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साइकिल से तय किया कामयाबी का सफर

आगरा -फीरोजाबाद के बड़े उद्योगपति राजीव ने गलियों में बेची माचिस और आयल सोप, अब 117 डिस्ट्रीब्यूटर, करोड़ों का वर्त मान में टर्न ओवर

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 03:13 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 03:13 PM (IST)
साइकिल से तय किया कामयाबी का सफर
साइकिल से तय किया कामयाबी का सफर

आगरा (जागरण संवाददाता)हर कामयाबी के पीछे कड़ी मेहनत होती है। कामयाब बनने के सफर में कठिनाई जरूर आती है, लेकिन कोई काम ऐसा नहीं है जो असंभव हो। ऐसी ही तमाम कहावतों को चरितार्थ कर दिखाया है फीरोजाबाद के उद्योगपति राजीव अग्रवाल ने। साइकिल से गली-गली माचिस बेचने वाले राजीव आज करोड़ो के टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं। उनका पूजा चाय एवं डिटर्जेंट की सप्लाई उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ मध्यप्रदेश व उत्तराखंड तक है।

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अपने कारोबार के शुरुआती दिनों के बारे में राजीव अग्रवाल बताते हैं कि पिता कृष्ण चंद्र अग्रवाल करीब 45 साल पहले शिकोहाबाद की धौला कुरिया गली के मंदिर के अहाते में भंट्टी पर ऑयल सोप बनाया करते थे। एक दिन में 50-60 किलो सोप बनाने के बाद वह खुद साइकिल पर लेकर इसे गांव-गांव में बेचा करते थे। 1988 में राजीव अग्रवाल भी पिता के साथ कारोबार में आ गए। वह सोप के साथ माचिस भी साइकिल से बेचने लगे। अपनी मेहनत के बूते उन्होंने एक-दो साल में ही ऑयल सोप के साथ में डिटर्जेंट केक बनाना शुरू कर दिया। जब कारोबार तरक्की करने लगा तो 1994 में उन्होने डिटर्जेंट पाउडर बनाना शुरू किया। इसके बाद में पूजा चाय भी बनाने लगे। राजीव ने पिता से मिली ग्राहकों के विश्वास को जीतने की सीख को कारोबार में अपना लिया। आज पूजा कंपनी के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखंड में 117 डिस्ट्रीब्यूटर हैं तो 50-60 किलो साबुन से शुरू होने वाला कारोबार आज सैकड़ों टन पर पहुंच गया। फर्म में हर रोज 25 टन केक, दस टन पाउडर एवं एक टन चाय का उत्पादन होता है। अहाते से शुरु हुआ कारोबार आज औद्योगिक क्षेत्र में तीन हजार वर्ग गज में चल रहा है। राजीव के साथ संजीव अग्रवाल भी इस कारोबार को देखते हैं तो दो भाई दीपक अग्रवाल एवं आकाश अग्रवाल आगरा में टैंट एवं विद्युत सप्लायर का काम करते हैं।

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पिता के नाम गली का नामकरण

राजीव अग्रवाल के साथ उनके पिता कृष्ण चंद्र अग्रवाल की मेहनत की भी आजकल फीरोजाबाद में मिसाल दी जाती हैं। उनकी मेहनत एवं समाज के लिए सेवा को देखते हुए उनके (कृष्ण चंद्र अग्रवाल) निधन के बाद नगर पालिका ने इस गली का नामकरण उनके नाम पर कर दिया।

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