यात्रीगण कृपा ध्यान दें, अब ट्रैक नहीं कर पाएंगे गंदे, कोच में लगेंगे बायो टॉयलेट
रेलवे बोर्ड ने 30 जून तक सभी बोगियों में परंपरागत की जगह बायो टॉयलेट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल ने ट्रेनों के कोचों में परांपरागत टायलेट की जगह बायो टॉयलेट लगा दिए हैं। अब इन कोचों से गंदगी ट्रैक पर नहीं गिरेगी।
रेलवे बोर्ड ने 30 जून तक सभी बोगियों में परंपरागत की जगह बायो टॉयलेट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आगरा मंडल में 255 कोच हैं। निर्धारित समय में लक्ष्य पूरा करने के लिए आगरा मंडल में सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगाने का काम तेजी से चला। पिछले दिनों सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगा दिए गए हैं। अब इन कोचों से ट्रैक और रेलवे स्टेशन पर गंदगी नहीं फैलेगी। सीनियर डीसीएम आशुतोष सिंह ने बताया कि बायो टॉयलेट लगे कोच तैयार हैं।
यह होता है बायो टॉयलेट
बायो टॉयलेट परांपरागत टॉयलेट से अलग एक ऐसा टॉयलेट है, जिसमें बैक्टीरिया की मदद से मानव मल को पानी और गैस में बदल दिया जाता है, इसमें पानी की बहुत ज्यादा बचत होती है और स्टेशन पर सफाई रहती है।
बायो टायलेट के फायदे
-पारंपरिक शौचालयों से मानव मल को सीधे रेल की पटरियों पर गिरता था, जिससे गंदगी फैलने के साथ ही रेल पटरियों को नुकसान पहुंचता था। अब ऐसा नहीं होगा।
- फ्लश टायलेट को एक बार इस्तेमाल करने पर 10 से 15 लीटर पानी खर्च होता था, जबकि वैक्यूम आधारित बायो टॉयलेट में एक फ्लश में करीब आधा लीटर पानी ही इस्तेमाल होता है।
- स्टेशन अब साफ सुथरे नजर आएंगे। दुर्गंध भी नहीं आएगी।
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