अनुभवी आंखों से पॉलीथिन की पहचान
आगरा : भई वाह। आगरा को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, लेकिन यहां पॉलीथिन का प्रयोग नहीं रुक रहा है।
जागरण संवाददाता, आगरा : भई वाह। आगरा को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, लेकिन यहां पॉलीथिन की पहचान का तरीका 50 साल पुराना है। पॉलीथिन कितनी मोटी है। इसकी पहचान के लिए नगर निगम सहित 12 विभागों के पास कोई मशीन नहीं है। सिर्फ सेनेटरी इंस्पेक्टरों की अनुभवी आंखों से पॉलीथिन की पहचान की जाती है। वजन का अनुमान लगाया जाता है और फिर दुकानदार पर जुर्माना ठोंक देते हैं।
प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई से 50 माइक्रॉन से पतली पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया है। 15 अगस्त और दो अक्टूबर से इसके दायरे में और भी बढ़ोतरी हो जाएगी। यह और बात है कि सरकारी विभागों के पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे वह पॉलीथिन के मानकों की पहचान कर सकें। निगम में 12 सेनेटरी इंस्पेक्टरों के पास पॉलीथिन की मोटाई और उसके वजन को तौलने तक की कोई मशीन नहीं है। यही हाल अन्य विभागों का है। सेनेटरी इंस्पेक्टरों ने अब तक जो भी कार्रवाई की है, उसका आधार उनकी अनुभवी आंखें हैं। साथ ही हाथों से रगड़कर भी पता लगाया जाता है। इसके बाद दुकानदार का चालान किया। यही वजह है कि शहर में प्रभावी तरीके से पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। परिणाम प्रतिदिन मात्र तीन से पांच किग्रा पॉलीथिन जब्त हो रही है। वहीं निर्माता का नाम पता न होने पर पॉलीथिन जब्त कर ली जाती है। - पॉलीथिन की धरपकड़ का अभियान तेज करने के लिए कहा गया है। जो भी संसाधन आवश्यक होंगे वह उपलब्ध कराए जाएंगे।
रवि कुमार एनजी, डीएम
4.5 किग्रा पॉलीथिन जब्त, 17500 रुपये का जुर्माना
जासं, आगरा : नगर निगम की टीम ने गुरुवार को चेकिंग अभियान चलाया। निगम के चारों जोन में 4.5 किग्रा पॉलीथिन जब्त की गई। आधा दर्जन दुकानदारों पर 17500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। हरीपर्वत क्षेत्र में सेनेटरी इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह ने 13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। गंदगी फैलाने पर 20500 रुपये का जुर्माना
नगर निगम की टीम ने सड़कों व फुटपाथ पर गंदगी फैलाने व कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। हरीपर्वत, लोहामंडी, ताजगंज व छत्ता क्षेत्र में 20500 रुपये का जुर्माना वसूला गया। बोदला में सड़क पर मलबा पड़ा था।