Tajmahal: ताजमहल की दीवार में आई मुगलकाल जैसी मजबूती, ASI ने पूरा कर दिखाया ये बड़ा काम
ताजमहल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा करीब 50 लाख रुपये की लागत से किया गया संरक्षण का काम। 20 फुट से 100 फुट की ऊंचाई तक बदले गए खराब पत्थर। 20 महीने का समय लगा इस काम में। दीवार की ऊंचाई अधिक होने के चलते सामने आईं कई चुनौतियां।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 20 महीनों में ताजमहल की पश्चिमी दीवार को सहेजा है। यहां करीब 50 लाख रुपये की लागत से खराब पत्थरों को बदला गया और निकले हुए पत्थर दोबारा लगाए गए। दीवार की ऊंचाई अधिक होने से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
ताजमहल की पश्चिमी दीवार का बाहर की तरफ से संरक्षण का काम दिसंबर, 2019 में शुरू किया गया था। दीवार में कई जगह से पत्थर निकल गए थे और कई पत्थर लोनी लगने की वजह से खराब हो गए थे। कंगूरे टूट गए थे और कई जगह बार्डर के पत्थर निकल गए थे। पश्चिमी गेट के नजदीक दीवार करीब 20 फुट ऊंची है, जबकि बाग खान-ए-आलम में मस्जिद की बैक साइड में यह करीब सौ फुट ऊंची है। एएसआइ ने यहां संरक्षण कार्य के दौरान दीवार के खराब हो चुके पत्थरों को हटाकर उनकी जगह दूसरे पत्थर लगाए। अधिक ऊंचाई पर खराब हो चुके पत्थरों को दीवार से निकालने, नीचे उतारने के बाद उसी आकार में पत्थरों की कटिंग कर ऊपर चढ़ाना मुश्किल भरा रहा। इससे संरक्षण के काम में अधिक समय लगा। टूटे हुए कंगूरे नए बनाए गए। दीवार पर ऊपर की तरफ पान की डिजाइन के इनले वर्क के और बार्डर के जो पत्थर निकल गए थे, उन्हें दोबारा लगाया गया।
अधीक्षण पुरातत्वविद डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ताजमहल की पश्चिमी दीवार के संरक्षण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। दीवार की ऊंचाई अधिक होने से इसमें अधिक समय लगा।
लाकडाउन में दो बार बंद हुआ काम
कोरोना काल में दो बार हुए लाकडाउन में दीवार के संरक्षण का काम बंद रहा। पिछले वर्ष मार्च से जून और इस वर्ष अप्रैल से जून तक काम बंद रहा।