Breed Improvement: छठवीं पीढ़ी में मिलेगी पशुओं की शुद्ध नस्ल, प्रयोग रहा सफल Agra News
कृत्रिम गर्भाधान से गाय की चार और भैंस की एक नस्ल में होगा सुधार। प्रदेश में चुने गए सौ-सौ गांवमथुरा में तीन सौ गांव चयनित।
आगरा, मनोज चौधरी। दुधारू गाय और भैंस की नस्ल क्रॉस ब्रीडिंग से बिगड़ गई है। पशुओं की नस्ल में सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान कारगर साबित हो रहा है। सूबे के कई जिलों में राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है, इसमें मथुरा जिले के तीन सौ गांव भी शामिल हैैं। माना जा रहा है लगातार कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं की छठवीं पीढ़ी की शुद्ध नस्ल पशु पालकों को मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दो गुना किए जाने की घोषणा की है। उसमें कृषि के साथ पशुपालन भी शामिल है लेकिन दुधारू पशुओं की कई नस्ल ऐसी हैैं, जो काफी कम दूध देती हैैं। वर्तमान समय में देश में पशुओं की दुग्ध क्षमता 300 दिन में औसतन 1000 से 1500 लीटर तक है। प्रदेश में गाय के देसी नस्ल खराब हो गई है। वर्तमान में कई राज्यों में गाय की साहीवाल, हरियाणा, जर्सी और हाल्सटीन फ्रिजियन के अलावा मुर्रा नस्ल की भैंस इतने ही दिन में औसतन 3000 लीटर से अधिक दूध देती है। देसी नस्ल खराब होने के पीछे क्रॉस ब्रीड माना गया है। नस्ल सुधार के लिए पशुओं में साहीवाल, हरियाणा, जर्सी, हाल्सटीन फ्रिजियन के अलावा मुर्रा नस्ल का कृत्रिम गर्भाधान कराया जा रहा है।
जिलों के सौ-सौ गांव चयनित
कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रदेश के अधिकांश जिलों में 100-100 गांव चुने गए हैं, लेकिन मथुरा में चुने गए गांवों की संख्या 300 है। यहां अधिक संख्या के पीछे गायों की संख्या अधिक होना भी माना जाता है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना में निश्शुल्क कृत्रिम गर्भाधान हो रहा है।
पशुओं की ऐसे सुधरेगी नस्ल
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. एसके मलिक कहते हैं कि गर्भाधान में पहले साल 30 फीसद तक पशुओं की नस्ल में बदलाव होता है और दूसरी दफा में यह पचास फीसद तक हो जाता है। छठवीं पीढ़ी में जाकर शुद्ध नस्ल पशुपालक को मिल जाएगी। ऐसा कई शोध में प्रमाणित भी हो चुका है। उनका कहना है कि इसके लिए पशुपालक को इस बात का विशेष ख्याल रखना होता है कि वह जिस नस्ल के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान करा रहा है, वह लगातार छह बार उसी सीमन से कराए। सीमन बदल गया, तो फिर नस्ल में सुधार नहीं हो पाएगा।
मथुरा में पहले सौ गांव चुने गए थे। शासन से दो सौ गांव चुनने के लिए बाद में निर्देश आए थे। लिहाजा तीन सौ गांव में कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है।
डॉ. भूदेव सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
मथुरा में पशु जनगणना के आंकड़े
वर्ष गाय भैंस
2003 130741 568050
2008 142203 723925
2012 226186 781969
2019 214236 574556