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तुलसी के नाम पर संजीदा न खुसरो पर मेहरबां, आखिर कौन दिलाएगा इस नगरी को पहचान

एटा को तुलसी का जन्मस्थान कहने से भी कतराते रहे सांसद। खुसरो की सरजमीं को भी नहीं हासिल हुआ मुकाम।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 03:05 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 03:05 PM (IST)
तुलसी के नाम पर संजीदा न खुसरो पर मेहरबां, आखिर कौन दिलाएगा इस नगरी को पहचान
तुलसी के नाम पर संजीदा न खुसरो पर मेहरबां, आखिर कौन दिलाएगा इस नगरी को पहचान

 आगरा, अनिल गुप्ता। जैसे कान्हा से मथुरा, ताज से आगरा, सूरदास से रुनकता की पहचान है, वैसे ही रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास से एटा लोकसभा क्षेत्र के सोरों व सूफी कवि हजरत अमीर खुसरो के नाम से पटियाली जानी जाती है। सोरों की फिजां में मानस की चौपाइयां गूंजती हैं, वहीं पटियाली में खुसरो के इल्म का दरबार आज भी सजा दिखाई देता है। मगर हमारे माननीयों ने न तो चौपाइयों के मर्म को समझा और न ही खुसरो की साहित्यिक खूबसूरती की परवाह की।

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कितनी बिडंबना है कि दुनिया ने इन पुरोधाओं को सिर-आंखों पर बैठाया, मगर 67 साल के संसदीय इतिहास में हमारे सांसद इन दोनों हस्तियों को कुछ नहीं दे सके।

एटा संसदीय इतिहास की शुरुआत वर्ष 1952 से होती है। सांसद कोई भी रहे हों, लेकिन समय- समय पर सोरों ही नहीं, पूरे ब्रज के लोग यह मांग करते रहे कि सोरों को तुलसी की जन्मस्थली घोषित किया जाए। लेकिन इस मांग को माननीयों ने नजरअंदाज कर दिया। राजनीतिक पार्टियां इस मामले से बिल्कुल विमुख रहीं। उन्हें डर लगता रहा कि अगर उन्होंने सोरों का समर्थन किया तो बांदा के लोग नाराज हो जाएंगे। इसलिए वे चुपचाप जनसभाओं की अनदेखी करती रहीं। इस बीच सोरों के विकास की बात तो हुई, लेकिन तुलसी पर न तो संसद में कोई बोला और न ही सड़क पर।

यह तुलसी के साथ ही नहीं हुआ बल्कि खुसरो को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इतनी बड़ी हस्ती जिसने दुनिया को शेर-ओ-शायरी, कव्वाली, खड़ी बोली, सितार, तबला जैसे साज और विधाएं दीं, उनकी सरजमीं को महज छोटा सा स्मारक बनवाकर छोड़ दिया गया। जब बात बढ़ी तो पुस्तकालय, वाचनालय खोल दिया गया, मगर ऐसा कोई भवन नहीं बनवाया गया जिसे देखने के लिए पर्यटक आकर्षित होते या दुनिया से लोग जैसे अन्य प्रसिद्ध स्थलों की तरह यहां भी आते। यहां कांग्रेस, भाजपा, सपा जैसे दलों का राज रहा, मगर सब इन हस्तियों को भूले रहे।

अब तक रहे सांसद

1952 रोहनलाल चतुर्वेदी, कांग्रेस

1957 रोहनलाल चतुर्वेदी, कांग्रेस

1962 विशनचंद्र सेठ, हिंदू महासभा

1967 रोहनलाल चतुर्वेदी, कांग्रेस

1971 रोहनलाल चतुर्वेदी, कांग्रेस

1977 महादीपक सिं‍ह शाक्य, भारतीय लोकदल

1980 मुशीर अहमद खां कांग्रेस

1984 महफूल अली खां उर्फ प्यारे मियां, लोकदल

1989 महादीपक सिं‍ह शाक्य, भारतीय जनता पार्टी

1991 महादीपक सिं‍ह शाक्य, भारतीय जनता पार्टी

1996 महादीपक सिं‍ह शाक्य, भारतीय जनता पार्टी

1998 महादीपक सिं‍ह शाक्य, भारतीय जनता पार्टी

1999 कुंवर देवेंद्र सिं‍ह यादव, सपा

2004 कुंवर देवेंद्र सिं‍ह यादव, सपा

2009 कल्याण सिं‍ह, जनक्रांति पार्टी, सपा समर्थित

2014 राजवीर सिं‍ह, भाजपा 


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