कान्हा की नगरी में अब ये आकर्षण लुभाएंगे भक्तों को, बदलने लगी सूरत Agra News
अब श्रद्धालुओं को लुभाएंगे टेर कदंब आशेश्वर व वृंदा कुंड के तट। ब्रज विकास तीर्थ परिषद की ओर से शुरू हुआ सुंदरीकरण का कार्य।
आगरा, जेएनएन। अब पौराणिक स्थल आशेश्वर महादेव, वृंदा देवी मंदिर और टेर कदंब तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। यहां उत्तर प्रदेश ब्रज विकास तीर्थ परिषद की ओर से मंदिरों को जाने वाले मार्ग और कुंड के तटों का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू करवा दिया गया है। मंदिर के चारों ओर बाउंड्रीवाल, कुंड की सीढिय़ां, मार्ग का चौड़ीकरण, इंटरलॉकिंग आदि कार्य कराए जाएंगे। ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आशेश्वर महादेव और टेर कदंब जाने वाले रास्तों के चार फीट चौड़ीकरण का कार्य शुरू हो गया है। कुंड के चारों तरफ परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा।
आशेश्वर महादेव मंदिर की यह है मान्यता
नंदबाबा के यहां कृष्णरत्न की प्राप्ति की खबर सुनकर भोले बाबा उनके दर्शनों के लिए नंदभवन पहुंचे। मैया यशोदा उनके भयानक रूप को देखकर डर गई। उन्होंने लाला को दिखाने से मना कर दिया। यह सुनकर भोले बाबा इसी आशेश्वर नामक स्थल पर धुनी रमाकर बैठ गए। उधर, बालक श्रीकृष्ण रुदन करने लगे। तब गोपियां भोले बाबा को लाला के दर्शन करवाने अपने साथ लेकर नंदभवन पहुंची। तभी से इस स्थान का नाम आशेश्वर महादेव पड़ गया। स्थानीय निवासी हरिमोहन पंडा ने बताया कि जो भी इस स्थान पर आस लेकर आता है उसकी मुराद पूरी होती हैं। मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में बाबा को दाल-बाटी-चूरमे का भोग लगाते हैं।
टेर कदंब
टेर कदंब नामक स्थान पर भगवान अपनी गायों को चराने के लिए आया करते थे। गोधुलि बेला में लौटते समय कदंब के वृक्ष पर चढ़कर वेणु वादन करते थे। उनकी वेणु की आवाज सुनकर गाय उनकी तरफ दौड़ी चली आया करती थीं।
वृंदा देवी
वृंदा देवी का यह मंदिर बहुत प्राचीन है। ब्रजमंडल में वृंदा देवी का आगमन इसी स्थल से बताया जाता है।