कर्मचारियों को निकाले जाने के विरोध में एंबुलेंस कर्मियों ने की नारेबाजी
नया ठेका लेने वाली कंपनी पर कर्मियों को निकालने का आरोप
जागरण टीम, आगरा। सरकारी एंबुलेंस के स्टाफ ने रविवार को फतेहाबाद कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि रविवार देर रात तक अगर मांगे पूरी नहीं की गईं तों एंबुलेंस का चक्का जाम किया जाएगा।
सरकारी एएलएस एंबुलेंस सेवा के 1000 कर्मचारियों को नया ठेका लेने बाली कंपनी द्वारा निकाला जा रहा है। जिसके चलते कर्मचारियों के आगे रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। कर्मचारियों नौकरी से न निकालने, एंबुलेंस सुविधा को एनआरएचएम के अंतर्गत लाए जोन और एंबुलेंस सेवा में ठेका प्रथा बंद की मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। नारेबाजी करने वालों में राजपाल सिंह, रामकिशोर, मुलायम सिंह, सनी यादव, सुधांशु यादव, नरेंद्र कुमार, जितेंद्र सिंह, सुधीर कुमार, आलोक संजीव मौजूद रहे। एमपीडब्ल्यू के कर्मचारियों ने विभागीय प्रशिक्षण की मांग
जागरण टीम, आगरा। संविदा बहुद्देशीय स्वास्थ्य कर्मियों (एमपीडब्ल्यू) ने प्रदेश सरकार से एक वर्ष का विभागीय प्रशिक्षण दिलाने की मांग की है। एमपीडब्ल्यू एसोसिएशन का कहना है कि चयनित कार्यकर्ताओं को मात्र एक साल का प्रशिक्षण दिलाना था जो मात्र 10 दिन ही दिलाया गया। इससे वे हेल्थ और वेलनेस सेंटर के पदों पर आवेदन नहीं कर सकते हैं। एसोसिएशन ने कार्यकर्ताओं को एक वर्षीय विभागीय प्रशिक्षण दिलाने की मांग करते हुए कल (मंगलवार) को परिवार कल्याण महानिदेशालय का घेराव करेंगे। उत्तर प्रदेश एमपीडब्ल्यू एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष धारा सिंह ने बताया की एनएचएम ने जनवरी 2011 में 3500 संविदा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए नियुक्त किए गए थे। सभी का चयन 40 जिलों में जिला स्वास्थ्य समिति ने मेरिट के आधार पर किया था। नियुक्ति के बाद तीन साल तक कार्य किया। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर एमपीडब्ल्यू बिना मानदेय के कार्यरत हैं। वर्ष 2019-20 में आयुष्मान योजना के तहत हेल्थ और वैलनेस सेंटर पर करीब 2500 एमपीडब्ल्यू संविदा के पद सृजित किए गए इसकी योग्यता इंटरमीडिएट के साथ एक वर्षीय प्रशिक्षण निर्धारित है, लेकिन प्रशिक्षण का समय पूरा न होने से तीन साल कार्य कर चुके एमपीडब्ल्यू इस पद पर आवेदन नहीं कर सकते हैं।