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राम मंदिर हिंदुओं के स्वाभिमान का विषय: भैयाजी जोशी

देश से गुलामी के प्रतीक वाले नामों को खत्म होना चाहिए। शक्तिशाली, संस्कारित और जाग्रत समाज का निर्माण ही संघ का लक्ष्य।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 12:11 PM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 01:06 PM (IST)
राम मंदिर हिंदुओं के स्वाभिमान का विषय: भैयाजी जोशी
राम मंदिर हिंदुओं के स्वाभिमान का विषय: भैयाजी जोशी

आगरा, आशीष भटनागरराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश जोशी 'भैयाजी' ने  कहा कि श्रीराम मंदिर का निर्माण हिंदू समाज के आत्मसम्मान का विषय है। यह मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है, यह हिंदुओं का आस्था का मुद्दा है। बाबरी ढांचा ही क्या देश में कहीं भी ऐसे गुलामी के प्रतीक नहीं होने चाहिए जो हिंदू समाज को ठेस पहुंचाते हों। हालांकि उन्होंने हाल ही में बदले गए इलाहाबाद, अयोध्या और मुगलसराय के नाम का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया। उन्होंने इतना अवश्य कहा कि इसका विरोध दासता की मानसिकता वाले लोगों का ही काम है।

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 आगरा कॉलेज मैदान पर व्यवसायी स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार करने वाले औरंगजेब के नाम से दिल्ली में मार्ग क्यों होना चाहिए? कनाट प्लेस या लेडी होर्डिंग्स मेडिकल कॉलेज जैसे गुलामी के प्रतीक नाम वाले नाम आज तक क्यों बने हुए हैं? इनमें से कोई कभी भी समाज का आदर्श नहीं रहे, फिर भी उनके नामों को ढोना और ऐसे नामों को बदलने का विरोध करना गुलामी की मानसिकता ही है।

सरकार्यवाह ने कहा कि संघ को लेकर लोगों की अलग- अलग कल्पना है। गंगा और गाय की बात करने पर उसे सांप्रदायिक करार दिया जाता है। संघर्ष का वातावरण बनाया जाता है। पवित्र गंगा को स्वच्छ और निर्मल करना और गाय का संरक्षण सभी का कर्तव्य है। गंगा और गाय सभी धर्म, पंथ और वर्गों को समान रूप से लाभ पहुंचाती है। उसमें समाज को भी विभेद क्यों करना चाहिए।

भैयाजी जोशी ने कहा कि संघ कोई नया काम नहीं कर रहा है। सशक्त, संस्कारवान और जाग्रत ङ्क्षहदू समाज के लिए आदि काल से तमाम महापुरुषों ने समय-समय पर आंदोलन चलाए हैं। उसी कार्य को संघ भी आगे बढ़ा रहा है। इस कार्य का उद्देश्य स्वयं को सशक्त बनाना है न कि किसी अन्य का पराभव करना। संघ एक देश, एक समाज की अवधारणा पर कार्य करता है। धर्म, जाति, वर्ग, प्रांत या भाषा की संकुचित विचारधारा से समाज दुर्बल हुआ है। इसी दुर्बलता को दूर करने का कार्य संघ विगत 93 वर्षों से कर रहा है। बहुत हद तक किया जा चुका है, अभी और भी बहुत कुछ करना बाकी है।


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