बहुरेंगे आगरा के “हवाई बुर्ज” के दिन, मुगलिया दौर में यमुना किनारे की शान थी ये हवेली कभी
बल्केश्वर में हवेली के बुर्ज की संवरेगी दशा। मुगल काल में यमुना किनारे बनी हवेलियों का है अवशेष। राज्य पुरातत्व विभाग ने संरक्षण को तैयार किया है प्रस्ताव। तीन मंजिला बुर्ज की एक मंजिल जमीन में दबी है। ऊपरी दो मंजिलें नजर आती हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी को कभी यमुना किनारे बनीं हवेलियों व उद्यानों के लिए जाना जाता था। यमुना के दोनों ओर बने अधिकांश स्मारकों व बागों का आज अस्तित्व मिट चुका है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित स्मारक और चुनिंदा बाग ही बचे हैं। अन्य का अस्तित्व या तो मिट चुका है या फिर उनके अवशेष बचे हैं। इन्हीं में से एक बल्केश्वर में यमुना किनारा स्थित हवेली के बुर्ज को राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कर उसकी दशा सुधारी जाएगी।
यमुना के दाएं किनारे पर बल्केश्वर में पुरानी हवेली का बुर्ज है। इसका निर्माण रेड सैंड स्टोन से हुआ है। मुगल काल में यमुना किनारे बनी अनेक हवेलियों में से किसी एक का यह बुर्ज है। तीन मंजिला बुर्ज की एक मंजिल जमीन में दबी है। ऊपरी दो मंजिलें नजर आती हैं। बुर्ज मेहराबदार है, जिससे प्रतीत होता है कि इसका प्रयोग सुरक्षा के लिए किया जाता होगा। ऊपरी मंजिल पर बुर्जी है, जिसमें पत्थर के खंभों के ऊपर गुंबद बना है। इसके चारों ओर छज्जे हैं, जो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। स्थानीय निवासियों के बीच यह बुर्ज हवाई बुर्ज के नाम से प्रसिद्ध है। राज्य पुरातत्व विभाग की आगरा इकाई ने इसे मुगलकालीन हवेली की स्थापत्य कला के दुर्लभ उदाहरणों में से एक मानते हुए संरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया है।
राज्य पुरातत्व विभाग की क्षेत्रीय इकाई के प्रभारी अधिकारी डा. राजीव कुमार त्रिवेदी ने बताया कि उप्र राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति की बैठक में बुर्ज को संरक्षित करने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके लिए नोटिफिकेशन किए जाएगा।