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Agra Museum: म्यूजियम के शिलान्यास से पूर्व ही मुगलों पर नामकरण होने को लेकर थी आपत्ति, ये थी बड़ी वजह

Agra Museum इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बाबर और उसके वंशजों को बताया था तुर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्माण शुरू होने से पूर्व वर्ष 2015 में भेजा था पत्र।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 09:54 AM (IST)
Agra Museum: म्यूजियम के शिलान्यास से पूर्व ही मुगलों पर नामकरण होने को लेकर थी आपत्ति, ये थी बड़ी वजह
Agra Museum: म्यूजियम के शिलान्यास से पूर्व ही मुगलों पर नामकरण होने को लेकर थी आपत्ति, ये थी बड़ी वजह

आगरा, निर्लोष कुमार। बाबर और उसके वंशज मुगल नहीं, तुर्क थे। उन्हें मुगलों से घृणा थी। मुगलों के खिलाफ उन्हें संघर्ष भी करना पड़ा था। ताजनगरी के वरिष्ठ इतिहासविद् राजकिशोर राजे ने मुगल म्यूजियम के शिलान्यास से पूर्व ही इसी आधार पर उसके नामकरण पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा था। उप्र में वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद भी उन्होंने इस मुद्दे को निरंतर सरकार के समक्ष उठाया। उन्होंने राज्यपाल राम नाईक को भी पत्र लिखा था। अब सीएम योगी आदित्‍यनाथ द्वारा इस म्‍यूजियम का नाम बदले जाने के बाद ये मुद्दा फिर उठ खड़ा हुआ है।

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ताजनगरी में शिल्पग्राम के नजदीक बनाया जा रहा मुगल म्यूजियम अब छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आगरा मंडल की समीक्षा बैठक में म्यूजियम का नाम बदले जाने को निर्देश जारी किए। म्यूजियम के नाम पर आपत्ति उसका निर्माण शुरू होने से पूर्व ही इतिहासविद् राजकिशोर राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 28 मई, 2015 को भेजे पत्र में जताई थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि म्यूजियम के नामकरण पर आगरा की जनता को घोर आपत्ति है। आगरा मुगलों द्वारा स्थापित शहर नहीं है, इसका अपना उत्तर पाषाण युगीन इतिहास उपलब्ध है। जिन मुगलों के नाम पर इसका नामकरण किया जा रहा है, वो वास्तव में तुर्क थे।

राजे बताते हैं कि आगरा में कैलाश महादेव मंदिर में विराजमान शिवलिंग महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि द्वारा प्रतिष्ठित बताए जाते हैं। रुनकता महर्षि परशुराम की मां के नाम पर ही है। इससे आगरा त्रेता युग का साबित होता है। महाभारत काल में भी अग्रवन के नाम से इसका उल्लेख है। बटेश्वर के शौरीपुर में भगवान श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव निवास करते थे। फतेहपुर सीकरी के निकट रसूलपूर, पतसाल, मदनपुर की गुफाओं में उत्तर-पाषाण युगीन यानि करीब सात हजार वर्ष पुरानी पेंटिंग्स हैं। यह मुगलों से पूर्व आबाद शहर है। मुगलों ने जब आगरा को आबाद ही नहीं किया तो उनके नाम पर म्यूजियम बनाना उचित नहीं हो सकता, इसलिए उन्होंने आपत्ति जताई थी।

दिए थे ऐतिहासिक साक्ष्य

राजकिशोर राजे ने कई ऐतिहासिक साक्ष्य भी दिए थे। बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' में कई स्थानों पर मुगलों की निंदा की है। बाबर ने 'बाबरनामा' तुर्की भाषा में लिखा था और वो तुर्की में ही कविताएं लिखा करता था।

-सैयद अतहर अब्बास रिजवी ने बाबरनामा का अनुवाद 'मुगलकालीन भारत-बाबर' के नाम से किया था। इसे वर्ष 1960 में अलीगढ़ मुस्लिम विवि द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसके पृष्ठ 524 पर मुगलों द्वारा बाबर के विरुद्ध किए गए विद्रोह का उल्लेख है। पृष्ठ 542 पर बाबर ने मुगलों को अभागा लिखा है। पृष्ठ 592 पर हुमायूं द्वारा मुगलों की कटु आलोचना करने का जिक्र है। हुमायूं ने लिखा था कि यदि मुगल कौम फरिश्तों के रूप में भी हो तो भी बुरे होंगे। यदि मुगलों का नाम सोने के अक्षरों में भी लिखा जाए तो वह बहुत बुरा होगा...।

-डाॅ. एसआर शर्मा ने अपनी पुस्तक 'भारत में मुगल साम्राज्य' में बाबर को पितृ पक्ष से तुर्क और मातृ पक्ष से मंगोल बताते हुए मुगल कहे जाने पर आपत्ति जताई है।

-आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने अपनी किताब 'दिल्ली सल्तनत' में बाबर की मां के पूर्वज चंगेज खां को बौद्ध लिखा है।

2015 में बनी थी योजना

मुगल म्यूजियम के निर्माण की योजना सपा सरकार के समय वर्ष 2015 में बनाई गई थी। 141.89 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच जनवरी, 2016 को होटल ताज खेमा में हुए कार्यक्रम में किया था।


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