Tajmahal के 500 मीटर दायरे में कारोबारियों को नहीं मिलेगी राहत, मंडलायुक्त ने किया इन्कार
Tajmahal सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को आदेश किया था। इसमें ताजमहल की 500 मीटर की परिधि में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश किया गया था। एडीए ने यहां व्यावसायिक गतिविधियों को 17 अक्टूबर तक बंद करने की मोहलत कारोबारियों को प्रदान की है।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजमहल की चहारदीवारी की 500 मीटर की परिधि में व्यावसायिक गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के आदेश के अनुपालन में एडीए ने 17 अक्टूबर तक की मोहलत कारोबारियों को प्रदान की है।
रविवार को केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में डेटलाइन न हवाला देते हुए राहत दिलाने का आश्वासन कारोबारियों को दिया था। सोमवार को मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने कारोबारियों को किसी तरह की राहत देने से इन्कार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को ताजमहल की चहारदीवारी की 500 मीटर की परिधि में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश किया था। इसके अनुपालन में एडीए ने 17 अक्टूबर तक व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के नोटिस जारी किए हैं। कारोबारियों को नए सामान का भंडारण नहीं करने की चेतावनी देते हुए क्षेत्र में मालवाहक वाहनों पर पाबंदी लगाई है। परेशान कारोबारियों ने सोमवार शाम विधायक डा. जीएस धर्मेश और पूर्व विधायक केशो मेहरा के नेतृत्व में मंडलायुक्त अमित गुप्ता से मुलाकात की।
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कारोबारियों ने दिवाली होने का दिया हवाला
कारोबारियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए कुछ समय की राहत देने की मांग की। 24 अक्टूबर को दीपावली होने का हवाला देते हुए कहा कि काराेबार पर प्रतिबंध लगने से हजारों परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
मंडलायुक्त ने उन्हें किसी तरह की राहत देने से इन्कार कर दिया। ताजगंज डवलपमेंट फाउंडेशन के अध्यक्ष नितिन सिंह, ताहिरउद्दीन ताहिर, रमाकांत सारस्वत, सचिन बंसल, संजय अरोड़ा आदि मौजूद रहे।
राहत को सुप्रीम लड़ाई लड़ेंगे कारोबारी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताजमहल की चहारदीवारी की 500 मीटर की परिधि में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश किए जाने के बाद कारोबारियों को कहीं से राहत मिलती नजर नहीं अा रही है। 17 अक्टूबर तक की मोहलत बीतने के बाद एडीए द्वारा कार्रवाई किए जाने पर हजारों परिवार प्रभावित होंगे। इससे राहत के लिए कारोबारी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर अपना पक्ष रखेंगे।