमान में लगभग 70-80 काले हिरण हैं। 13 वर्ष पहले यहां पर सौ से ज्यादा काले हिरण थे। उसके बाद 12 पहले यानी वर्ष 2008 में 40 हिरणों की मौत हो गई थी। उनका मौत का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। वर्ष 2015 में कोर्ट ने सिकंदरा स्मारक के सभी हिरणों को सुरक्षित जगह पहुंचना का आदेश दिया। वन विभाग ने कई स्थानों के नामों का प्रस्ताव रखा। जिसमें से इटावा लायन सफारी में शिफ्ट करने पर मुहर लग गई। वन विभाग के अधिकारियों ने इस काम में चार वर्ष गुजार दिए। पिछले वर्ष सेट्रल जू अथारिटी की तरफ से भी अनुमति मिल गई। इसके बाद लखनऊ के अधिकारियों की सहमति बनी, लेकिन आज तक भी शिफ्ट नहीं किया गया। वन विभाग के एसडीओ देवेंद्र सिंह ने बताया कि शिफ्टिंग प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वाइल्डलाइफ चीफ से अनुमति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

पहले भी हो चुकी है मौत

22 अक्टूबर, 2019 को सियारों के हमले में हिरण की मौत हुई थी। सितंबर, 2019 में एक हिरण की मौत हुई थी। सितंबर, 2014 को भी दो हिरणों की मौत हो गई थी।

बजट भी मिल गया

एएसआइ की तरफ से वन विभाग को शिफ्टिंग कार्य के लिए लगभग 52 लाख रुपये का बजट भी मिल चुका है। इस रकम से वाइल्डलाइफ एसओएस की सहायता से शिफ्ट करने का कार्य किया जाएगा ।

सियारों का आतंक

स्मारक के उद्यान में पीछे के रास्ते से सियार घुस जाते हैं। जो हिरणों पर हमला करते हैं। एएसआइ की उद्यान शाखा काफी रोकथाम करने के बाद भी सियारों का घुसना नहीं रोक सकी।


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