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मथुरा- वृंदावन के कायापलट की तैयारी, बांकेबिहारी से लेकर यमुना के घाटों की ऐसे बदलेगी सूरत

नगर निगम ने बीवीजी कंपनी को दिया वार्ड 70 की सफाई का जिम्मा। तीन शिफ्टों में 24 घंटे हुआ करेगी सफाई, मशीनें करेंगी सफाई।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 01:17 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 01:17 PM (IST)
मथुरा- वृंदावन के कायापलट की तैयारी, बांकेबिहारी से लेकर यमुना के घाटों की ऐसे बदलेगी सूरत
मथुरा- वृंदावन के कायापलट की तैयारी, बांकेबिहारी से लेकर यमुना के घाटों की ऐसे बदलेगी सूरत

आगरा, विपिन पाराशर। भगवान बांके बिहारी के मंदिर क्षेत्र में अब 24 घंटे सफाई होगी। मैनुअल और मशीन से होने वाली यह सफाई नागरिकों और श्रद्धालु यात्रियों को राष्ट्रपति भवन से संसद मार्ग, तिरुपति और शिरडी की चमाचम सफाई व्यवस्था की याद दिला देगी।मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने वृंदावन के इस वार्ड संख्या 70 के लिए देश की सबसे बड़ी स्वच्छता कंपनी बीवीजी से करार किया है। यह कंपनी इस पूरे वार्ड में 24 घंटे सफाई कराएगी।

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वृंदावन के वार्ड 70 को स्वच्छता रैंकिंग में प्रदेश में पांचवा स्थान हासिल करने का तोहफा मिला है। भारत विकास ग्रुप इंडिया लिमिटेड (बीवीजी) बांकेबिहारी मंदिर क्षेत्र के साथ पंचकोसीय परिक्रमा की सफाई व्यवस्था शुरू करने जा रही है। बीवीजी राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद मार्ग तक की सफाई व्यवस्था का जिम्मा तो संभाल ही रही है, साथ ही शिरडी, तिरुपति बालाजी, जगन्नाथ पुरी, वैष्णो देवी मंदिर जैसे देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की सफाई व्यवस्था भी देख रही है।

70 शहरों में 75 हजार कर्मचारी

पुणो की बीवीजी इंडिया लिमिटेड देश के 20 राज्यों के 70 शहरों में सेवाएं दे रही है। कंपनी में करीब 75 हजार कर्मचारी हैं, जो 800 इलाकों की सफाई व्यवस्था चाक चौबंद बनाए हुए हैं।

कंपनी का प्रशिक्षण पूरा

बीवीजी ने शुक्रवार को यहां लगाने वाले कर्मियों का प्रशिक्षण कार्य पूरा करा दिया। इस वार्ड में मैनुअली काम तो होगा ही, मैकेनिकल संसाधन भी झोंके जाएंगे। गलियों में कर्मचारी काम करेंगे तो चौड़े रास्तों पर मशीनें नजर आएंगी। आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्टों में काम होगा।

अगले सप्ताह लांच होगा प्रोजेक्ट

कंपनी अधिकारियों से आज ही अपडेट लिया है। पूरी तैयारी है। अगले सप्ताह के शुरू में इस स्वच्छता प्रोजेक्ट को लांच करा दिया जाएगा। 

- समीर वर्मा, नगर आयुक्त

लुप्त हो गए घाटों का होगा सुंदरीकरण

इतिहास में दर्ज यमुना के 39 प्राचीन घाटों में से जमीन के अंदर समा गए चार घाटों को फिर से निकाल कर संवारा जा रहा। नगर निगम की मुहिम रंग लाई तो शेष दबे घाट भी बाहर आ सकते हैं। निगम प्रशासन इस मामले में सर्वे कराकर अतिक्रमण और अवैध कब्जों की भी सूची तैयार करा रहा है।

केंद्र सरकार की योजना के तहत संवारे गए इन घाटों की तर्ज पर नगर निगम अब बाकी बचे 35 घाटों को भी संवारने का मन बना चुका है। दिल्ली के एक्सपर्ट इन घाटों को संवारने के काम में जुट चुके हैं। फिलहाल करौली घाट, नाभा घाट, कोरिया घाट व विहार घाट को जमीन के अंदर से निकालकर संवारा जा रहा है।

नगर आयुक्त समीर वर्मा का कहना है कि इसके लिए कार्ययोजना तैयार हो रही है। यह बड़ा काम है। कोशिश है कि परिक्रमा करने वालों को सामने से यमुना दर्शन हों, लेकिन कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिए हैैं। उनके पुनर्वास का ध्यान भी रखा जाएगा। फिलहाल अन्य घाटों की कार्ययोजना अभी प्रारंभिक चरण में है।

यह हैं प्राचीन घाट

वृंदावन में यमुना किनारे वाराह घाट, कालीय दमन (कालीदह) घाट, सूरज घाट, गोपाल घाट, युगल घाट, केशी घाट, विहार घाट, आंधेर घाट, इमलीतला घाट, श्रृंगार घाट, गोङ्क्षवद घाट, चीर घाट, भ्रमर घाट, धीर समीर घाट, राधाबाग घाट, पानी घाट आदि घाट हैैं। जिनमें से तमाम का अस्तित्व नहीं है।


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