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फतेहपुरसीकरी सीकरी में मुगल पेंटिंग संजो रहा ASI, अब दिखेगा नयापन Agra News

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में केमिकल ब्रांच ने शुरू किया काम।मरम्मत का काम मार्च के अंत तक पूरा हो पाएगा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 04:56 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 04:56 PM (IST)
फतेहपुरसीकरी सीकरी में मुगल पेंटिंग संजो रहा ASI, अब दिखेगा नयापन Agra News
फतेहपुरसीकरी सीकरी में मुगल पेंटिंग संजो रहा ASI, अब दिखेगा नयापन Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। फतेहपुर सीकरी स्थित सूफी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में एएसआइ की केमिकल ब्रांच ने पेंटिंग को सहेजने का काम शुरू कर दिया है। इससे पेंटिंग लंबे समय तक सुरक्षित रह सकेंगी।

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मुगल शहंशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में सुव्यवस्थित शहर बसाया था। सूफी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में शानदार जाली वर्क देखने लायक है। अंदर की तरफ दीवारों पर सफेद प्लास्टर पर फूल-पत्तियों की बेहतर पेंटिंग की गई है। उचित देखरेख के अभाव में दरगाह के अंदर पेंटिंग का काम नष्ट हो रहा है। कुछ जगह प्लास्टर फूल गया है। इसे सहेजने को एएसआइ की केमिकल ब्रांच ने पेंटिंग के मरम्मत की शुरुआत की है। केमिकल ब्रांच के विशेषज्ञ स्वयं इस काम को कर रहे हैं। पेंटिंग का रासायनिक संरक्षण किया जा रहा है। प्लास्टर पर जहां से पेंटिंग पकड़ छोड़ रही हैं उसे ठीक किया जाएगा। छोटे-छोटे क्रेक सही करने को फिलिंग होगी। मार्च के अंत तक इस काम के पूरा होने की उम्मीद है।

अकबर ने लाल पत्थर से कराया था निर्माण

इतिहासविद् राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल शहंशाह अकबर ने लाल पत्थर से दरगाह का निर्माण कराया था। बाद में शहंशाह जहांगीर ने उसे श्वेत संगमरमर से बनवाया। पेंटिंग का काम भी उसी के समय का है। डॉ. झारखंडे चौबे और डॉ. कन्हैया लाल श्रीवास्तव की किताब 'मध्ययुगीन भारतीय समाज एवं संस्कृति' में इसका जिक्र है।

पिछले दिनों गिरा था प्लास्टर

दरगाह में एक जनवरी को करीब एक फुट से अधिक क्षेत्र का प्लास्टर झड़ गया था। इससे पेंटिंग नष्ट हो गई थी। बची पेंटिंग को बरकरार रखने को एएसआइ ने एजिंग करवाई थी।

एएसआइ ने शुरू किया बीम बदलने का काम

एएसआइ ने भी दरगाह में बीम बदलने का काम शुरू कर दिया है। यहां दो संगमरमर की बीम में चटक आ गई थीं, उन्हें पाड़ लगाकर रोका गया था। एक बीम पिछले वर्ष बदल दी गई थी, लेकिन फंड की कमी के चलते दूसरी बीम बदलने का काम रुक गया था। पांच माह बाद अब दूसरी बीम बदलने का काम शुरू किया गया है। 


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