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Babar Mughal Emperor: आगरा की बाबरी मस्जिद, काबुल से पहले यहां पढ़ी गई थी बाबर के जनाजे की नमाज

आगरा की खूबसूरत इमारतें सभी का मन मोह लेती हैं। मुगलों ने यहां कई स्मारकों का निर्माण कराया था। काबुल में बाबर का दूसरा दफन हुआ था। छह महीने तक आगरा के चारबाग में बाबर का शव दफन रहा था। बाबर के दफन की नमाज आगरा में पढ़ी गई थी।

By Abhishek SaxenaEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2022 10:29 AM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 10:29 AM (IST)
Babar Mughal Emperor: आगरा की बाबरी मस्जिद, काबुल से पहले यहां पढ़ी गई थी बाबर के जनाजे की नमाज
Babar Mughal Emperor: आगरा में एत्माद्दौला में बाबर ने मस्जिद का निर्माण कराया था।

आगरा, जागरण टीम। यूपी का शहर आगरा ऐतिहासिक स्मारकों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। आगरा में मुगलों ने राजधानी बनाकर यहां कई स्मारकों का निर्माण कराया था। बाबर ने आगरा में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। सन् 1528 में बनवाया था और 26 दिसंबर, 1530 को जब बाबर की मौत हुई तब उसके जनाजे की नमाज भी इसी मस्जिद में पढ़ी गई थी। इस मस्जिद के सामने ही चारबाग में छह महीने तक बाबर का शव भी रखा रहा, जिसे बाद में काबुल में दफन किया गया था।

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आगरा किले पर किया था कब्जा

इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि बाबर पहली बार 10 मई, 1526 को आगरा आया था। इससे पहले उसके छोटे बेटे हुमायूं ने आगरा किला पर कब्जा किया और किले का सारा खजाना लूटा था। हुमायूं ने सुरक्षा की दृष्टि से यमुनापार पूर्वी क्षेत्र में डेरा डाला था। आज ये एत्माद्दौला के नाम से जाना जाता है। बाबर ने आरामबाग (रामबाग) और चार बाग का निर्माण कराया। चारबाग के सामने ही उसने 1528 में बाबरी मस्जिद तामीर कराई गई, जिसमें आज भी विधिवत पांचों पहर की नमाज पढ़ी जाती है। बाबर के समय चारबाग पॉश इलाका था। लेकिन आज यहां की हालत खस्ताहाल है।

चारबाग में छह महीने तक रखा था बाबर का शव

चारबाग जहां बाबर का छह महीने तक शव रखा रहा था, वह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि एएसआई की देखरेख में है। बाबरी मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद हारून ने बताया था कि मस्जिद में नमाज तो पांचों वक्त की पढ़ी जाती है, लेकिन जुमे की नमाज के दिन ही ज्यादा नमाजी आते हैं। उस दिन यहां नमाजियों की संख्या पांच सौ से अधिक होती है।

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मोहम्मद हारून के अनुसार उनकी तीसरी पीढ़ी बाबरी मस्जिद में सेवा कर रही है। यहां नई पीढ़ी को तालीम भी दी जा रही है। यह आगरा की सबसे पुरानी मस्जिद है। इससे पहले आगरा में इस्लाम के अनुयायी नहीं थे और न ही कहीं कोई मस्जिद थी। सबसे पहले बाबर ने ही मस्जिद का निर्माण कराया था, लेकिन आज बहुत कम लोग ही इस ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद के बारे में जानते हैं।

लोगों का है ये कहना

यह बहुत पुराना इबादत स्थल है। बताया जाता है कि इस मस्जिद को स्वयं बाबर ने बनवाया था। हम बचपन से यहां इबादत के लिए आते हैं। पांचों वक्त की यहां नमाज पढ़ी जाती है। यहां पर नई पीढ़ी के बच्चों को तालीम भी दी जाती है। -गुल्लो (अकीदतमंद) 


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