Deepawali 2020: दीपावली पर इस बार 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग, धनतेरस दो दिन
Deepawali 2020 12 और 13 को मनाई जाएगी धनतेरस। धनतेरस को लेकर न रहें असमंजस में। 14 को सुबह नरक चतुर्दशी शाम को होगा लक्ष्मी-पूजन। पहले वर्ष 1521 में ऐसा संयोग पड़ा था। दीपावली के दिन गुरु अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में विराजमान होंगे।
आगरा, जागरण संवाददाता। दीपोत्सव में इस बार धनतेरस पर्व 12 और 13 नवंबर को, दो दिन मनाया जाएगा। 12 नवंबर को शाम से शुभ मुहूर्त लग जाएगा, जिसमें खरीदारी की शुरूआत की जा सकती है, लेकिन धनतेरस का पूजन 13 नवंबर को ही किया जाएगा। वहीं दीपावली पर इस बार 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग देखने को मिलेगा। पहले वर्ष 1521 में ऐसा संयोग पड़ा था। दीपावली के दिन गुरु अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में विराजमान होंगे। साथ ही शुक्र ग्रह अपनी नीच राशि कन्या में होंगे। नौ नवंबर 1521 को भी दीपावली के दिन यही संयोग था। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि 12 नवंबर को रात नौ बजकर 31 मिनट से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 13 नवंबर को शाम पांच बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इसलिए 13 नवंबर को प्रदोष काल में धनतेरस (धनवंतरि जयंती) पर्व मनाया जायेगा।
इसलिए दो दिन होगी धनत्रयोदशी
दृश्य एवं प्राचीन गणित पंचांगो के अनुसार धनत्रयोदशी गुरुवार व शुक्रवार को मनाई जाएगी। कारण दोनों गणित पंचांगो के तिथिमान में लगभग तीन घंटे का अंतर होने से यह पर्व दो दिन मनाया जाएगा। प्राचीन गणित पंचांग के अनुसार गुरुवार 12 नवंबर को सायंकाल छब बजकर 30 मिनट पर त्रयोदशी तिथि लगेगी, अतः धनत्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी होने के कारण मनाई जाएगी। लेकिन दृश्य गणित पंचागो के अनुसार गुरुवार को रात्रि नौ बजकर 30 मिनट पर त्रयोदशी तिथि लगेगी, इस दिन प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि नहीं है। इसलिए दूसरे दिन शुक्रवार 13 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी तिथि होने के कारण गुरुवार व शुक्रवार, दोनों दिन धनत्रयोदशी पर्व मनाया जाएगा।
यह हैं अन्य मुहूर्त
वहीं 13 नवंबर को शाम छह बजे से चतुर्दशी प्रारंभ होगी, जो 14 नवंबर दोपहर दो बजकर 18 मिनट तक रहेगी। रूप चतुर्दशी या नरक चौदस पर्व अरुणोदय से पूर्व मनाया जाता है, इसलिए कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी दिन शनिवार 14 नवम्बर 2020 की सुबह मनाई जाएगी।
शास्त्रों (निर्णय सिंधु ग्रंथ) के अनुसार जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी अधिक तक अमावस्या तिथि हो, उसी दिन दीपावली पर्व मनाते हैं, इस वर्ष 13 नवंबर को दोपहर दो बजकर 18 मिनट तक चतुर्दशी के बाद अमावस्या प्रारंभ होगी, जो 14 नवंबर सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी, इसलिए 14 नवंबर की शाम को ही महालक्ष्मी पूजन कर दीपावाली मनाए जाएगी। 14 नवंबर को दीपोत्सव स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य योग, तुला राशि का चंद्रमा, तुला राशि का सूर्य, मीन के मंगल और धनु राशि के गुरु, मकर राशि के शनि में होगा।
दीपावली लक्ष्मी पूजन
दिन के समय डेढ़ से तीन बजे लाभयोग, व्यापार केंद्रों में पूजा का समय दिन में तीन से साढ़े चार बजे अमृतयोग, गोधूलि शाम छह से साढ़े सात तक लाभयोग (सर्वश्रेष्ठ), वहीं रात्रि नौ से साढ़े 10 बजे तक शुभयोग, रात्रि साढ़े 10 से रात 12 बजे तक अमृतयोग होगा, जिसमें मंगल ग्रह मीनराशि में वक्री से मार्गी होंगे, अतः यह समय भी विशेष मंगलकारी रहेगा। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त पूजा का गोधूलि में शाम पांच बजकर 40 मिनट से रात्रि आठ बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
15 को होगी गोवर्धन पूजा
15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बाद गोवर्धन पूजा (अन्नकूट महोत्सव) का आयोजन होंगा। 16 नवंबर को प्रतिपदा सुबह सात बजकर छह मिनट तक होगी, इसके बाद द्वितीया (भाई दौज) प्रारंभ होगी। इस तरह तिथि गणना के अनुसार पंचोत्सव इस बार पांच नहीं,बल्कि चार दिवसीय होगा।
यह है कारण
त्यौहार के चार दिवसीय होने का मुख्य कारण द्वितीया तिथि का क्षय होना है। द्वितीया तिथि 16 नवंबर को सुबह सात बजकर सात मिनट पर प्रारंभ होगी और 17 नवंबर सुबह तीन बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। द्वितीया तिथि किसी भी सूर्योदय को स्पर्श नहीं कर रही है, अर्थात दोनों में से किसी भी दिन यह तिथि उदित (उदया तिथि) नहीं हो रही है। अतः द्वितीया तिथि क्षय होने से उत्सव चार दिवसीय होगा।
यह भी कहते हैं पंडित और ज्योतिषाचार्य
लंगड़े की चौकी मंदिर के महंत गोपी गुरू ने बताया कि श्री देव पंचांग के अनुसार बुधवार को एकादशी है। गुरुवार को द्वादशी है। इसलिए 13 नवंबर को ही धनतेरस माना जाएगा, हालांकि 12 को भी कुछ लोग धनतेरस मनाएंगे। कैलाश मंदिर के महंत गौरव गिरी के अनुसार श्री देव पंचाग के अनुसार धनतेरस 13 नवंबर को है। सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट प्रदोषकाल कहलाता है, इस समय ही दीप पर्व का महत्व है। ज्योतिषाचार्य डा. शोनू मेहरोत्रा का कहना है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का प्रारंभ 12 नवंबर को रात 9:30 बजे हो रहा है,जो अगले दिन 13 नवंबर को शाम 5:59 तक है। ऐसे में इस साल धनतेरस 13 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर 2020 को रात 9:30 बजे से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 13 नवंबर 2020 को शाम 5:59 बजे तक
धनतेरस पूजा मुहूर्त: प्रात: सात से नौ बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त
नौ से 10.30 बजे तक मध्यम मुहूर्त
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की तस्वीर,कुबेर यंत्र शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर स्थापित करें। कुबेर स्थिर धन के प्रतीक माने जाते हैं, इसलिए धनतेरस पर उनकी पूजा होती है। स्थापना के बाद क्रमश: देवी लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि को अक्षत, धूप, रोली, चंदन, सुपारी, पान का पत्ता, नारियल आदि अर्पित करें। फिर इनके मंत्रों का उच्चारण करें।