हल्के में न लें हाई ब्लड प्रेशर और शुगर को, कहीं सर्दी न बना ले शिकार
एसएन इमरजेंसी में गंभीर हालत में पहुंच रहे मरीज। ब्लड प्रेशर बढऩे और शुगर का स्तर अनियंत्रित होने से बढ़ रहे केस।
केस वन - हाथरस निवासी पिंकू (35) को 15 जनवरी को गंभीर हालत में परिजन एसएन इमरजेंसी लेकर पहुंचे। इलाज शुरू करने से पहले ही ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई।
केस टू - शीला देवी (65) को ब्रेन स्ट्रोक के बाद आठ जनवरी को एसएन इमरजेंसी में भर्ती कराया। यहां जांच कराई गई, कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई।
आगरा, जागरण संवाददाता। सर्दी में ब्लड प्रेशर और शुगर का स्तर बढऩे से ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा हो रहा है। एसएन इमरजेंसी में गंभीर हालत में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज भर्ती हो रहे हैं। इसमें 35 साल के युवा से लेकर 70 साल के बुजुर्ग मरीज भी हैं।
सर्दी में खून की नसें सिकुड़ जाती हैं, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। एसएन के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों में ब्लड प्रेशर अचानक से बढऩे पर ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग में खून का थक्का जमना, दिमाग की नस फटना) हो रहा है। हर रोज दो से तीन केस आ रहे हैं। गंभीर हालत में पहुंच रहे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है।
चार घंटे में टीपीए
ब्रेन स्ट्रोक में खून का थक्का जमा है तो चार घंटे में टिश्यू प्लामिनोनज एक्टिवेटर (टीपीए, इंजेक्शन) लगाया जाता है। इससे 70 फीसद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। जिला अस्पताल में स्ट्रोक के मरीजों में टीपीए इंजेक्शन निश्शुल्क लगाया जा रहा है।
सात दिन तक कम ना होने दें ब्लड प्रेशर
विशेषज्ञों के अनुसार खून का थक्का जमने से स्ट्रोक होने पर टीपीए नहीं लग पाता है तो ब्लड प्रेशर कम करने की दवा नहीं देनी चाहिए। एक सप्ताह तक ब्लड प्रेशर 190, 100 रहना चाहिए। इससे दिमाग को नुकसान होने से बच सकता है।
ये हैं लक्षण
- एक तरफ का हिस्सा टेढ़ा हो जाए
- एक हाथ और पैर ना चले
- जुबान लड़लड़खाने लगे