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New Education Policy: आखिर किस करवट बैठेगा Ambedkar University में चार साल के बीएड का ऊंट?

New Education Policy अगले सत्र से गाइडलाइंस के अनुसार शुरू होगी कवायद। संस्थानों को लेनी होगी एनसीटीई से अनुमति और विवि से मान्यता।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 08:40 PM (IST)
New Education Policy: आखिर किस करवट बैठेगा Ambedkar University में चार साल के बीएड का ऊंट?
New Education Policy: आखिर किस करवट बैठेगा Ambedkar University में चार साल के बीएड का ऊंट?

आगरा, जागरण संवाददाता। 2030 तक शिक्षण के लिए नई शिक्षा नीति के तहत चार साल का बीएड कोर्स अनिवार्य किया गया है।इस फैसले के बाद आंबेडकर विवि में बीएड पाठ्यक्रम को बदलने की कवायद अगले सत्र के लिए की जाएगी।हालांकि बीएड पाठ्यक्रम और आंबेडकर विवि का साथ काफी दागदार रहा है।बीएड को लेकर फर्जीवाड़ा और विवि का पुराना नाता है। एेसे में नई शिक्षा नीति का यह फैसला विवि से संबद्ध कालेजों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए काफी बदलाव लेकर आएगा।

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बीएड पाठ्यक्रम में सबसे बड़े फर्जीवाड़े का दाग विवि पर 2004-05 में लगा था। जिसकी जांच की आंच में अब तक विवि और उससे संबंधित अधिकारी, शिक्षक और विद्यार्थी तप रहे हैं।विगत 29 जुलाई को इसी मामले की जांच में लगी कमेटी ने विवि कार्यपरिषद के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे उच्च न्यायालय भेज दिया गया है।रिपोर्ट के अनुसार प्रत्यावेदन के लिए आई 814 मामलों में से 812 मामले फर्जी हैं।इन सभी विद्यार्थियों की डिग्री निरस्त करने की संस्तुति भी की गई है। इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा होने पर विवि की छवि काफी खराब हुई है।

विद्यार्थियों का बचेगा एक साल

शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए फैसलों में बीएड को चार साल का पाठ्यक्रम किया जाएगा।अब तक दो साल की बीएड होती थी और इसके लिए स्नातक होना अनिवार्य था।इस फैसले से विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा क्योंकि वे अब बारहवीं के बाद सीधा बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे। इससे उनका एक साल का समय बचेगा।चार साल का यह पाठ्यक्रम एकीकृत होगा, जो कला व विज्ञान दोनों संकायों के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया जाएगा।जिन कालेजों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित हैं, वहां यह पाठ्यक्रम आसानी से संचालित हो सकेगा।

बदलाव के तय होंगे मानक

आंबेडकर विवि में 11 राजकीय बीएड कालेज और 450 से ज्यादा सेल्फ फाइनेंस कालेज हैं। इनमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं।नई शिक्षा नीति के अनुसार बारहवीं के बाद बीएड करने वालों को चार साल, ग्रेजुएशन के बाद दो साल और परास्नातक के बाद एक साल की इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स करना होगा।वर्तमान में जो बीएड कालेज संचालित हैं, उन्हें भी अब एनसीटीई(नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) से विशेष अनुमति लेनी होगी।अगर बारहवीं के बाद वाले चार साल का कोर्स भी संचालित करना है, तो उसके लिए भी एनसीटीई से अनुमति लेने के बाद विवि से भी मान्यता लेनी होगी।

आठ सेमेस्ट में मिलेगा प्रशिक्षण भी

चार साल के एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम को आठ सेमेस्टर में बांटा गया है। इसमें शिक्षण पद्धति के साथ ही ट्रेनिंग भी दी जाएगी। संस्थानों में पढ़ाई के साथ ट्रेनिंग भी बेहतर मिले, इसके लिए मॉनीटरिंग सिस्टम भी तैयार होगा। फीस का निर्धारण भी जल्द ही किया जाएगा।

इन बदलावों को धरातल पर लाने में अभी वक्त लगेगा।अगले सत्र से हम भी नई गाइडलाइंस के अनुसार ही काम करेंगे।

- डा. अंजनी कुमार मिश्रा, कुलसचिव 


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