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ShriKrishna JanamBhoomi: कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान पर सुनवाई को लेकर लगीं अदालत पर देशभर की निगाहें

ShriKrishna JanamBhoomi वादी पक्ष आज अदालत में प्रस्तुत करेगा अपना तर्क। तर्क सुनने के बाद अदालत अमल में लाएगी आगे की कार्रवाई। मस्जिद के पक्षकारों ने भी ली विधिक राय। संतों ने भी बैठक कर भर दी है हुंकार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 11:13 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 09:43 AM (IST)
ShriKrishna JanamBhoomi: कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान पर सुनवाई को लेकर लगीं अदालत पर देशभर की निगाहें
मथुरा में श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि और ईदगाह परिसर। फाइल फोटो

आगरा, जेएनएन। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद को लेकर दायर दावे पर बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा की अदालत में सुनवाई होगी। वादी पक्ष के तर्कों को सुनकर अदालत इस मामले में आगे की प्रक्रिया अमल में लाएगी। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य लोगों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर एक दावा 25 सितंबर को अदालत में प्रस्तुत किया था। इसमें कहा गया है कि शाही मस्जिद ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की जमीन पर बनी है।

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वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और ईदगाह कमेटी के बीच समझौता हुआ था। जमीन ट्रस्ट की है, ऐसे में सेवा संघ का समझौता अवैध है। समझौते को रद कर मस्जिद को हटाया जाए। सोमवार को इस मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की अदालत में सुनवाई के लिए बुधवार की तारीख तय की गई है। बुधवार को वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, उनके पिता हरिशंकर जैन के साथ ही वादी रंजना जैन आदि अपना पक्ष रखने अदालत पहुंचेंगी। वादी पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद अदालत आगे की प्रक्रिया अमल में लाएगी। वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि केस दायर करने में हमने जो ग्राउंड तैयार किया है, वह बेहद मजबूत है। हमारे हर दावे का प्रमाण है। हम ये सारे प्रमाण अदालत के सामने प्रस्तुत करेंगे।

मस्जिद कमेटी ने भी ली विधिक राय

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के विवाद को लेकर अदालत में दायर हुई याचिका पर मंगलवार को मस्जिद कमेटी ने विधिक राय ली। कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने बताया कि 1968 में हुए समझौते और अन्य दस्तावेजों को ध्यान में रख मस्जिद कमेटी ने अधिवक्ताओं से इस मुद्दे पर राय ली है। यदि अदालत हमें नोटिस जारी करती है, तो हम अपना पक्ष रखेंगे।

संतों ने किया आह्वान

मोतीझील स्थित श्रीगुरुकृपा कार्ष्णि आश्रम में मंगलवार को काशी विद्वत परिषद ब्रजमंडल शाखा की बैठक में संतों ने भी इस मसले पर चर्चा की। महामंडलेश्वर नवल गिरी ने कहा मोदी और योगी के सानिध्य में सनातन धर्म सुरक्षित है। मथुरा और काशी पर मुस्लिमों को चर्चा करनी चाहिए और आगे बढ़कर मंदिरों वाली कब्जे की जमीन को छोड़ देना चाहिए। डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा काशी और मथुरा के लिए सबको विचार करना चाहिए कि वहां अभी दिव्य भव्य मंदिर का निर्माण हो। आनंद बल्लभ गोस्वामी ने कहा भारत में मोदी योगी की सरकार है, अभी नहीं तो कभी नहीं इसलिए हम सब को जागरूक हो जाना चाहिए। विमल चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा रामजन्म भूमि का स्थापना हुई यह एक शुभारंभ हुआ है आगे सभी मंदिरों का भी संरक्षण होगा। कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने कहा कोर्ट में दावा दायर किया गया है। इसमें धर्माचार्य, संत, महात्मा का पूरा समर्थन है। सब की एक ही आवाज है काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर भव्य बने। एक मुहिम चलानी चाहिए, जिससे राम मंदिर की तरह काशी विश्वनाथ व कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का भी निर्माण हो। अयोध्या तो झांकी थी, मथुरा और काशी अभी बाकी है। यह नारा अब चारों तरफ गूंजता दिखाई देगा। जल्द ही ब्रजमंडल में भारत के सभी संतों के साथ बैठक आयोजित होगी।


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