आगरा समेत इन इलाकों के लिए खतरनाक साबित होगा 8 की तीव्रता वाला भूकंप, माइक्रो फ्रैक्चर प्लेट़्स पर बसे हैं शहर
भू-भौतिक विद एवं इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सोसाइटी फार अर्थ क्वेक एंड वाल्केनाे (EMSEV) के सदस्य डा. सूर्यांश चौधरी कहते हैं कि आठ या उससे अधिक रिक्टर स्केल वाला भूकंप आया तो वह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वह कहते हैं कि हम भूंकप को नाप तो सकते हैं लेकिन इसके पूर्वानुमानों को लेकर अभी भी शोध की कमी है।

जागरण संवाददाता, आगरा। दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद और गुरुग्राम में सबसे अधिक बहुमंजिला इमारते हैं। यहां पर अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। इसका कारण इन शहरों का माइक्रो फ्रैक्चर प्लेट्स पर बना होना है। यहां भूगर्भ में दरारें अधिक हैं, जिसके चलते यहां पर भूकंप के झटके अधिक तीव्रता से महसूस होते हैं।
भू-भौतिक विद एवं इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सोसाइटी फार अर्थ क्वेक एंड वाल्केनाे (EMSEV) के सदस्य डा. सूर्यांश चौधरी कहते हैं कि आठ या उससे अधिक रिक्टर स्केल वाला भूकंप आया तो वह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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वह कहते हैं कि भारत में हम भूंकप को नाप तो सकते हैं, पृथ्वी विज्ञान विभाग ने भूंकप की तीव्रता को नापने के लिए सीस्मोमीटर लगाए हैं। मगर पूर्वानुमानों को लेकर शोध की कमी है। जिस पर काम किया जाना चाहिए। जिससे हम भूकंप के पूर्वानुमान के अधिक नजदीक पहुंच सकें। हम 10 से 15 मिनट पहले भूकंप के पूर्वानुमान सटीक जानकारी दे सकें।
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भूकंप के पूर्वानुमान के यह हैं संकेत
डा. सूर्यांश चौधरी कहते हैं कि भूकंप के आने से पहले के कुछ संकते हैं, इससे पूर्वानुमान लगाया जाता है। यह संकेत निम्न हैं
- जहां पर भूकंप आते हैं, वहां पर बादलों बदलाव होता हैं, जिसे क्लाउड फार्मेशन कहा जाता है। पृथ्वी की विद्युत चुंबकीय तरंग है, वह पृथ्वी के पर्यावरण और वायुमंडल पर प्रभाव होता है।
- कुछ पैरामीटर्स ऐसे होते हैं, जिनमें कई बदलाव देखने को मिलता है। वहां वायु का तापमान बढ़ जाता है।कुछ रेडिएशन में बदलाव देखने को मिलता है। इन संकेतों से भू भौतिकविद भूकंप का पूर्वानुमान लगाते हैं।
- पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर ऊपर जाते है, जिसे आयनो स्फीयर या आयन मंडल कहते हैं, वहां भी बदलाव देखने को मिलता है। आयन मंडल पदार्थ की चौथी अवस्था है।
- तीन प्रकार के पदार्थ होते हैं। ठोस, तरल और गैस। चौथी अवस्था प्लाज्मा है, यह विद्युत चुंबकीय तरंगे जब पृथ्वी से होकर आयन मंडल में जाती हैं तो इस पर यह प्रभाव बहुत जल्दी देखने को मिलता है। भूकंप का पूर्वानुमान वैज्ञानिक इसकी मदद से जल्दी लगा लेते हैं। विश्व भर के वैज्ञानिक आयन मंडल पर शोध कर रहे हैं।
- सतह के तापमान पर भी वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। देखने में आया है कि जहां-जहां पर भूकंप आया है, वहां पर सतह का तापमान बढ़ जाता है। वहां पर दरारों से रेडान गैस का उत्सर्जन होता है। इस रेडान गैस का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है।
भूकंप आने से पहले कर लें ये काम
- छत और नींव के प्लास्टर में पड़ी दरारों की मरम्मत कराएं।
- छत में झूमर और लाइटिंग को सही तरीके से टांगे।
- नीचे के शेल्फों में बड़ी या भारी वस्तुओं को रखें।
- पानी गर्म करने का हीटर, गीजर, आदि को दीवार के साथ अच्छी तरह कसवाएं।
- घर के अंदर-बाहर सुरक्षित स्थानों को तलाश कर रखें।

भूकंप के वक्त आप घर पर हों तो क्या करें
- यदि आप घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाएं। किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे शरण लें।
- किसी आंतरिक दरवाजे के लेंटर, किसी कमरे के कोने पर रुककर अपने को बचाएं।
- शीशे, खिड़कियों, दीवारों या ऐसी कोई चीज जो गिर सकती हो उससे दूर रहें।
- यदि आप उस समय पलंग पर हों तो वहीं रहें, सिर को तकिया से ढंकें।
- शरण लेने के लिए तभी किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं, जब वह पास हो।
- जब तक भूकंप के झटके न रुकें, बाहर जाना सुरक्षित न हो तो अंदर ही रुकें।
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भूकंप के वक्त आप घर से बाहर हों तो क्या करें
- यदि घर से बाहर हैं तो जहां हैं, वहीं रुकें, इमारत, पेड़ों, बिजली के तारों, स्ट्रीट लाइट आदि से दूर रहें।
- यदि वाहन में चल रहे हों तो उसे रोकें और अंदर बैठे रहें। इमारत, पेड़ों, बिजली के खंबों आदि के पास वाहन खडा न करें।
- मलबे में फंसे हों तो माचिस की तीली न जलाएं। हिले-डुले नहीं, मुंह को रूमाल या किसी कपड़े से ढक लें।
- किसी पाइप या पास की दीवार को थपथपाएं, जिससे कि बचाव कार्य में जुटे लोग आपको ढूंढ सकें।


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