Atal Bihari Vajpayee: आगरा के स्वागत से अभिभूत हुए थे अटल बिहारी, बेड़ई, जलेबी थी पसंद
Atal Bihari Vajpayee पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का आगरा से गहरा था लगाव। अधिवेशन के बाद कहा था आगरा वाले फूलों से कर देते हैं घायल। होटल का खाना छोड़ परिवार के साथ किया था पूर्व प्रधानमंत्री ने भाेजन।
आगरा, अम्बुज उपाध्याय। भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का आगरा से गहरा नाता रहा है। अपने पैतृक गांव बटेश्वर में किशोर अवस्था के कारनामों से अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था, तो अपने व्यवहार से सभी को मोहित किया था। वे राजनीति के नए सौपानों पर पहुंचे, लेकिन यादें और गहरी होती गई। आगरा में हुए भव्य स्वागत से वे अभिभूत थे तो यहां की बेड़ई, जलेबी और समोसा का स्वाद उन्हें लुभाता था। कार्यकर्ता जब तक कहने की हिम्मत जुटाते तब तक तो वे नाम लेकर पूछ लेते थे कि आज नाश्ते में क्या है। इसके साथ ही आगरा से उनके कई दूसरे गहरे संस्मरण जुड़े हुए हैं।
वर्ष 1942 में आजादी की लड़ाई में पूर्व पीएम वाजपेयी ने भी योगदान दिया था। 18 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पैतृक गांव बटेश्वर में वन विभाग की उस कोठरी को तोड़ दिया, जिसमें अंग्रेज अधिकारी बैठते थे। इस दौरान अधिकारी पहुंच गए थे और उन्होंने वाजपेयी को देख लिया था। कोठरी तोड़ने के आरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा था। वर्ष 1947 में तत्कालीन आगरा विवि वर्तमान डा. बीआर आंबेडकर विवि से वाजपेयी ने पालिटिकल साइंस में एमए किया था। उनके दस्तावेज भी गुम हुए थे, जिनके मिलने की घोषणा राज्यपाल रामनाईक ने अपने कार्यकाल के दौरान मथुरा में एक कार्यक्रम में की थी। इसके बाद उन्होंने राजनीति का लंबा सफर तय किया और कई बार आगरा आए। वर्ष 1988 में आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन और कार्यकारिणी हुई थी, जिसमे लालकृष्ण आडवाणी को अध्यक्ष चुना गया था। दोनों दिग्गज जीप में सवार होकर शहर में निकले तो स्वागत से अभिभूत हो गए। हर बाजार ने अपने उस क्षेत्र में बिकने वाले उत्पादों के द्वार बनाए थे। साड़ियों, बर्तन, स्टेशनरी के भव्य द्वार बने थे और घर-घर से पुष्प वर्षा हुई थी। इसके बाद अटल बिहारी ने खुद कहा था कि आगरा के लोग तो फूलों से घायल कर देते हैं। विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि अधिवेशन के बाद उनका आगरा से और गहरा जुड़ाव हो गया था। अटल बिहारी की सादगी के कार्यकर्ता कायल थे। वर्ष 1990 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली फरह में आए थे, वे उस समय समिति के अध्यक्ष थे। बेलनगंज की बेड़ई और जलेबी उनको लुभाती थीं। फरह लेकर हम पहुंचे तो वे प्रसन्न हो गए थे। एक बार रामबाबू का पराठा और समोसे भी वे पसंद करते थे। आगरा आगमन पर वे स्वयं कहकर कार्यकर्ताओं से मंगा भी लिया करते थे।
होटल का खाना छोड़ परिवार के साथ किया भोजन
अपने पैतृक गांव बटेश्वर के दौरे के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1999 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया था। उनके लिए होटल के भोजन की व्यवस्था की गई थी, लेकिन उन्होंने परिवार के साथ जाकर भोजन किया। परिजन बताते हैं कि वे पीएम के रूप में आए, लेकिन दायित्व का एहसास नहीं होने दिया। दौरे के दौरान उन्होंने खुद कह बैंगन का भर्ता और बाजरे की रोटी बनवाकर खाई थी।