Air action plan: ऐसे कैसे बनेंगे UP के लिए Role Model, कागजों में ही सीमित होकर रह गया एयर एक्शन प्लान
जून 2019 में लांच किया गया था एयर एक्शन प्लान विभागों ने नहीं दिया ध्यान। जिला पर्यावरण समिति की है एयर एक्शन प्लान लागू कराने की जिम्मेदारी। प्रदूषक तत्वों के स्रोत पर नियंत्रण नहीं किए जाने से दीपावली से पूर्व ही आगरा की हवा जहरीली हो चुकी है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा की फिजां में वायु प्रदूषण का जहर घुल रहा है। वायु गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में है। आगरा के जिस एयर एक्शन प्लान को प्रदेश के लिए माडल बनाने की बात कही गई थी, उसका कहीं अता-पता नहीं है। प्लान लागू कराने को जिम्मेदार डीएम की अध्यक्षता वाली जिला पर्यावरण समिति कागजों में खानापूरी में जुटी है।
आगरा में करीब एक माह से वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब और बहुत खराब से खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। वायु गुणवत्ता में सुधार को स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार विभागों द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। प्रदूषक तत्वों के स्रोत पर नियंत्रण नहीं किए जाने से दीपावली से पूर्व ही आतिशबाजी के बगैर ही उप्र के माडल शहर आगरा की हवा जहरीली हो चुकी है। पिछले वर्ष वायु गुणवत्ता के बहुत खराब स्थिति में पहुंचने पर पेड़ों को धोने वाला नगर निगम खतरनाक स्थिति होने पर भी शांत है। पेड़ों की धुलाई तो दूर की बात है, मुख्य मार्गों को छोड़ दें तो अन्य मार्गों पर सफाई के अभाव में वाहनों के गुजरते ही धूल उड़ने लगती है। आगरा में एयर एक्शन प्लान को लागू कराने की जिम्मेदारी डीएम की अध्यक्षता वाली जिला पर्यावरण समिति की है। इसके नोडल अधिकारी प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी हैं, लेकिन किसी का ध्यान नहीं है।
एनजीटी ने किया था आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2018 में देश के 122 ऐसे शहरों के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिनमें पिछले पांच वर्षों से एक्यूआइ का वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक रहा था। इनमें प्रदेश के 15 शहर आगरा, प्रयागराज, अनपरा, बरेली, फीरोजाबाद, गजरौला, गाजियाबाद, झांसी, कानपुर, खुर्जा, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, रायबरेली, वाराणसी शामिल थे।
एक जून को लांच हुआ था एयर एक्शन प्लान
आगरा का एयर एक्शन प्लान उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), यूनाइटेड नेशंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) और क्लीन एयर एशिया द्वारा बनाया गया था। इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा स्वीकृति दी गई थी। एक जून, 2019 को इसे तत्कालीन मुख्य सचिव अनूपचंद्र पांडेय ने लांच किया था। इसे प्रदेश के लिए माडल बनाने की बात उन्होंने कही थी।
इन विभागों की है जिम्मेदारी
एयर एक्शन प्लान में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए अावश्यक कदम उठाने को शार्ट, मिड आैर लांग टर्म प्लान सुझाए गए थे। इसमें अलग-अलग कार्यों के लिए परिवहन विभाग, नगर निगम, एडीए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंचाई व वन विभाग, कृषि विभाग की जिम्मेदारी तय की गई थीं। डेढ़ वर्षों में प्लान के अनुसार कोई काम नहीं हो सका है।
धूल उड़ने से रोकने को समुचित इंतजाम करने के लिए संबंधित विभागों को समय-समय पर निर्देश और नोटिस जारी किए गए हैं। निर्माण कार्यों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। सुधार नहीं होने पर जिम्मेदार विभागों के खिलाफ पर्यावरण क्षतिपूर्ति की कार्रवाई की जाएगी।
-भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड