गर्मियों में कूल रहने के लिए जा रहे हैं स्विमिंग पूल तो रखें इन बातों का ध्यान
बिना किट के अधिकांश पूल में मापा जाता है पानी का पीएच। सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते स्विमिंग पूल।
आगरा, जागरण संवाददाता। गर्मी में मौज मस्ती और कुछ सीखने के लिए तैराकी से बेहतर विकल्प क्या हो सकता है। गर्मी तो दूर होती ही है, व्यायाम भी हो जाता है। बच्चे तैराकी सीखने के लिए स्वीमिंग पूल की ओर रुख भी कर रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल सुरक्षा मानकों का है।
सुरक्षा मानकों के बिना अधिकांश स्विमिंग पूल चल रहे हैं। कहीं लाइफ गार्ड मौजूद नहीं हैं तो कही पानी का रंग देखकर ही पीएच का आंकलन कर लिया जाता है। ऐसे में स्विमिंग पूल बीमारी का कारण भी बन रहे हैं।
क्या है गाइडलाइन
सुरक्षा नियमों के अंतर्गत आने वाले सभी उपकरणों व यंत्रों को स्विमिंग पूल पर उपलब्ध करवाना जरूरी है। इसके अलावा स्विमिंग कोच, दो लाइफ गार्ड, फाइबर सुरक्षा ट्यूब, दो लाइफ जैकेट, दो कृत्रिम सांस यंत्र, दो ऑक्सीजन सिलिंडर, दो विशेष प्रकार की लाइफ गार्ड के लिए बनाई गई कुर्सी, एक इन-आउट रजिस्टर, दो जीवन सुरक्षा निर्देश बोर्ड, दो सुरक्षा व सफाई नियम बोर्ड, दो फायर फाइटिंग यंत्र, दो स्ट्रेचर, कंबल, एक फस्टऐड बॉक्स, महिला व पुरुष बाथरूम, इनर्वटर या जनरेटर की भी व्यवस्था जरूरी है। इसके अलावा स्विमिंग पूल सीसीटीवी की नजर में कैद होना चाहिए। इसके साथ ही स्विमिंग पूल पर आपात स्थिति के लिए डॉक्टर भी मौजूद होना चाहिए।
कई जगह नियम हैं ताक पर
भले ही कमेटी अब तक कोई बड़ी कमी हाईलाइट नहीं कर पाई हो, लेकिन जिले के कई स्विमिंग पूल नियमों को ताक पर रख कर चल रहे हैं। कई स्वीमिंग पूल की हाइट छह फुट से ज्यादा है, जबकि हाइट छह फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यही नहीं, सीसीटीवी कैमरा तो बहुत ही कम स्विमिंग पूल में लगा है। डॉक्टर भी सभी जगह नहीं है।
7-8 तक होना चाहिए पानी का पीएच
स्विमिंग पूल के पानी का पीएच 7 से 8 के बीच होना चाहिए। इससे कम होने पर पानी अम्लीय हो जाता है। पीएच को स्थिर करने के लिए पानी में क्लोरीन डाली जाती है।
प्रति मिनट पैदा होते हैं बैक्टीरिया
बच्चे 10 ग्राम तक यूरीन पूल में ले आते हैं। यानी अगर किसी स्विमिंग पूल में 100 बच्चे जाते हैं तो वे लगभग 1,000 ग्राम यूरीन पानी में छोड़ेंगे। इससे लगातार पानी में बैक्टीरिया फैलते हैं। तैराकों को अपने स्तर पर सतर्क रहना चाहिए। एक टेस्टिंग किट लेकर पूल के पानी मे क्लोरीन का स्तर मापा जा सकता है। बहुत ज्यादा जम्र्स होने पर पानी में क्लोरीन की मात्रा कम हो जाती है।
क्लोरीन से तुरंत नहीं मरते जम्र्स
ज्यादातर लोगों का ऐसा मानना है कि स्विमिंग पूल के पानी में क्लोरीन डालने से पूल में मौजूद जम्र्स तुरंत मर जाते हैं। लेकिन यह सच्चाई नहीं है। ज्यादातर रोगाणु, क्लोरीन के प्रति सहनशील होते हैं और उनका खात्मा करने में क्लोरीन को कई दिनों का वक्त लग सकता है। स्वास्थ्य मानकों के अनुसार क्लोरीन का स्तर 1.0 से 3.0 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) होना चाहिए।
पूल में जाने से पहले क्या करें
स्विमिंग पूल का पानी आपको बीमार न करे इसलिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें। स्विमिंग पूल में जाने से पहले शावर लेना न भूलें। अगर हाल ही में आपको डायरिया हो चुका है तो स्विमिंग पूल में जाने से परहेज करें।
यह न करें तैराकी
अस्थमा, मिर्गी या स्किन से संबंधित बीमारी वाले लोगों को तैराकी से बचना चाहिए। फिर भी मन करता है तो डॉक्टर से बात करने के बाद ही तैराकी का निर्णय लें। डॉक्टर स्वीमिंग के समय ध्यान रखने वाली जरूरी बातों को बताएगा।
बच्चों का रखें ध्यान
स्वीमिंग पूल में बच्चों के उतरने पर उस पर बराबर नजर रखें। किसी भी स्वीमिंग पूल में लाइफ गार्ड इतने नहीं होते हैं कि एक-एक बच्चे के साथ रह सकें। आप भी यदि स्वीमिंग कर रहे हैं तो बच्चे के नजदीक रहें।
विशेषज्ञ की राय
स्विमिंग पूल के पानी में सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। पानी में बैक्टीरिया फैलने से स्किन, टीवी और एलर्जी की समस्या हो सकती है। पानी की लगातार जांच करनी चाहिए।
डॉ. यतेन्द्र चाहर, चर्म रोग विभागाध्यक्ष, एसएन मेडिकल कॉलेज
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