Holi Special: यहां धधकते अंगारे भी बन जाते हैं फूल, जानें क्या है फालैन की अनोखी परंपरा
बुधवार को होलिका दहन के वक्त 30 फुट ऊंची आग की लपटों से निकलेगा फालैन का पंडा।
आगरा, तनु गुप्ता। रंग और उमंग का पर्व होलिका दहन के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की जीत का भी संदेश देता है। साथ ही यह संदेश भी देता है कि बुराई का दमन कठिन तप और दृढ़ निश्चय के बाद ही संभव है। इसी परंपरा की अनोखी बानगी का हर वर्ष गवाह बनता है मथुरा का गांव फालैन। जहां हर वर्ष अनोखी होली मनाई जाती है। फालैन के पंडा यहां 30 फुट ऊंची धधकती आग की लपटों के बीच से निकलता है। यह अद्भुत नजारा देखने को श्रद्धालुओं और आसपास के लोगों का विशाल हुजूम यहां उमड़ता है।
मथुरा से 54 किलोमीटर दूर कोसी शेरगढ़ मार्ग पर फालैन गांव है जहां यह अनूठी होली होती है। यहां भक्त प्रहलाद का एक प्राचीन मंदिर है और एक प्रहलाद कुंड भी है। होलिका दहन के दिन गांव का एक पंडा प्रहलाद कुंड में स्नान करके गांव की चौक में लगाई गई विशाल होली की जलती लपटों के भीतर छलांग लगाकर उससे बाहर निकलता है।
यह पंडा होली से पूर्व गांव के प्रहलाद मंदिर में पूजा करता है और फिर प्रहलाद कुंड में स्नान करता है।
इसके बाद जलती होली में पैर रखकर बड़ी शीघ्रता से होलिका से निकल जाता है। इसमें पंडा को लगभग एक से डेढ़ मिनट का समय लगता है। इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं।
परंपरा का अनुसरण हो रहा वर्षों से
ग्रामीणों के अनुसार वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। ऐसा नहीं है कि इस परंपरा का निर्वाहन कोई एक ही व्यक्ति ही करता हो। जब कोई पंडा जलती होली में से निकलने में असमर्थता व्यक्त करता है तो वह अपनी पूजा करने वाली माला, जिले भक्त प्रहलाद की माला कहते हैं उसे मंदिर में रख देता है। इसके बाद गांव का जो व्यक्ति उसे उठा लेता है वह जलती होली में से निकलता है।
विशाल जलती होली से जिस समय पंडा निकलता है उस समय उस होली के आसपास खड़े रहना भी संभव नहीं होता है लेकिन पंडा धधकते अग्नि के बीच से बेदाग निकल जाता है।
रहती है होली की धूम
प्रहलाद के मेले के नाम से प्रसिद्ध फालैन गांव की इस होली में आसपास बड़ा नगाड़ा बजाती हुई चौपाल मंडलियां आती हैं और रात भर होली के रसिया गांव में गूंजते हैं। देश- विदेश से आने वाले दर्शक हों या स्थानीय लोग सभी होलिका के इस दृश्य को देखने के लिए सांस साधे बैठे रहते हैं।
इतना ही नहीं इस दृश्य को कैमरे में कैद करने के लिए विदेशी पर्यटकों की टोली भी होली से पूर्व इस गांव में आ चुकी है।
कठिन तप से ही संभव
होलिका दहन से पूर्व से वह गृहस्थ जीवन का त्याग कर देते हैं। निर्धारित समय के अनुसार पूजा और तप करते हैं। नंगे पैर रहते हैं और जमीन पर ही विश्राम करते हैं। केवल एक समय फलाहार करते हैं ।
अग्नि की प्रंचडता और पंडा का निश्चय जब होंगे आमने सामने
इस वर्ष फालैन गांव के 50 वर्षीय बाबूलाल पंडा होलिका दहन से पूर्व दोपहर दो बजे स्नान आदि से निवृत्त होकर होलिका का पूजन करने के बाद घी का दीपक जलाकर प्रहलाद मंदिर पर जप पर बैठ जाएंगे। मंदिर के बाहर पास के पांचों गावों के श्रद्धालु धमार गायन कर पंडा का उत्साहवर्धन करेंगे। बाबूलाल पंडा कुछ समय के अंतराल पर दीपक की जलती लौ पर हथेली का स्पर्श करते रहेंगे। इसके बाद भक्त प्रहलाद की माला से जप करेंगे।
शाम को श्रद्धालु वाद्य यंत्रों पर फाग गायन का दौर शुरू करेंगे। इसके बाद दीपक की लौ जब शीतलता धारण करेगी। तब पंडा होली प्रज्ज्वलित करने का संकेत देंगे। तय मुहूर्त पर पंडा मंदिर से निकलकर प्रहलाद कुंड में स्नान करेंगे। फिर पंडा प्रहलाद कुंड से दौड़ता हुआ अग्नि के समक्ष पहुंचेगा और अग्नि में गंगाजल के छींटे डालकर शीतलता बनाए रखने की प्रार्थना करेगा। इसके साथ ही बाबूलाल पंडा बदन पर मात्र एक लंगोटी व हाथ में माला लेकर जप करता हुआ अग्नि में प्रवेश कर देखते- देखते उस पार पहुंच जाएगा।
फालैन में कल होगा पंडा मेला का आगाज
प्रहलाद नगरी फालैन में पंडा मेला का आगाज कल बुधवार को होगा। इसको लेकर उपजिलाधिकारी छाता रामदत्त राम ने प्रशासन ने मेला स्थलों का जायजा लिया है। फालैन के परिक्रमा मार्ग में वर्षों से हो रहे जलभराव को दूर कराने के लिए भी निर्देशित किया है। ग्राम प्रधान को साफ सफाई कराने के दिशा निर्देश दिए हैं।
उन्होंने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि को रास्ते में भरे पानी को पंप सेट लगवाकर निकलवाने और रास्ता को साफ कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं साफ सफाई और जगह- जगह बैरीकेङ्क्षटग व प्रकाश व्यवस्था कराने के लिए कहा है।